नई दिल्ली6 मिनट पहले
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लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2022 के बीच आने की संभावना नहीं है। इसकी वजह है इसके वैल्यूएशन में अनुमान से ज्यादा वक्त लगना। इसके साथ ही कई अन्य तैयारियां भी बची है।
LIC के IPO को मैनेज करने के लिए सरकार ने 10 मर्चेंट बैंकर्स अपॉइंट किए हैं। इसमें से एक मर्चेंट बैंकर के सीनियर अधिकारी ने कहा, LIC के वैल्यूएशन में काफी ज्यादा समय लग रहा है। वैल्यूएशन की प्रोसेस अगर पूरी भी हो जाती है तो उसके बाद रेगुलेटरी प्रोसेस को पूरा करना होगा।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, LIC के वैल्यूएशन की प्रोसेस उसके साइज, प्रोडक्ट मिक्स, रियल एस्टेट एसेट, सब्सिडियरी और प्रॉफिट शेयरिंग स्ट्रक्चर की वजह से काफी कॉम्प्लेक्स है। रेगुलेटरी प्रोसेस को लेकर अधिकारी ने कहा कि मार्च 2022 की डेडलाइन में इसे पूरा कर पाना मुश्किल होगा।
IPO के लिए LIC एक्ट 1956 में बड़े बदलाव
IPO को लाने के लिए LIC एक्ट 1956 में बड़े बदलाव किए गए हैं। कितने शेयर बेचे जाएंगे और वह किस प्राइस बैंड में होंगे, यह अब तक तय नहीं हुआ है। सरकार LIC के IPO इश्यू साइज से 10% शेयर पॉलिसी होल्डर्स के लिए सुरक्षित रखेगी।
पॉलिसी होल्डर्स के लिए कर्मचारियों की तरह रिजर्वेशन
LIC एक्ट में 2021 में हुए बदलावों में कहा गया है कि किसी पब्लिक इश्यू में जिस तरह कर्मचारियों के लिए शेयर सुरक्षित रहते हैं, उसी तरह का रिजर्वेशन LIC पॉलिसी रखने वालों के लिए किया जाएगा। सरकार LIC की 10% तक हिस्सेदारी बेचकर 40 हजार करोड़ रुपए से 1 लाख करोड़ रुपए जुटाना चाहती है।
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