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अमेरिका में आसमान पर महंगाई: 39 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची; पेट्रोल, रेंट और खाने की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी

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वॉशिंगटन7 मिनट पहले

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अमेरिका में महंगाई 39 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। जून 1982 के बाद से यह सबसे तेज सालाना दर से बढ़ी है। पेट्रोल, कारों, किराए और खाने की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ऐसा हुआ है। ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स ने महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं।

आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पिछले साल की तुलना में 6.8% की तेजी से बढ़ा है। इससे पहले अक्टूबर में इसके बढ़ने की गति 6.2% थी। मासिक आधार पर इसके बढ़ने की गति 0.8% है। इसने फेडरल रिजर्व पर अपनी पॉलिसी को टाइट करने का प्रेशर बढ़ा दिया है। फेडरल रिजर्व के महंगाई के 2% के टारगेट से यह तीन गुना ज्यादा है।

सोर्स: ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स

सोर्स: ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स

  • फूड और एनर्जी प्राइस जैसे वोलेटाइल आइटम को छोड़कर कोर CPI महीने में 0.5% और साल में 4.9% बढ़ी है। ये 30 सालों में सबसे ज्यादा है।
  • अक्टूबर से नवंबर के बीच एनर्जी इंडेक्स 3.5% बढ़ा। पेट्रोल इंडेक्स में 6.1% का उछाल आया। एनुअल बेसिस पर ये 33% और 58% बढ़े हैं।
  • पेट्रोल इंडेक्स में 1980 के बाद से यह 12 महीनों की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है।
  • नवंबर में फूड प्राइस में 0.7% की बढ़ोतरी हुई, जो एक महीने पहले 0.9 प्रतिशत थी।
  • शेल्टर कॉस्ट नवंबर में 0.5% बढ़ी है। इसे CPI का सबसे ज्यादा स्ट्रक्चरल कंपोनेंट माना जाता है।
  • पिछले महीने नई और पुरानी कारों और ट्रकों, कपड़े और हवाई किराए में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

2022 के अंत तक महंगाई कम होने का अनुमान
फेड का अनुमान है कि 2022 के अंत तक प्राइस बढ़ने का रेट 3% से नीचे आ जाएगा, लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना ​​​​है कि महंगाई इतनी जल्दी नहीं घटेगी। अभी भी स्थिति में ज्यादातर इन्वेस्टर फेड के अनुमान को सही मान रहे हैं। इसलिए स्टॉक बढ़ रहे हैं और ट्रेजरी यील्ड बेहद कम है। यदि इन्वेस्टर महंगाई को लेकर चिंतित होते है तो बॉन्ड यील्ड बहुत ज्यादा बढ़ सकती है।

बढ़ती महंगाई की वजह क्या है?
आमतौर पर महंगाई तब बढ़ती है जब या तो डिमांड बढ़े या फिर सप्लाई कम हो जाए। अमेरिका में बढ़ती महंगाई के पीछे दोनों वजहें हैं। कोरोना के खिलाफ तेजी से वैक्सीनेशन होने की वजह से अमेरिका की इकोनॉमी तेजी से सुधरी है।

उम्मीद से तेजी से हुए इस सुधार की वजह से डिमांड में तेजी आई है। इसके साथ ही सरकार के पैकेज से की वजह से उपभोक्ताओं को राहत मिली। कोरोना में जिन लोगों की नौकरी गई उन्हें भी इस पैकेज ने काफी मदद की। इन सभी ने डिमांड को बढ़ाया।

डिमांड में इस रिकवरी के लिहाज से सप्लाई नहीं बढ़ सकी। डिमांड सप्लाई का ये गैप महंगाई बढ़ने की वजह बन गया। कुछ एक्सपर्ट्स का सोचना है कि कोरोना के दौर में की गई सरकारी मदद ने महंगाई की स्थिति को बिगाड़ने का काम किया है।

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