नई दिल्लीएक घंटा पहले
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एनुअल समिट के लिए भारत आ रहे हैं। पुतिन की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, अंतरिक्ष, टेक्नोलॉजी और ऊर्जा के क्षेत्र में करीब 10 समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत और रूस के इकोनॉमिक रिलेशन्स के बारे में। ये भी बताएंगे कि पुतिन का दौरा दोनों देशों के इकोनॉमिक रिलेशन्स के लिए कितना अहम है? इस दौरे पर किन समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं? लेकिन सबसे पहले दोनों देशों के इकोनॉमिक रिलेशन्स के इतिहास पर एक नजर डाल लते हैं…
भारत के आजादी के बाद से ही रूस के साथ मजबूत संबंध रहे हैं। रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और कई अन्य क्षेत्रों के डेवलपमेंट में रूस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। साल 1990 में जब सोवियत संघ टूट रहा था उस दौर में भारत और रूस की नजदीकी बढ़ी और एक दूसरे को राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग देने पर सहमति बनी। इसके बाद दोनों देशों के बीच ट्रेड में भी तेजी आई। रूस लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता रहा है। डिफेंस के अलावा पेट्रोलियम, फार्मा और न्यूक्लियर एनर्जी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच व्यापार होता है।
FY21 में दोनों देशों का बाइलेट्रल ट्रेड
https://www.indianembassy-moscow.gov.in/ के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2020-मार्च 2021 के दौरान बाइलेट्रल ट्रेड 8.1 अरब डॉलर था। इस दौरान इंडियन एक्सपोर्ट 2.6 अरब डॉलर का रहा, जबकि रूस से इंपोर्ट 5.48 अरब डॉलर था। वहीं रूसी आंकड़ों के अनुसार, बाइलेट्रल ट्रेड 9.31 अरब डॉलर था, जिसमें इंडियन एक्सपोर्ट 3.48 अरब डॉलर और इंपोर्ट 5.83 अरब डॉलर था।
2025 तक निवेश को 50 अरब डॉलर के पार ले जाने का टारगेट
भारत और रूस के बीच दो-तरफा निवेश का ’30 अरब डॉलर’ का टारगेट पहले ही पूरा हो चुका है। अब दोनों देशों ने एक नया टारगेट तय किया है। ये देश मिलकर 2025 तक दो-तरफा निवेश को 50 अरब डॉलर के पार ले जाना चाहते हैं। वहीं भारत और रूस के बीच बैंकिंग रिलेशन भी कुछ बेहतर हुए हैं। कई रूसी बैंकों ने भारत में अपने रिप्रजेंटेटिव ऑफिस/ब्रांच खोली हैं। इनमें VTB, Sberbank, Vnesheconombank, Promsvazbank और Gazprombank शामिल हैं। इसी तरह, कॉमर्शियल बैंक ऑफ इंडिया LLC (SBI और केनरा बैंक का जॉइंट वेंचर) रूस में बैंकिंग सेवाएं दे रहा है।
पुतिन का दौरा इकोनॉमिक रिलेशन्स के लिए कितना अहम?
रूस लंबे समय से भारत का भरोसेमंद सहयोगी रहा है। इसके बाद भी दोनों देशों के बीच आपसी व्यावसायिक कारोबार काफी कम है। दोनों देशों के बीच बाइलेट्रल ट्रेड अभी तक करीब 10 अरब डॉलर से आगे नहीं बढ़ सका है। बाइलेट्रल इन्वेस्टमेंट भी अपनी कैपेसिटी से नीचे है। दोनों देश चाहते हैं कि उनका बाइलेट्रेल ट्रेड 2025 तक 30 अरब डॉलर को पार कर जाए। ऐसे में कारोबार को बढ़ाने के लिए दोनों देश एक रास्ता तलाशने में जुटे हैं। साल 2019 में अपनी रूस यात्रा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व इलाके के साथ कारोबार बढ़ाने पर जोर दिया था। इस लिहाज से पुतिन ये दौरा अहम माना जा रहा है।
किन समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं?
पुतिन की एक दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देश ट्रेड, एनर्जी, कल्चर, डिफेंस, स्पेस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करीब 10 समझौते कर सकते हैं। रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाकोव ने मॉस्को में इसे लेकर बयान दिया था। इसमें सबसे अहम डिफेंस सेक्टर है जिस पर दुनिया की नजरें टिकी होंगी। इस दौरे में 10 हजार 300 किलोमीटर के चेन्नई व्लादिवोस्तोक सी-रूट को लेकर समझौता हो सकता है। 2019 में मोदी जब रूस गए थे तब इस पर बातचीत हुई थी। अगर इस पर समझौता होता है तो दोनों ओर के शिप्स को एक-दूसरे के यहां पहुंचने में 24 से 40 दिन कम लगेंगे।
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