चेन्नई22 मिनट पहले
IPL के 15 वें सीजन में चेन्नई के 20 साल के साई सुदर्शन ने मंगलवार को पंजाब किंग्स के खिलाफ आक्रामक पारी खेलकर टीम को संभाला, लेकिन गुजरात टाइटंस जीत नहीं सकी। सुदर्शन ने 50 गेंदों का सामना किया, जिसमें उन्होंने 5 चौके और एक छक्के की मदद से 65 रनों की नाबाद पारी खेली। यह उनके IPL करियर का बेस्ट स्कोर है। उन्होंने गुजरात टीम की ओर से IPL में डेब्यू किया है। टीम के सदस्य विजय शंकर की जगह उनको शामिल किया गया था। डेब्यू मैच में भी पंजाब के खिलाफ उन्होंने 30 गेंदों पर 35 रन बनाए।
साईं सुदर्शन टेस्ट क्रिकेटर बनना चाहते थे। उनके जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने ठान लिया कि टी-20 फॉमेंट में भी अपने को साबित करना है। 2021 तमिलनाडु क्रिकेट प्रीमियर लीग में लाइका कोवई किंग्स की ओर से डेब्यू मैच में सलेम स्पार्टन्स के खिलाफ 43 गेंदों में 87 रन बनाकर जता दिया, कि वह टी-20 के भी अच्छे बल्लेबाज हैं।
TPLमें धीमी बल्लेबाजी शैली के कारण नहीं मिला मौका
दरअसल साईं सुदर्शन 2019 में तमिलनाडु प्रीमियर लीग में चेपॉक सुपर गिल्लीज टीम के हिस्सा थे, पर एक भी मैच में उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया। वहीं कॉलेज की टी-20 टीम में भी उन्हें सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी के तौर पर रखा गया था। साईं को यह बात बुरी लगी और उन्होंने इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार करते हुए अपने को टी-20 फॉर्मेट के अनुरूप अपने बल्लेबाजी शैली में परिवर्तन करने का फैसला किया। उनके पिता भारद्वाज कहते हैं कि सुदर्शन ने 2020 में जब कोरोना की वजह से क्रिकेट बंद हो गया, तो तब उन्होंने अपने को टी-20 फॉर्मेट में एडजस्ट करने पर फोकस किया। आपदा के मिले 2 साल को अपने लिए अवसर में बदला और इसका असर TNPL में दिखा और उन्होंने डेब्यू मैच में ही शानदार बल्लेबाजी की।
साई सुदर्शन अपने परिवार के साथ।
पापा बनाना चाहते थे स्प्रिंटर, जबकि अंकल क्रिकेटर बनाना चाहते थे
सुदर्शन के क्रिकेट में आने पर भारद्वाज कहते हैं कि मैं स्प्रिंटर था, मैने साउथ एशियन गेम्स में देश के लिए मेडल जीता है। मैं चाहता था कि सुदर्शन भी एथलीट बने। मैं उनको स्प्रिंट की ट्रेनिंग भी देता था। स्कूल में वह स्प्रिंट ही करते थे और मेडल भी जीते। मेरा बड़ा भाई जो, डिवीजनल स्तर पर क्रिकेट खेल चुके थे, वह चाहते थे कि वह क्रिकेटर बने।
एकेडमी के मैच में ताबड़तोड़ पारी से पापा का मन बदला
सुदर्शन के पापा कहते हैं कि एक बार बीबी चंद्रशेखर क्रिकेट एकेडमी के मैच में सुदर्शन ने 13 गेंदों पर 29 रन बनाए। उस समय वह 13 साल के होंगे। मुझे लगा कि इनके अंदर क्रिकेटर बनने की क्षमता है। मैने उसने पूछा आप क्या करना चाहते हो, उनका जवाब था कि क्रिकेटर बनना है। फिर मैने उन्हें पूरा फोकस इसी पर करने को कहा।
क्रिकेट के लिए स्कूल बदला
भारद्वाज कहते हैं कि क्रिकेट के लिए सुदर्शन ने स्कूल बदला। दरअसल वह चेन्नई में स्थित गोपालपुरम स्थित डीएवी स्कूल में पढ़ते थे। उनका स्कूल पढ़ाई के लिए जाना जाता था। जबकि उनको तो क्रिकेटर बनना था। इसलिए उन्होंने मुझसे से हेमांग बदानी और श्रीराम के स्कूल सैंथोम हाई सेकेंडरी स्कूल में एडिशन कराने के लिए अनुरोध किया। आठवीं के बाद उन्होंने सैंथोम हाई सेंकेंडरी स्कूल में ही पढ़ाई की और कोच सनमुंगम के पास ट्रेनिंग करना शुरू कर दिया।
टीम इंडिया से खेलने का किया है वादा
भारद्वाज कहते हैं कि सुदर्शन ने मुझसे जो वादा किया था, उस पर वह चल पड़े हैं। दरअसल साईं ने स्कूल बदलने के लिए मेरे से वादा किया था कि वह टीम इंडिया से खेलकर दिखाएंगे। साईं अपने वादे की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे से किए गए उनका वादा जरूर पूरा होगा।
मां और भाई भी खेल से जुड़े हुए हैं
भारद्वाज ने बताया कि साईं के बड़े भाई साईं राम भी क्रिकेट खेलते हैं। हालांकि, अभी फिलहाल वे ऑस्ट्रेलिया में हैं। वहीं उनकी मां वॉलीबॉल खिलाड़ी रहीं और अभी कई खिलाड़ियों की फिटनेस ट्रेनर हैं।
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