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- When Nikhat Returned Home With A Blood stained Face, Mother Said No One Will Marry You
नई दिल्ली7 मिनट पहले
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वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भारत का नाम रोशन करने वाली निखत जरीन लिए यह सफर आसान नहीं रहा है। निखत और उनके परिवार को काफी ताने भी सुनने पड़े।
निखती बताती हैं कि उन्हें आज भी याद है, जब उनके पिता मोहम्मद जमील ने उन्हें बॉक्सिंग रिंग में उतारा तो लोग कहते थे, तुमने तुमने बेटी को बॉक्सिंग में क्यों डाला है? यह तो मर्दों का खेल है, उससे शादी कौन करेगा? लेकिन पिता हमेशा यही कहते थे कि बेटा तुम बॉक्सिंग पर ध्यान दो। जब बॉक्सिंग रिंग में तुम अच्छा करोगी तो यही लोग तुम्हारे साथ तस्वीर खिंचवाने के लिए आएंगे।’
माता-पिता हमेशा मेरे लिए खड़े रहे
निखत बताती हैं, ‘मैं एक रूढ़िवादी समाज से ताल्लुक रखती हूं, जहां लोग सोचते हैं कि लड़कियों को केवल घर पर रहना चाहिए, घर के काम करने चाहिए, शादी करनी चाहिए। लेकिन मेरे पिता एथलीट थे और जानते थे कि एक एथलीट किस तरह का जीवन जीता है। वह हमेशा मेरे लिए रहे और मेरा समर्थन किया।’
मां परवीन सुल्ताना भी चट्टान की तरह डटी रहीं। अक्सर लोग कहते थे, अरे जमील भाई, तुम अपनी बेटी को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग क्यों करवा रहे हो ये तो मर्दों का खेल हैं। अगर इसे कहीं चोट लग गई तो इसका करियर बर्बाद हो जाएगा, फिर उसकी शादी में भी दिक्कत आएगी। तुम्हारी चार बेटियां हैं। मेरे पापा ने कभी भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
बचपन से मैं टॉमबॉय की तरह थी
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में निखत ने कहा, ‘मेरी दो बड़ी बहने हैं और एक छोटी बहन है, जो मुझसे 7 साल छोटी है। दोनों बड़ी बहनें फिजियोथेरेपिस्ट हैं। उन दोनों को स्पोर्ट्स में कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे बचपन से ही स्पोर्ट्स पसंद था और मैं एक टॉमबॉय की तरह थी। लड़कों के साथ ही मेरी घूमना-फिरना होता था। मैं लड़कों की तरह हेयर कट करवाती थी और ज्यादातर जीन्स-टी शर्ट में ही घूमती थी।
लोगों को यही लगता था कि मैं एक लड़का हूं। बचपन से ही मुझे रफ-टफ रहने की आदत हो गई थी। इस वजह से मैं काफी स्ट्रॉन्ग हो गई। मैंने लड़कियों को बॉक्सिंग के अलावा हर फील्ड में देखा था। मैंने अपने पापा से पूछा कि बॉक्सिंग में लड़कियां क्यों नहीं दिखती। पापा ने कहा कि बेटा लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती हैं, लेकिन उनके घर वालों में इतना गट्स नहीं हैं कि वे अपने घर की लड़कियों को बॉक्सिंग में भेजें।’
बचपन से खतरों के खिलाड़ी बनने का शौक
निखत ने कहा, ‘मुझे ये बात कभी समझ नहीं आई कि लोगों को ऐसा क्यों लगता है कि लड़कियों को स्पोर्ट्स में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वे अंदर से कमजोर होती हैं। लोगों की ऐसी मानसिकता लड़कियों को लेकर कब खत्म होगी, मालूम नहीं। मुझे बचपन से खतरों के खिलाड़ी बनने का शौक था। मैं जहां ट्रेनिंग को जाती थी पूरे मैदान में लड़के होते थे सिर्फ मैं अकेली लड़की थी।’
चेहरा खराब हो जाएगा तो शादी कौन करेगा
हालांकि, एक बार उन्हें बॉक्सिंग की क्रूर दुनिया को महसूस करने का मौका मिला, जब निखत लड़के के साथ अपने पहले ट्रेनिंग सेशन के बाद खून से सने चेहरे और आंखों में चोट के साथ घर लौटीं थीं। उन्होंने बताया, ‘मैं अपने चोट को मां से छिपाना चाहती थी। इसलिए मैं घर जाते ही अपने कमरे में जाकर सबसे पहले कपड़े बदले और खून साफ किया, ताकि घर में किसी को इस बारे में पता न लगे। हम सारे परिवार के लोग डिनर एक साथ बैठ कर करते हैं।’
जब मां ने मुझे रात को खाने को बुलाया तो मैंने मना कर दिया। इस पर वे मेरे कमरे में आ गईं। जब मां ने मुझे इस हाल में देखा तो वो कांपने लगी थीं। वह रोने लगीं और बोलीं, मैंने तुम्हें बॉक्सिंग में इसलिए नहीं डाला, ताकि तुम्हारा चेहरा खराब हो जाए। कोई तुमसे शादी नहीं करेगा। तब मैंने उनसे कहा, चिंता न करो, नाम होगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी। अब, हालांकि, मां को इसकी आदत हो गई है।’
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