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70 साल में 4 बार बदले केएफसी के मालिक: वही ‘मुस्कुराता चेहरा’ आज भी इसकी पहचान,सीईओ तक को नहीं पता इसकी रेसिपी

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  • The Same ‘smiling Face’ Is Still Its Identity, Even The CEO Does Not Know Its Recipe

4 घंटे पहलेलेखक: आतिश कुमार

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मशहूर अमेरिकी लेखक स्टीफन किंग ने कभी दुनिया के सामने एक विचार रखा था ‘एक प्रोडक्ट फैक्ट्री में पैदा हो सकता है लेकिन उसे ब्रांड उसके कस्टमर ही बनाते हैं। दूसरी कंपनियां आपके प्रोडक्ट की नकल कर सकते हैं लेकिन ब्रांड की नहीं।’ केएफसी ऐसा ही एक ब्रांड है। जो दुनिया की सबसे बड़ी रेस्तरां चेन में से एक है। जिसके फ्राइड और नॉन-फ्राइड चिकन प्रोडक्ट और फाउंडर की कहानी को कई बिजनेस स्कूल्स में केस स्टडी के रूप में पढ़ाया जाता हैं। केएफसी के शुरू होने से लेकर अब तक कई मालिक बदले। लेकिन इसका स्वाद आज भी ग्राहकों की पसंद बना हुआ है। फिलहाल केएफसी रूस में खुल रहे उसके रिप्लेसमेंट ब्रांड रोस्टिक्स की वजह से चर्चा में है। गौरतलब है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से केएफसी रूस से बाहर हो गया है।

मेगा एम्पायर में आज केएफसी के सफल होने की कहानी …

केएफसी का सालों से एक ही चेहरा कर्नल सैंडर्स
आपने केएफसी की बकेट से लेकर उसके स्टोर्स पर एक हंसते हुए बूढ़े चेहरे को तो देखा ही होगा। वो हंसता हुआ चेहरा हैं- कर्नल सैंडर्स। जो इस ब्रांड की सालों से पहचान हैं। 1890 में अमेरिका के इंडियाना प्रांत में जन्मे सैंडर्स का बचपन अभावों में बीता। सैंडर्स ने 7 साल की उम्र से ही खाना पकाना सीख लिया था। पिता की मौत के बाद घर संभाला और अलग-अलग तरह के काम किए। फिर 40 साल की उम्र में केंटुकी प्रांत में एक गैस स्टेशन खरीदा। यहां कुर्सी-टेबल रखकर चिकन बेचने लगे। लोगों को स्वाद पसंद आया तो इसे रेस्तरां में तब्दील कर दिया। 1939 में सैंडर्स को आखिरकार चिकन फ्राई करने का सही तरीका समझ आ गया। उन्होंने 11 हर्ब्स और मसालों का मिकस्चर तैयार किया और तब चिकन फ्राई करने की सीक्रेट रेसिपी तैयार हुई। उनके एक दोस्त पीटर हरमन ने इस चिकन को केंटुकी फ्राइड चिकन नाम दिया और तब से कंपनी का नाम पड़ गया- केएफसी।

पिज्जा हट और केएफसी की पैरेंट कंपनी एक
शुरू होने से अब तक केएफसी कई लोगों के हाथों में गई और हर बार इसकी वैल्युएशन बढ़ती गई। सबसे पहले फाउंडर कर्नल सैंडर्स ने 1964 में इसे 2 मिलियन डॉलर में दो लोगों- जॉन ब्राउन और जैके मेसी को बेचा था। हालांकि इसमें उन्होंने अनुबंध किया कि सैंडर्स को जीवनभर सैलरी दी जाएगी, साथ ही केएफसी का क्वालिटी कंट्रोल करने के साथ ट्रेडमार्क उनके ही नाम रहेगा। 1970 तक केएफसी के 48 देशों में तीन हजार आउटलेट्स हो चुके थे। 1971 में ब्राउन ने कंपनी को एक फूड एंड ड्रिंक कंपनी- ह्यूबलीन को बेच दिया। 1980 में सैंडर्स का निधन हो गया। 1982 में ह्यूबलीन को आरजे रेनॉल्ड नाम की तंबाकू कंपनी ने खरीद लिया। फिर 1986 में रेनॉल्ड ने 850 मिलियन डॉलर में इसे पेप्सिको को बेच दिया। 1997 में पेप्सिको ने रेस्तरां बिजनेस में आने के लिए यम नाम की कंपनी बनाई और केएफसी की पैरेंट कंपनी बनी यम ब्रांड्स। जो मौजूदा समय में पिज्जा हट और टैको बेल की भी पैरेंट कंपनी है।

केएफसी की रेसिपी अभी भी सीक्रेट बनी हुई है…
केएफसी 1930 से अपने वर्ल्ड फेमस फ्राइड चिकन को परोस रहा है। कर्नल सैंडर्स ने इसकी रेसिपी 11 मसालों-हर्ब्स को मिलाकर तैयार की थी। उन्होंने इस रेसिपी को अपने हाथ से एक पन्ने पर लिखा था और फिर उसकी एक फोटो कॉपी कराई थी। यह रेसिपी आज भी सीक्रेट है और केएफसी के हेडक्वार्टर में तालाबंद है। यह इतनी सुरक्षित है कि इसे इसके सीईओ भी नहीं जान सकते। यहां तक ​​कि केएफसी की न्यूट्रीशनल गाइड में इस रेसिपी के बारे में कुछ नहीं मिलता।

केएफसी की कमाई फ्रेंचाइजी मॉडल से
शुरुआत में बिजनेस बढ़ाने के लिए सैंडर्स गली-गली जाकर चिकन बेचते थे। और फ्रेंचाइज लेने के लिए लोगों से विनती करते। अलग-अलग रिपोर्ट्स की माने तो उन्हें 1009 बार ‘ना’ सुनना पड़ा। इसके बाद उन्हें पहली ‘हां’ 1952 में मिली और उन्होंने अपनी पहली फ्रेंचाइज दी। आज केएफसी एक दूसरी कंपनी ‘यम! ब्रांड्स’ का हिस्सा है। रेस्तरां खोलने में भारी निवेश और खर्च होता है इसलिए केएफसी फ्रेंचाइज के लोकप्रिय मॉडल पर काम करती है। मतलब एक लाइसेंस के जरिए यह अपना लोगो, नाम, काम करने का तरीका और प्रोडक्ट को बेचने की इजाजत देती है। इसके बदले में यह फ्रेंचाइज से पैसा लेती है। केएफसी के पास सिर्फ 70 रेस्तरां की इमारतों का मालिकाना हक है। इसके दुनियाभर में 55,000 स्टोर्स हैं। इसमें 85 फीसदी अमेरिका के बाहर हैं और 99 फीसदी फ्रेंचाइज मॉडल पर काम करते हैं। भारत में केएफसी और पिज्जा हट का मालिकाना हक देव्यानी इंटरनेशनल लिमिटेड के पास है। यहां केएफसी का पहला रेस्तरां 1995 में खुला। देव्यानी ग्रुप भारत में केएफसी का सबसे बड़ा फ्रेंचाइज पार्टनर है।

रोचक: जापान में क्रिसमस पर केएफसी डे..
जापान में जैसे ही क्रिसमस आता है, केएफसी के बाहर लाइन लग जाती है। जापान में केएफसी के लिए दिसंबर 24 और 25 साल का सबसे व्यस्त दिन होता है। यहां क्रिसमस के दिन लोग केएफसी की बकेट खरीदते हैं। इसके लिए हर साल कई हफ्तों पहले तक बुकिंग हो जाती है। इस सफलता के पीछे जबरदस्त मार्केटिंग है। 1970 के दशक में, केएफसी जापान आया और 1974 में अपना क्रिसमस कैंपेन शुरू किया। इसमें केएफसी के फेमस फ्राइड चिकन की एक बकेट और शराब की बोतल साथ बेची गई। इसकी टैगलाइन रखी गई- केंटुकी फॉर क्रिसमस (केएफसी)। यह कैंपेन हिट साबित हुआ और पूरे जापान में एक परंपरा बन गई जो आज भी कायम है।

भारत में रेस्तरां को स्मार्ट बनाने में लगा हुआ है केएफसी

पुणे में मौजूद केएफसी का इनोवेटिव रेस्तरां

पुणे में मौजूद केएफसी का इनोवेटिव रेस्तरां

नवंबर 2022 में केएफसी इंडिया के जनरल मैनेजर मोक्ष चोपड़ा ने देश के प्रमुख शहरों में केएफसी स्मार्ट रेस्तरां की लॉन्चिंग का एलान किया था। केएफसी स्मार्ट रेस्तरां में ऑर्डर के लिए पारंपरिक कांउटर की बजाय कियोस्क लगाए गए हैं। पेमेंट के कई विकल्प हैं. जैसे- पेटीएम और क्यूआर कोड। इसके अलावा चेन्नई के पेरंबूर में केएफसी के रेस्तरां को रेलवे कोच जैसा बनाया गया है। वहीं गुरुग्राम के एक मॉल के रेस्तरां में अंग्रेजी के एल (L) आकार की डिजिटल वॉल बनाई गई है। बेंगलुरु का ब्रिगेड रोड का स्टोर भी खास है। यहां लाल, काले और सफेद रंग में खास तरह से तैयार ये रेस्तरां इसके फाउंडर शेफ कर्नल सैंडर्स से जुड़े अनुभव कराते हैं।

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