नई दिल्ली18 घंटे पहले
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सरकारी आंकड़े दावा कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही (जुलाई, अगस्त और सितंबर) में GDP ग्रोथ रेट 8.4% पर पहुंच गई है। पिछले साल की इसी अवधि में GDP ग्रोथ रेट -7.3% थी। यानी कोरोना की पहली लहर से प्रभावित हुई इकोनॉमी अब रिकवरी मोड में है।
वहीं सप्लाई साइड से होने वाली इकोनॉमिक एक्टिविटी को दिखाने वाला ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में 8.5% बढ़ा है। नवंबर के GST कलेक्शन में भी सुधार आया है। अक्टूबर के मुकाबले इसमें बढ़ोतरी हुई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत की अर्थव्यवस्था वाकई तेजी से बढ़ रही है? कहीं ये केवल आंकड़ों की बाजीगरी तो नहीं? कोविड से पहले हम कहां खड़े थे और अब कहां खड़े हैं? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं:
GDP क्या है?
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रड्यूज सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उसे भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है।
दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैल्कुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैल्कुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो रेट थे उस हिसाब से कैल्कुलेशन। वहीं नॉमिनल GDP का कैल्कुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है।
कैसे कैल्कुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैल्कुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्पशन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।
क्या भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है?
दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े दिखा रहे हैं कि पिछले साल की इस अवधि की तुलना में ग्रोथ रेट 8.4% पर पहुंच गई है। इस आंकड़े को देखकर लगता है कि इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन जब हम पिछले साल के इसी अवधि के आंकड़े को देखते है तो तस्वीर कुछ और नजर आती है। दरअसल, पिछले साल मार्च में कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां थम गई थीं।
बाद में लॉकडाउन खुला, लेकिन फिर भी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई। इसका असर यह हुआ कि GDP बेस नीचे चला गया और इसे -7.3% नापा गया। जब बेस बहुत नीचे चला जाता है तो थोड़ी उछाल भी बड़े सुधार का भ्रम पैदा करती है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि पिछले साल देश की GDP 1000 रुपए थी। 7.3% की गिरावट के बाद वह 927 रुपए पर आ गई। अब अगर उसमें 8.4% की बढ़ोतरी हुई है, तो वह ऊपर तो गई है, लेकिन 1004 पर ही पहुंची है। यानी ये बढ़त काफी कम है।
पूर्व वित्त मंत्री बोले- यह ‘वी’ शेप रिकवरी नहीं
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी GDP के आंकड़ों को लेकर एक ट्वीट किया है। चिदंबरम ने कहा, 2021-22 Q1 में GDP ग्रोथ पिछले साल के -24.4% की तुलना में 20.1% थी। Q2 में, पिछले साल की -7.4% की तुलना में 8.4% रही है। यह ‘वी’ शेप रिकवरी नहीं है। अभी भी इकोनॉमी के ऐसे सेक्टर हैं जिन्हें मदद की जरूरत है और रिकवर होने में समय लगेगा।
बीते सालों से तुलना पर GDP के आंकड़े क्या कहते हैं?
वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था का आकार 35.71 लाख करोड़ रुपए हो गया है। पिछले साल की इसी अवधि में यह 32.96 लाख करोड़ रुपए था और 2019 में अर्थव्यवस्था का आकार 35.61 लाख करोड़ था। 2018 में 34.04 लाख करोड़ रुपए और 2017 में यह 31.97 लाख करोड़ रुपए था।
अगर ताजा आंकड़ों की तुलना कोरोना से पहले के साल यानी 2019 की दूसरी तिमाही से करते हैं तो 0.10 लाख करोड़ रुपए का ही फर्क नजर आता है। वहीं 2018 और 2019 के आंकड़ों की तुलना करने पर फर्क 1.57 लाख करोड़ रुपए दिखता है। 2017 और 2018 के आंकड़ों की तुलना करने पर ये फर्क 2.07 लाख करोड़ रुपए हो जाता है। यानी इकोनॉमी की बढ़ने की जो रफ्तार बीते वर्षों में देखने को मिली थी उससे हम अभी भी पीछे हैं।
कोविड से पहले की तुलना में हम कहा खड़े हैं?
प्राइवेट कंजम्पशन
इस साल, प्राइवेट कंजम्पशन (जो सकल घरेलू उत्पाद का 55% है) पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही की तुलना में 8.6% बढ़ा है। लेकिन यह बढ़ोतरी उतनी नहीं है जितनी दखाई दे रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल दूसरी तिमाही में प्राइवेट कंजम्पशन में 11% से ज्यादा की गिरावट आई थी।
वहीं अगर इस साल के प्राइवेट कंजम्पशन की तुलना कोरोना से पहले के समय से की जाए तो पता चलता है कि ये अभी भी उस लेवल से नीचे है। सीधे शब्दों में कहें तो लोगों ने इस साल दो साल पहले की समान तिमाही की तुलना में कम खर्च किया।
इन्वेस्टमेंट
बिजनेसेस की ओर से किया गया इन्वेस्टमेंट (जो सकल घरेलू उत्पाद का 33% है) इस साल की दूसरी तिमाही में 11% बढ़ा है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसमें 8.6% का संकुचन देखा गया था। बीते 5 सालों के Q2 डेटा से इसकी तुलना करें तो पता चलता है कि इस तिमाही में फर्म्स ने सबसे ज्यादा निवेश किया है। ये बताता है कि बिजनेसेस भारत की इकोनॉमिक रिकवरी को लेकर पॉजिटिव है।
गवर्नमेंट स्पेंडिंग
पिछले साल को छोड़कर (जो कोरोना से प्रभावित था) सरकार ने पांच सालों की तुलना में इस साल सबसे कम खर्च किया है।
GVA को देखना भी काफी अहम
Q2 ग्रोथ के आंकड़ों का एनालिसिस करते समय, GVA को देखना भी काफी अहम है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हमें इकोनॉमी के ओवरऑल हेल्थ के बारे में बताने के अलावा, यह भी बताता है कि कौन से सेक्टर संघर्ष कर रहे हैं और कौन से रिकवरी को लीड कर रहे हैं।
GST कलेक्शन में बढ़ोतरी
नवंबर महीने में ग्रॉस GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) कलेक्शन 1,31,526 करोड़ रुपए रहा। अक्टूबर 2021 में GST कलेक्शन 1.30 लाख करोड़ रहा था। पिछले साल यानी 2020 के नवंबर महीने में कलेक्ट हुई राशि से इस साल के GST कलेक्शन की तुलना की जाए तो यह करीब 25% और 2019 के इसी महीने से करीब 27% ज्यादा है।
सोर्स: PIB
नवंबर का GST कलेक्शन साल 2017 में GST लागू होने के बाद से अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन है। अप्रैल में सरकार ने अबतक का रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ रुपए का GST कलेक्ट किया था। टैक्स एक्सपर्ट्स ने कहा कि GST रेवेन्यू में तेजी इकोनॉमिक रिकवरी और टैक्स अथॉरिटी की ओर से सर्विलांस एक्टिविटी में बढ़ोतरी के कारण आई है।
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