टोक्यो19 मिनट पहले
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मीराबाई चानू के सिल्वर मेडल के अलावा उनकी कान की बालियों ने भी खूब ध्यान बंटोरा है। मीरा फाइनल में ओलिंपिक के छल्लों के आकार की बालियां पहनकर रिंग में उतरी थीं। ये बालियां मीरा की मां तोम्बी लीमा ने 2016 रियो ओलिंपिक से पहले अपने जेवर बेचकर उन्हें तोहफे में दी थीं।
मीराबाई की मां को उम्मीद थी कि इससे उनका भाग्य चमकेगा। हालांकि, रियो में वे डिस-क्वालिफाई हो गईं। पर 2020 टोक्यो गेम्स में सिल्वर जीतकर उन्होंने मां के त्याग को सफल कर दिया। फाइनल में जब तोम्बी ने मीरा के कानों में वही बालियां देखीं, तो वे खुशी से रो पड़ीं।
लीमा ने कहा कि मैंने बालियां टीवी पर देखी थी। मैंने ये उसे 2016 में रियो ओलंपिक से पहले दी थी। मैंने मेरे पास पड़े सोने और अपनी बचत से इन्हें बनवाया था, ताकि इससे उसका भाग्य चमके और उसे सफलता मिले। अब उन्हीं बालियों में मेडल जीतते देखना मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी है। मीरा के पिता सेखोम कृति मेइतेई की आंखें भी नम हुईं। ये खुशी के आंसू हैं। मीरा ने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की है।
मीराबाई को टोक्यो में इतिहास रचते हुए देखने के लिए उनके घर में कई रिश्तेदार और मित्र भी मौजूद थे। मीरा ने भी सिल्वर जीतने के बाद अपनी मां को याद किया। उन्होंने कहा कि मां के त्याग की वजह से ही मैं सफल हो पाई हूं।
मीराबाई फाइनल में ओलिंपिक के छल्लों के आकार की बालियां पहनकर रिंग में उतरी थीं।
मीराबाई जीत के बाद काफी खुश नजर आईं। उन्होंने इस दौरान डांस भी किया।
सिल्वर मेडल के साथ मीराबाई चानू। चीन की होउ जिहूई ने 210 किलोग्राम वजन उठाकर गोल्ड मेडल जीता। वहीं, इंडोनेशिया की कैंटिका विंडी ने ब्रॉन्ज जीता।
लिम्का बुक रिकॉर्ड होल्डर धर्मेंद्र अग्रवाल ने मीराबाई के सिल्वर मेडल को सेलिब्रेट करने के लिए बिकानेर में पानी-पुरी से आज की तारीख का जिक्र किया।
फाइनल इवेंट के दौरान मीराबाई चानू। महिलाओं की 49 किलोग्राम वेट कैटेगरी में कुल 202 किलोग्राम वजन उठाया।
वेटलिफ्टिंग में मीरा मेडल जीतने वाली भारत की दूसरी एथलीट हैं। इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
सिल्वर मेडल के साथ मीराबाई (बाएं से), चीन की होउ जिहूई गोल्ड और कैंटिका विंडी ब्रॉन्ज मेडल के साथ।
मीरा के कानों में मां की दी हुई बालियां थीं। ये बालियां उन्हें रियो ओलिंपिक से पहले दी गई थीं।
सिल्वर मेडल के बाद पोज देतीं मीराबाई चानू।
36 साल की चानू ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा+115 किग्रा) वजन उठाकर शानदार प्रदर्शन किया। मणिपुर की राजधानी इंफाल से 25 किमी दूर मीराबाई के नोंगपोक काकचिंग गांव में स्थित घर में शुक्रवार रात से ही मेहमानों का आना-जाना लगा हुआ था।
मीराबाई की 3 बहनें और 2 भाई हैं। मीरा की मां लीमा ने कहा, उसने हमें कहा था कि वह कोई ने कोई मेडल जरूर जीतेगी। इसलिए सभी ऐसा होने का इंतजार कर रहे थे। जो रिश्तेदार आए, वे शुक्रवार रात को हमारे घर में ही रुके।
लीमा ने कहा- टोक्यो में मीराबाई को खेलते हुए देखने के लिए लगभग 50 लोग मौजूद थे। कई लोग आंगन के सामने भी बैठे थे। इसलिए यह त्योहार की तरह लग रहा था। कई पत्रकार भी आए। हमने कभी इस तरह की चीज का अनुभव नहीं किया था।
लीमा ने कहा- मीराबाई ने अपने इवेंट से पहले हमसे वीडियो कॉल पर बात भी की थी। उसने हमसे आशीर्वाद लिया। मीराबाई की रिश्ते की बहन अरोशिनी ने कहा- वह बहुत कम घर आती है। इसलिए एक-दूसरे से बात करने के लिए हमने वॉट्सऐप पर ग्रुप बना रखा है।
मां तोम्बी लीमा के साथ मीराबाई चानू। मीरा ने अपनी जीत का श्रेय मां को ही दिया है।
मीरा ने कहा कि मेरी मां ने मेरे इस सफर में काफी साथ दिया। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मेरे लिए कई त्याग किए।
मीरा ने कहा- मैं इस जीत के लिए अपने कोच विजय शर्मा (बाएं) सर को भी थैंक यू कहना चाहती हूं। उन्होंने मुझसे लगातार मेहनत करवाई। उनके गाइडेंस में ही मुझे मोटिवेशन मिला और ट्रेनिंग की।
मीराबाई ने बीबीसी पर इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्हें एक्टर सलमान खान बेहद पसंद हैं।
मीरा पूजा-पाठ का भी ध्यान रखती हैं। वे सोशल मीडिया पर लगातार तस्वीरें शेयर करती हैं।
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