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94 की उम्र में जीता इंटरनेशनल गोल्ड मेडल: दिव्यांग पोता मेरा ट्रेनर, बाईपास सर्जरी हुई तो घी पीना बंद किया, रोज 2 KM दौड़ती हूं

नई दिल्ली13 मिनट पहलेलेखक: सुनाक्षी गुप्ता

हाल ही में 94 साल की भगवानी देवी डागर ने फिनलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022 में एक गोल्ड और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। 7 महीने पहले ही दादी ने एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रखा। स्टेट, नेशनल और फिर इंटरनेशनल चैंपियनशिप तक का सफर तय किया। उनके नाम 100 मीटर रेस को 24.74 सेकेंड में पूरा करने का नेशनल रिकॉर्ड भी है। वह आगे भी इसी तरह खेलने का जज्बा रखती हैं। अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस पर पढ़ें 94 साल की यंग दादी की कहानी, उन्हीं की जुबानी…

कभी स्कूल और ग्राउंड का चेहरा नहीं देखा था, आज स्पोर्ट्स एकेडमी में बच्चे पूछते हैं जीत का राज।

कभी स्कूल और ग्राउंड का चेहरा नहीं देखा था, आज स्पोर्ट्स एकेडमी में बच्चे पूछते हैं जीत का राज।

दादी को ट्रेनिंग देता है पैरालिंपिक मेडल विनर पोता विकास
मैंने खेतों में काम किया है, और आज भी दो किलोमीटर सैर करती हूं। शरीर को हमेशा एक्टिव रखती थी लेकिन मुझे खिलाड़ी बनाने का हौसला मेरे पोते विकास ने दिया। आज मैं जिस ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जाती हूं, वहां मेरा बड़ा पोता भी प्रैक्टिस करता है। वही मुझे सब सिखाता है। मेरे पोते विकास ने पैरालिंपिक में देश के लिए मेडल जीता है।

पोता विकास डागर भी पैरालिंपिक में एथलीट है, पोता ही दादी को चैंपियशिप के लिए तैयार करता है।

पोता विकास डागर भी पैरालिंपिक में एथलीट है, पोता ही दादी को चैंपियशिप के लिए तैयार करता है।

मैंने तो गोला फेंकना भी उसी से सीखा। एक बार मैंने पोते से पूछा कि ये क्या है, तो वो बोला कि दादी ये फेंकने वाला गोला है। उसने कहा, जरा इसे फेंककर दिखाना। फिर क्या था। मैंने दो-तीन बार में ऐसा गोला फेंका कि वो काफी दूर जाकर गिरा। मैं अगले दिन सुबह 5 बजे ही उसके पास पहुंच गई और कहा, मुझे ये अच्छे से सिखाओ। बस इसी तरह मैं गोला फेंकना, चक्का फेंकना, भाला फेंकना सब सीख गई। मैं मीटर-वीटर तो नहीं जानती, लेकिन अपने घर की सामने वाली सड़क से दूध की दुकान तक गोला फेंक लेती हूं।

6 महीने में तय किया स्टेट से इंटरनेशनल लेवल का सफर
मैंने जनवरी 2022 में खेलों की ट्रेनिंग लेना शुरू किया है। सबसे पहले दौड़ लगाई, फिर गोला और चक्का फेंका। कुछ महीने बाद दिल्ली (स्टेट मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022) में भाग लिया और तीन गोल्ड मेडल जीते। इसके बाद चेन्नई में (42वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप) में भी तीन गोल्ड मेडल जीते।

फिर मैं फ़िनलैंड गई। वहां (वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स 2022) सीनियर सिटीजन कैटेगरी में मैंने 100 मीटर दौड़ में गोल्ड जीता। शॉटपुर और डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल जीता। आज मेरे पास 9 मेडल हो गए हैं।

नेशनल - इंटरनेशनल चैंपियनशिप में 9 मेडल जीतें, अब 10वें की तैयारी कर रहीं दादी।

नेशनल – इंटरनेशनल चैंपियनशिप में 9 मेडल जीतें, अब 10वें की तैयारी कर रहीं दादी।

हार्ट अटैक के बाद घरवाले डरने लगे थे
मैं 2019 से ही खेलना चाहती थी, मगर तब हिम्मत नहीं हो सकी। परिवार के लोग डरते थे क्योंकि मुझे हार्ट अटैक आया था। साल 2007 में मेरी ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी बाईपास के बाद मैं सही हुई थी। अब तो मैं बिलकुल फिट हूं मगर परिवार के लोग मुझे लेकर थोड़ा घबरा जाते हैं।

मेरा पोता मुझे ग्राउंड में भारी एक्सरसाइज नहीं कराता। न ही मैं कभी जिम जाती हूं। हां, टहलने रोज जाती हूं, अच्छा खाती हूं और फिट रहती हूं।

मेरे फ़िनलैंड जाने की बात आई तो सब घरवाले घबरा गए थे कि इतनी दूर फ्लाइट से दूसरे देश कैसे जाऊंगी। कहीं कोई दिक्कत न हो जाए। मगर मैंने भी साफ कह दिया कि अगर मुझे कुछ हुआ तो देश वापस ले आना, अब मैंने अपनी जिंदगी तो जी ली है, अगर कुछ हुआ तो भी कोई बात नहीं। बस फिर क्या था परिवार के लोगों ने डरना बंद किया और मैं विदेश के सफर पर निकल पड़ी।

देश के लिए मेडल जीता तो बहुत ही अच्छा महसूस हुआ। 10 घंटे की लंबी फ्लाइट के बाद जैसे ही दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची तो चैंपियन की तरह मेरा स्वागत हुआ। मैंने भी दो-चार ठुमके लगाए थे।

लड़के पूछते हैं, दादी कितना घी पीती हो
अपने जमाने में मैं बहुत मोटी-तगड़ी थी, अब बुढ़ापा आ गया है तो शरीर ढल गया है। मैं बाहर का कुछ नहीं खाती। एक गिलास दूध शाम को लेती हूं, सुबह एक गिलास छाछ-लस्सी लेती हूं। खाली सूखी रोटी बनवाती हूं, कोई चिकनाई नहीं खाती, हां मगर तीखा जरूर खा लेती हूं। हार्ट अटैक आया था तभी से चिकनाई बंद कर दी है। कभी-कभी बहू बच्चों के लिए मैगी बनाती है तो अपने लिए भी बस एक कटोरी बनवा लेती हूं। जब ग्राउंड पर दौड़ने गई तो लड़के सब पूछने लगे कि कितना घी खाती हो ताई? मैंने कहा, मैं तो बस चुपड़ी रोटी खाती हूं।

हेल्दी रहने के लिए रोज लगाती हैं दौड़, नहीं खाती घी-तेल।

हेल्दी रहने के लिए रोज लगाती हैं दौड़, नहीं खाती घी-तेल।

सहेलियों को साथ सैर पर जाती हूं, खेलती भी हूं
मैं रोजाना प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड पर जरूर जाती हूं, फिर भले मेरे साथ कोई जाए या न जाए। मगर मेरी सहेलियां मेरे साथ जरूर जाती हैं। वह प्रैक्टिस भी करती हैं, बहुत मजा आता है। बुजुर्ग जरूर हूं मगर एक जगह बैठे रहना मुझे पसंद नहीं। अपने छोटे-मोटे काम खुद ही करना पसंद करती हूं। इसी बहाने शरीर भी चलता रहता है।

देसी खाना खाओ, खूब खेलो…चैंपियन बन जाओगे
बच्चे पूछते हैं कि दादी फिट रहने के लिए क्या करूं तो मैं यही कहती हूं कि अच्छा खाना खाओ, देसी खाना खाओ, खूब भागो, खूब दौड़ो, खूब खेलो… बस चैंपियन बन जाओगे।

अगली वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी शुरू
भगवानी के पोते विकास का कहना है कि वह अगले साल 26 मार्च से 2 अप्रैल के बीच पोलैंड में होने वाली वर्ल्ड इंडो मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने की तैयारी कर रही हैं। उस वक्त तक सब ठीक रहा तो दादी एक बार फिर देश के लिए मेडल जीतकर आएंगी।

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