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- After 18 Matches, The Team Got Victory, Used To Play Cricket Secretly From Brother And Father, Ammi Supported
नई दिल्ली12 मिनट पहले
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महिला वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को लंबे इंतजार के बाद जीत मिली है। वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ यह जीत पाकिस्तानी महिलाओं को 13 साल और 18 मैचों के बाद मिली है। इस जीत की नायिका हैं पाकिस्तानी ऑफ स्पिनर निदा डार। जिन्होंने 4 ओवर में मात्र 10 रन देकर चार विकेट झटक लिए। निदा की दमदार बॉलिंग के दम पर पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज को 8 विकेटों की करारी शिकस्त दी।
इस जीत के बाद चारों तरफ निदा डार की तारीफ हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं। भारत में भी उनकी काफी सराहना की जा रही है।
लेकिन निदा का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। इतना सब कुछ कर पाना निदा के लिए काफी मुश्किलों से भरा रहा। तो आइए आज पाकिस्तान की इस स्टार बॉलर और उनके संघर्षों की कहानी जानते हैं..
पाकिस्तानी महिलाओं को वर्ल्ड कप में 13 साल और 18 मैचों के बाद जीत मिली है। इस जीत में निदा डार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
घर वालों ने किया था विरोध
पाकिस्तान के पंजाब के गुजरांवाला में जन्मीं निदा की शुरू से ही क्रिकेट में दिलचस्पी थी। लेकिन निदा के अब्बू और उनके भाई को बिलकुल भी पसंद नहीं था कि उनके घर की लड़की ‘पुरुषों वाला खेल’ खेले। हालांकि निदा के भाई खुद भी एक स्पोर्ट्स मैन थे। बावजूद इसके वो निदा के खेलने के खिलाफ थे। ऐसे में निदा ने अपनी अम्मी की मदद से भाई और अब्बू से छिपकर क्रिकेट खेलना शुरू किया।
शुरुआत में निदा के घर वालों ने उनके क्रिकेट खेलने का विरोध किया था।
लाहौर यूनिवर्सिटी में जीतने पर नाम बदल लिया था
निदा लगातार अपने भाई और अब्बू से छिपकर क्रिकेट खेलने जाती रहीं। धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन के दम पर वो टीम की कैप्टन बन गईं। उनकी कैप्टेन्सी में ही टीम ने एक शानदार जीत दर्ज की। ऐसे में निदा को डर था कि कहीं घरवालों को उनके खेलने के बारे में पता न चल जाए इसलिए उन्होंने टीम मैनेजमेंट से कहकर अपना नाम बदलवा दिया। जिससे अखबार में खबर आने के बावजूद घरवालों को कुछ पता नहीं चला।
नेशनल में हुआ सलेक्शन तब कोच के कहने पर माना भाई
नेशनल के लिए ट्रायल में निदा का बतौर गेंदबाज सलेक्शन हो गया। सलेक्शन के बाद भी निदा के चेहरे पर खुशी न देख कोच ने इसका कारण पूछा तो निदा ने सारी बात बताई। जिसके बाद कोच ने रिश्तेदारों की मदद से निदा के भाई को समझाया। तब जाकर निदा नेशनल टीम में खेल पाईं।
पढ़ाई के साथ खेलती थीं क्रिकेट, ज्यादा छुट्टियां लेने पर चिढ़ जाते थे टीचर
निदा डार ने पढ़ाई और क्रिकेट दोनों में संतुलन बनाए रखा। कारण कि उन्हें क्रिकेट में अपना भविष्य अनिश्चित नजर आता था। ऐसे में वो पढ़ाई पर भी बराबर ध्यान देती थीं। कई बार मैचों की वजह से अधिक छुट्टियां लेने पर उनके कॉलेज के टीचर चिढ़ भी जाया करते थे। लेकिन आज सभी निदा पर गर्व कर रहे हैं।
निदा का करियर शानदार रहा है। टी-20 में 100 विकेट लेने वाली वो पहली महिला क्रिकेटर हैं।
शानदार रहा है करियर, टी-20 में 100 विकेट लेने वाली पहली पाकिस्तानी
35 साल की निदा ने 2010 में इंटरनेशनल मैचों के डेब्यू किया था। तब से उनका करियर शानदार रहा है। निदा ने अब तक 89 वनडे मैचों में 81 विकेट लिए हैं। टी-20 में 100 विकेट लेने वाली निदा ऐसा करने वाली पाकिस्तान की एकमात्र महिला क्रिकेटर हैं।
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