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मुंबई5 घंटे पहले
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज प्रेस कांफ्रेंस कीं। उन्होंने सीधे-सीधे कांग्रेस पर निशाना साधा। कहा कि देवास मल्टीमीडिया का सौदा धोखाधड़ी का था। कांग्रेस के समय संसाधनों का सिर्फ दुरुपयोग किया गया।
सुप्रीमकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा
दरअसल, सुप्रीमकोर्ट ने देवास मल्टीमीडिया के मामले में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले को बरकरार रखा। इसी के बाद आज वित्तमंत्री ने इस पर बयान देने के लिए प्रेस कांफ्रेंस कीं। उन्होंने कहा कि उस समय के टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेंस की थी, लेकिन उनकी ओर से इस मामले में कैबिनेट नोट तक का जिक्र नहीं किया गया।
देवास-एंट्रिक्स पर किया बात
वित्तमंत्री ने कहा कि मैं देवास-एंट्रिक्स मुद्दे पर बात कर रही हूं। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने व्यापक आदेश दिया है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (UPA) के समय 2011 में यह सौदा रद्द किया गया था। NCLAT ने देवास मल्टीमीडिया बंद करने को कहा था, जिसको सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी गई थी। उसी चुनौती के मामले में कोर्ट ने NCLAT के फैसले को सही ठहराया।
कांग्रेस की खासियत रही है
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस तरह के वेबलेंथ, सेटेलाइट या स्पेक्ट्रम बैंड की बिक्री करना, इसे निजी कंपनियों को बेचकर फंड जुटाना कांग्रेस की खासियत रही है। 2005 में एंट्रिक्स और देवास के बीच यह डील हुई थी, जो देश के लोगों के साथ धोखा था। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार पर पावर का गलत इस्तेमाल करके S-बैंड स्पेक्ट्रम बेचने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक, इस तरह का इस्तेमाल नेशनल सिक्योरिटीज के लिए किया जाता था।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश से पता चलता है कि कैसे यह सरकार गलत कामों में शामिल थी। एंट्रिक्स और देवास का सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ था। अब कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि उसने देश के लोगों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी कैसे की।
सरकार हर कोर्ट में लड़ रही है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि सरकार हर अदालत में लड़ रही है, ताकि देवास एंट्रिक्स डील फ्रॉड से बच न सकें। हम टैक्सपेयर्स के पैसे बचाने के लिए लड़ रहे हैं, जो इस धोखाधड़ी वाली एंट्रिक्स-देवास डील में चला जाता। उन्होंने कहा कि एंट्रिक्स डील को रद्द करने के खिलाफ देवास शेयर होल्डर्स की दलीलों पर ऑर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल्स ने 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा लागत और ब्याज दिया है।
2005 में हुई थी इसरो के साथ डील
साल 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और देवास मल्टीमीडिया के बीच एक डील हुई थी। इसमें इसरो द्वारा देवास मल्टीमीडिया के लिए 2 सैटेलाइट लॉन्च किए जाने थे। ये सैटेलाइट टेलीकॉम सेक्टर के लिए थे। यह काफी कम फ्रिक्वेंसी पर लॉन्च होने वाले थे, जिससे कंपनी को बहुत कम टॉवर लगाने की जरूरत पड़ती है। उस समय तक इसरो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन होता था। इससे 2005 से 2010 तक काफी सवाल खड़े किए गए और बवाल भी मचा। इसी के बाद इस डील को रद्द कर दिया गया था। देवास ने इसी आधार पर भारी मुआवजा मांगा था, जिसे NCLAT में चुनौती दी गई।
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