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गो फर्स्ट के लिए 425 करोड़ की फंडिंग को मंजूरी: एयरलाइन ने फिर से उड़ान भरने के लिए बैंकों से कर्ज मांगा था, 3 मई से बंद है सभी फ्लाइट्स

नई दिल्ली17 घंटे पहले

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नकदी संकट से जूझ रही एयरलाइंस गो फर्स्ट के क्रेडिटर्स ने एयरलाइन रिवाइवल के लिए शनिवार रात 425 करोड़ रुपए की अंतरिम फंडिंग को मंजूरी दे दी है। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, डॉयचे बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। गो फर्स्ट ने हाल ही में ऑपरेशन शुरू करने के लिए लेंडर्स का दरवाजा खटखटाया था।

एयरलाइन के ऑपरेशन शुरू करने के लिए DGCA की भी मंजूरी चाहिए होगी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते की शुरुआत में हुई बैठक में फंड का प्रस्ताव गो फर्स्ट की क्रेडिटर्स कमेटी के सामने रखा गया था। गो फर्स्ट ने जुलाई में ऑपरेशन फिर से शुरू करने और 22 विमानों के साथ 78 डेली फ्लाइट ऑपरेट करने का प्लान बनाया है।

एयरलाइन पर लेंडर्स का 6,521 करोड़ रुपए बकाया
गो फर्स्ट पर अपने लेंडर्स का 6,521 करोड़ रुपए बकाया है। एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने 19 जनवरी की रिपोर्ट में कहा था कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का सबसे ज्यादा 1,987 करोड़ रुपए का एक्सपोजर था, इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,430 करोड़ रुपए, डॉयचे बैंक का 1,320 करोड़ रुपए और IDBI बैंक का 58 करोड़ रुपए था।

28 जून तक सभी फ्लाइट्स सस्पेंड
एयरलाइन ने सबसे पहले अपनी फ्लाइट्स 3, 4 और 5 मई के लिए कैंसिल की थीं। इसके बाद फ्लाइट सस्पेंशन बढ़ाकर 9 मई तक किया। फिर 12 मई कर दिया गया। इसी तरह फ्लािट सस्पेंशन बढ़ाते-बढ़ाते इसे 28 जून तक कर दिया गया है।

5 पॉइंट में पूरी मामला समझें..

  • गो फर्स्ट एयरलाइन ने 2 मई को बताया कि वो 3, 4 और 5 मई के लिए अपनी सभी फ्लाइट कैंसिल कर रही है।
  • 3 मई को एयरलाइन स्वैच्छिक दिवालिया याचिका के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT पहुंच गई।
  • गो फर्स्ट एयरलाइन की याचिका पर NCLT ने 4 मई को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • फ्लाइट सस्पेंशन को 4 मई से बढ़ाकर 9 मई तक किया। फिर 12 मई और आगे 19 मई तक इसे बढ़ा दिया।
  • 10 मई को NCLT ने एयरलाइन को राहत देते हुए मोरेटोरियम की मांग को मान लिया और IRP नियुक्त किया।

अभिलाष लाल को IRP नियुक्त किया था
जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और LN गुप्ता की दो सदस्यीय बेंच ने कर्ज में डूबी गो फर्स्ट को चलाने के लिए अभिलाष लाल को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यानी IRP नियुक्त किया था। यह पहली बार था जब किसी भारतीय एयरलाइन ने खुद से ही अपने कॉन्ट्रेक्ट और कर्ज को रिनेगोशिएट करने के लिए बैंकरप्सी प्रोट्रेक्शन की मांग की थी।

लेसर्स ने इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर आपत्ति जताई थी
इससे पहले एयरलाइन की इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर 4 मई को NCLT ने पहली सुनवाई की थी। इस दौरान गो फर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली फर्म्स ने NCLT से कहा था कि उन्हें एयरलाइन की इंटरिम मोरेटोरियम की मांग पर आपत्ति है। मोरेटोरियम के गंभीर परिणाम होंगे।

लेसर्स ने जस्टिस रामलिंगम सुधाकर की अगुआई वाली बेंच को बताया था कि उन्होंने लीज को खत्म कर दिया है और वे विमान वापस पाने के हकदार हैं। लेसर्स ने कहा था कि मेंटेनेंस और अन्य खर्चों को लेकर भी गो फर्स्ट का रिकॉर्ड ठीक नहीं हैं। यदि गो फर्स्ट को मोरेटोरियम राहत दी जाती है, तो वे अपने ग्राउंडेड विमान को वापस नहीं ले पाएंगे।

गो फर्स्ट की वेबसाइट के अनुसार एयरलाइन एक समय रोजाना 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए 200 से ज्यादा फ्लाइट ऑपरेट करती थी।

इंजन सप्लाई नहीं होने से बंद करने पड़े ऑपरेशन
एयरलाइन का दावा है कि वो इंजनों की सप्लाई नहीं होने से उसे अपने ऑपरेशन बंद करने पड़े है। अमेरिका के एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की। ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी फ्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। इससे उसे भारी नुकसान हुआ।

फ्लाइट नहीं उड़ने के कारण उसके पास कैश की कमी हो गई और फ्यूल भरने के लिए भी पैसे नहीं बचे। एयरलाइन के A20 नियो एयरक्राफ्ट में इन इंजनों का इस्तेमाल होता है। एयरलाइन के CEO कौशिक खोना का दावा है कि इंजन की खराबी से कंपनी को बीते तीन साल में 1.1 बिलियन डॉलर यानी करीब 8.9 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

गो फर्स्ट ने अपने नुकसान के लिए इंजन सप्लायर को जिम्मेदार बताया है। इंजन नहीं मिलने के कारण एयलाइन को अपने एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े।

गो फर्स्ट ने अपने नुकसान के लिए इंजन सप्लायर को जिम्मेदार बताया है। इंजन नहीं मिलने के कारण एयलाइन को अपने एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े।

गो फर्स्ट के साथ PW के कॉन्ट्रैक्ट में तीन बड़ी शर्तें थीं:

  • विमान का इंजन खराब हो जाता है तो 48 घंटे के भीतर स्पेयर इंजन देना होगा।
  • फॉल्टी इंजनों की फ्री में रिपेयरिंग करानी होगी क्योंकि सभी इंजन वारंटी में हैं।
  • ग्राउंडेड विमानों के कारण हुए नुकसान का कम्पेनसेशन भी देना होगा।

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 तक, PW ने समय पर स्पेयर इंजन उपलब्ध कराए, फ्री में रिपेयरिंग की और कम्पेनसेशन भी दिया। उसके बाद एयरलाइन को कुछ भी नहीं मिला। एयरलाइन ने पिछले साल मार्च में एक हफ्ते में 2,084 फ्लाइट ऑपरेट की थीं। विमानों के ग्राउंडेड होने के साथ इस साल मार्च तक ये आंकड़ा घटकर 1,642 पर आ गया।

2005 में मुंबई से अहमदाबाद के लिए उड़ी थी पहली फ्लाइट
गो फर्स्ट वाडिया ग्रुप की बजट एयरलाइन है। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार 29 अप्रैल 2004 को गो फर्स्ट की शुरुआत हुई थी। नवंबर 2005 में मुंबई से अहमदाबाद के लिए पहली फ्लाइट ऑपरेट की। एयरलाइन के बेड़े में 59 विमान शामिल हैं।

इनमें से 54 विमान A320 NEO और 5 विमान A320 CEO हैं। गो फर्स्ट 35 डेस्टिनेशन के लिए अपनी फ्लाइट ऑपरेट करता है। इसमें से 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन शामिल हैं। एयरलाइन ने साल 2021 में अपने ब्रांड नाम को गोएयर से बदलकर गो फर्स्ट कर दिया था।

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