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- NSE Co location Case: Chitra Ramkrishna’s Judicial Custody Extended Till 11 April
नई दिल्लीएक घंटा पहले
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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व MD और CEO चित्रा रामकृष्ण को को-लोकेशन मामले में एक बार फिर से झटका लगा है। दरअसल, सोमवार को दिल्ली की एक विशेष CBI अदालत ने सुनवाई के बाद रामकृष्ण की न्यायिक हिरासत को बढ़ाए जाने का आदेश दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने पूर्व NSE चीफ की हिरासत 11 अप्रैल 2022 तक बढ़ा दी है।
दूसरी बार बढ़ी न्यायिक हिरासत
NSE को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार की गईं चित्रा रामकृष्ण को पहले अदालत ने 7 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। इसके बाद CBI के आफिसर ने उनसे पूछताछ के लिए और समय की मांग की गई। इसके चलते नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व CEO रामकृष्ण की मुश्किलें तब बढ़ी थीं, जब उनकी 7 दिन की रिमांड खत्म होते ही अदालत ने बीते 14 मार्च को उन्हें फिर से 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश सुनाया था।
कोर्ट ने CBI से मांगा है जवाब- कहा हर हाल में आठ अप्रैल तक अपना पक्ष रखे
NSE को-लोकेशन मामले में दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (CEO) चित्रा रामकृष्ण की जमानत याचिका पर CBI से जवाब मांगा है। CBI को दो हफ्तों में अपना पक्ष रखना होगा।
न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने इस मामले में गिरफ्तार की गईं NSE की पूर्व CEO चित्रा की तरफ से दायर की गई जमानत याचिका पर केंद्रीय जांच एजेंसी को नोटिस जारी करते हुए आदेश दिए कि इस मामले में हर हाल में आठ अप्रैल तक अपना पक्ष रखे। बता दें कि NSE के ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर रहे और ‘हिमालयी योगी’ नाम से डीफेम आनंद सुब्रमण्यम की जमानत अर्जी को भी अदालत ने बीते गुरुवार को खारिज कर दिया था।
चित्रा रामकृष्ण पर हैं गंभीर आरोप
NSE की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण पर भी कई गंभीर आरोप हैं। चित्रा रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक NSE की MD और CEO थी। गौरतलब है कि चित्रा पर हिमालयन योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को चलाने और संवेदनशील जानकारी शेयर करने का आरोप है। CBI ने इस पूरे मामले में चित्रा रामकृष्ण को बीती 6 मार्च को मुंबई से गिरफ्तार किया था।
चित्रा को आनंद सुब्रमण्यन के अपॉइंटमेंट में गड़बड़ी करने और हिमालय योगी को सेंसटिव जानकारी देने और उसके इशारों पर काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
क्या है को-लोकेशन स्कैम?
NSE को-लोकेशन मामले में FIR साल 2018 में दर्ज की गई थी। दरअसल, शेयर को खरीदने और बेचने वाले देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी।
इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे NSE के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। SEBI को इस बारे में एक सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि NSE के ऑफिसर की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
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