नई दिल्ली3 दिन पहले
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हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (HDFC) और HDFC बैंक का मर्जर कल यानी 1 जुलाई को इफेक्टिव होगा। इसके बाद HDFC बैंक दुनिया के मोस्ट वैल्यूएबल बैंकों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा। ब्लूमबर्ग के अनुसार, मर्जर इफेक्टिव होने के बाद HDFC बैंक का मार्केट कैप लगभग 14.09 लाख करोड़ हो जाएगा।
इसके साथ ही बैंक के पास लगभग 12 करोड़ कस्टमर हो जाएंगे। बैंक अपने ब्रांच नेटवर्क को 8,300 से अधिक बढ़ाएगा और बैंक में कर्मचारियों की संख्या 1,77,000 से अधिक हो जाएगी।
बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्प के बाद चौथे स्थान पर पहुंच जाएगा HDFC बैंक
रिपोर्ट के अनुसार, HDFC बैंक दुनिया के मोस्ट वैल्यूएबल बैंक की लिस्ट में जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी, इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड और बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्प के बाद चौथे स्थान पर पहुंच जाएगा। ब्लूमबर्ग ने जून 22 में HDFC बैंक का अनुमानित मार्केट कैप 171.7 बिलियन डॉलर बताया था।
मर्जर का शेयरधारकों पर क्या असर होगा?
HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक के विलय के तहत निवेशकों को HDFC के 25 शेयर्स के बदले HDFC बैंक के 42 शेयर्स दिए जाएंगे। यानी अगर आपके पास HDFC लिमिटेड के 10 शेयर हैं तो मर्जर के तहत आपको 17 शेयर मिलेंगे।
HDFC और HDFC बैंक में क्या अंतर है?
HDFC एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है जो घर और दुकान सहित अन्य प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लोन उपलब्ध कराती है। वहीं HDFC बैंक में बैंक से संबंधित सारे काम होते हैं जैसे सभी तरह के लोन, अकाउंट खुलवाना या FD करना आदि।
क्यों हुआ ये मर्जर?
सरकारी बैंकों और न्यू-एज फिनटेक कंपनियों से बढ़ते कॉम्पिटिशन के बीच इस मर्जर की जरूरत पहले से महसूस की जा रही थी। मैनेजमेंट ने इस बात पर दांव लगाया है कि विलय से बनने वाली सिंगल यूनिट की बैलेंस शीट बहुत बड़ी होगी, जिससे बाजार में होड़ करने का दमखम बढ़ेगा।
यह विलय HDFC लिमिटेड के लिए ज्यादा प्रॉफिटेबल हो सकता है, क्योंकि इसका बिजनेस कम प्रॉफिटेबल है। HDFC बैंक के लिहाज से देखें तो इस विलय से यह अपना लोन पोर्टफोलियो मजबूत कर सकेगा। यह ज्यादा लोगों को अपने प्रोडक्ट्स ऑफर कर सकेगा।
ये बराबरी का विलय
HDFC लिमिटेड के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा था कि यह बराबरी का विलय है। हमारा मानना है कि RERA के लागू होने, हाउसिंग सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिलने, अफोर्डेबल हाउसिंग को लेकर सरकार की पहल जैसे तमाम दूसरी चीजों के कारण हाउसिंग फाइनेंस बिजनेस में बड़ी तेजी आएगी।
दीपक पारेख ने आगे कहा कि पिछले कुछ साल में बैंकों और NBFC के कई रेगुलेशन बेहतर बनाए गए हैं। इससे विलय की संभावना बनी। इससे बड़ी बैलेंस शीट को बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर लोन के इंतजाम का मौका मिला। साथ ही इकोनॉमी की क्रेडिट ग्रोथ बढ़ी। अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा मिला और कृषि सहित सभी प्रायोरिटी सेक्टर को पहले से ज्यादा कर्ज दिया गया।
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