- Hindi News
- Sports
- Talented Footballer Sangeeta Soren Now Working At A Brick Kiln In Jharkhand | NCW Writes To Jharkhand Govt And AIFF | Hemant Soren
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
नई दिल्ली6 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
एक तरफ ईंट ढोतीं संगीता हैं, तो दूसरी तरफ वह फुटबॉल में मिले मेडल दिखा रही हैं। परिवार को भरण-पोषण करने के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ रही है।
भारतीय फुटबॉल जगत का एक शर्मनाक पहलू सामने आया है। झारखंड में रह रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता सोरेन और उनका परिवार मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर है। संगीता के पिता दूबे सोरेन नेत्रहीन होने की वजह से कोई काम करने में असमर्थ हैं। जबकि उनका भाई दिहाड़ी मजदूर है। भाई की आमदनी किसी दिन होती है और किसी दिन नहीं। ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए संगीता को ईंट भट्टे में काम करना पड़ रहा है।
संगीता ने 4 महीने पहले ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मदद मांगी थी। अब महिला आयोग ने इस पर एक्शन लेते हुए झारखंड सरकार और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को चिट्ठी लिखी है। आयोग ने उनसे संगीता को अच्छी नौकरी देने के लिए कहा है, ताकि वे अपना बाकी जीवन सम्मान के साथ गुजार सकें। संगीता 2018-19 में अंडर-17 लेवल पर भूटान और थाईलैंड में खेले गए इंटरनेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप में टीम इंडिया का हिस्सा रह चुकी हैं। टीम ने इसमें ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।
टैलेंटेड फुटबॉलर संगीता को मजदूरी करना पड़ रही।
संगीता को मजबूरी में ईंट भट्टे में काम करना पड़ रहा है।
झारखंड सरकार ने भी संगीता की मदद नहीं की
संगीता ने 4 महीने पहले भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सोशल मीडिया पर मदद मांगी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए CM ने मदद का आश्वासन दिया था। पर 4 महीने बाद अब तक संगीता को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली। मदद नहीं मिलने पर संगीता राज्य सरकार पर भी बिफर पड़ीं। उन्होंने कहा- सरकार से हम क्या मांग करें। उन्हें खुद ही मेरे बारे में सोचना चाहिए। जिन आदिवासियों के कल्याण के लिए झारखंड का गठन हुआ है, राज्य सरकार उस उद्देश्य से ही भटक चुकी है। मैंने पहले भी कई बार सरकार से मदद मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
.@dc_dhanbad कृपया संगीता बेटी और उनके परिवार को जरूरी सभी सरकारी मदद पहुँचाते हुए सूचित करें।
खेल-खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृतसंकल्पित है और जल्द ही नीति और कार्यप्रणाली के साथ जनता के समक्ष आने वाली है। https://t.co/BJBEPAj5Jn— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 6, 2020
महिला आयोग ने प्रेस नोट जारी किया
महिला कमीशन ने अपने प्रेस नोट में लिखा- संगीता पिछले 3 साल से जॉब पाने की कोशिश कर रही हैं, पर किसी ने उनकी मदद नहीं की। इंटरनेशनल लेवल पर खेलने के लिए भी उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए दिए गए। संगीता की स्थिति देश के लिए शर्म की बात है। उन्हें तरजीह दी जानी चाहिए। उन्होंने सिर्फ अपने देश को नहीं बल्कि, झारखंड को भी वर्ल्ड फुटबॉल में रिप्रजेंट किया है। यह सब उनकी लगन और मेहनत की वजह से हो सका।
”झारखंड सरकार संगीता की मदद करे”
महिला आयोग ने लिखा- चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने झारखंड के मुख्य सचिव से कहा है कि संगीता को हरसंभव मदद दी जाए, ताकि वह अपनी बाकी जिंदगी सम्मान के साथ जी सके और परिवार की मदद कर सके। इसकी कॉपी AIFF को भी भेजी गई है।
गांव में प्रैक्टिस करतीं संगीता।
फुटबॉल में हासिल सर्टिफिकेट दिखातीं संगीता।
10 साल पहले पिता की आंखों की रोशनी गई
धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड के रेंगुनी पंचायत में आने वाले बांसमुड़ी गांव में रहने वाली संगीता बताती हैं कि उनके पिता की आंखों की रोशनी 10 साल पहले चली गई थी। तब से ही वे कोई काम नहीं कर रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से भाई को भी कोई काम नहीं मिल पा रहा। ऐसे में संगीता खुद ईंट भट्टे में मजदूरी कर घर का भरण-पोषण कर रही हैं। कभी-कभी तो गरीबी की वजह से उन्हें चावल-नमक से भी गुजारा करना पड़ता है।
फुटबॉल चैंपियनशिप के दौरान मिले ब्रॉन्ज मेडल को दिखातीं संगीता।
फुटबॉल की प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़तीं
गरीबी के बावजूद संगीता हर रोज सुबह फुटबॉल की प्रैक्टिस के लिए जाती हैं। संगीता बताती हैं कि मैं हर रोज सुबह साढ़े 6 बजे उठकर मैदान में प्रैक्टिस करती हूं। इंटरनेशनल फुटबॉल खेलने से पहले जब मैं मैदान में प्रैक्टिस करने आती थी, तो यहां के लड़के मेरा मजाक उड़ाते थे। मैं उनसे अपनी टीम में शामिल करने के लिए रिक्वेस्ट भी करती थी। पर वे मुझे नहीं खिलाते थे। जब फुटबॉल मैदान से बाहर जाता, तो मैं उसे ही किक मारती थी। इस पर भी लड़के मजाक उड़ाते थे।
लड़के पहले मजाक उड़ाते थे, अब सेल्फी लेते हैं
संगीता ने कहा कि मैंने इस मजाक को चुनौती के रूप में लिया। मैंने काफी मेहनत की। इसके बाद एक सर ने बिरसा मुंडा क्लब धनबाद में मेरी एंट्री कराई। यहीं से डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल होते हुए नेशनल अंडर-17 फुटबॉल टीम में सिलेक्ट हुई। हमने 2018 में भूटान और थाईलैंड में चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। अब जब गांव जाती हूं, तो जो लड़के मेरा मजाक उड़ाते थे, वे अब मेरे साथ सेल्फी लेने आते हैं। मेरी किक पर तालियां भी बजाते हैं।
गांव में बकरी चरातीं संगीता।
अंडर-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम के साथ संगीता सोरेन (नीचे वाली पंक्ति में दाएं)।
भूटान और थाईलैंड में अंडर-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन किया था।
Stay connected with us on social media platform for instant update click here to join our Twitter, & Facebook
We are now on Telegram. Click here to join our channel (@TechiUpdate) and stay updated with the latest Technology headlines.
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.