2 दिन पहले
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अब स्विगी (Swiggy) से खाना ऑर्डर करने पर लोगों को 2 रुपए देना होगा। ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने अब हर ऑर्डर पर ‘प्लेटफॉर्म फीस (Platform Fee)’ लेना शुरू कर दिया है। फिलहाल, स्विगी के यूजर्स फूड ऑर्डर करने पर अभी डिलीवरी फीस और टैक्स चुकाते हैं।
कंपनी ने डिलीवरी कारोबार में मंदी के चलते अपनी इनकम बढ़ाने और लगातार बढ़ रही लागत को कम करने के लिए यह फैसला लिया है। इस फीस को पिछले हफ्ते लागू किया गया था। इसकी शुरुआत बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों से की गई थी। अब जल्द ही बाकी शहरों में भी लागू किया जाएगा है।
स्विगी से हर दिन 15 लाख से ज्यादा ऑर्डर होते हैं
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, प्लेटफॉर्म फीस को फिलहाल फूड ऑर्डर पर लागू की गई है। इंस्टामार्ट (Instamart) के जरिए ग्रॉसरी के ऑर्डर पर अभी ये चार्ज नहीं लगेगा। लेकिन, स्विगी वन (Swiggy One) के कस्टमर को ये फीस देनी होगी। 2 रुपए भले ही काफी कम है, लेकिन इससे स्विगी की इनकम में काफी बढ़ सकती है। क्योंकि, प्लेटफॉर्म से हर दिन औसतन 15 लाख से भी अधिक ऑर्डर होते हैं।
जनवरी में 380 कर्मचारियों की छंटनी की थी
इससे पहले स्विगी ने जनवरी 2023 में 380 एम्प्लॉइज की छंटनी की थी। स्विगी के CEO श्रीहर्ष मजेटी ने कर्मचारियों को भेजे ई-मेल में कहा था कि यह सभी अवेलेबल ऑप्शंस को एक्सप्लोर करने के बाद लिया गया एक बहुत ही मुश्किल फैसला है। इससे गुजरने के लिए आप सभी से मैं माफी मांगता हूं।
स्विगी के एम्प्लॉइज पर काम का दबाव
कंपनी ने अक्टूबर 2022 में अपने परफॉर्मेंस रिव्यू को पूरा किया था। जिसके बाद सभी एम्प्लॉइज को परफॉर्मेंस इंप्रूवमेंट प्लान (PIP) के तहत रखा गया था। सूत्रों के मुताबिक, स्विगी के एम्प्लॉइज पर काम का भारी दबाव है, क्योंकि मैनेजमेंट नंबर्स हासिल करने के लिए टीमों में फेरबदल और IPO लॉन्च करने से पहले पॉजिटिव यूनिट इकोनॉमिक्स को प्रभावित कर रहा है।
मार्केट में जोमैटो से पिछड़ रही स्विगी
बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं और मंदी की आशंकाओं के बीच भारतीय स्टार्ट-अप्स संभावित फंडिंग विंटर की ओर देख रहे हैं। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने नवंबर में कहा था कि स्विगी तेजी से अपने राइवल जोमैटो से मार्केट में अपनी हिस्सेदारी खो रही है।
FY22 में स्विगी को दोगुना घाटा हुआ
फाइनेंशियल ईयर 2022 (FY22) में स्विगी का घाटा दोगुना से अधिक बढ़कर 3,628.90 करोड़ रुपए रहा था। स्विगी के मुताबिक, कंपनी को यह घाटा अपने ग्रॉस रेवेन्यू को बढ़ाने की कोशिशों के कारण हुआ है। FY22 में स्विगी का ग्रॉस रेवेन्यू 124% बढ़कर 5,705 करोड़ रुपए रहा। वहीं FY21 में कंपनी का ग्रॉस रेवेन्यू 2,547 करोड़ रुपए रहा था।
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