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66 रुपए लीटर वाले फ्यूल पर दौड़ेंगी गाड़ियां: नितिन गडकरी ने कहा- अगस्त में लॉन्च करूंगा 100% एथेनॉल पर चलने वाले वाहन

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3 दिन पहले

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भारत में 100% एथेनॉल फ्यूल पर चलने वाले वाहन अगस्त में लॉन्च किए जाएंगे। ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने गुरुवार (29 जून) को एक इंटरव्यू में कहा कि यह देश में एक क्रांतिकारी पहल होगी, जो इम्पोर्ट-ऑप्शन, कॉस्ट इफेक्टिव, पॉल्युशन फ्री और पूरी तरह स्वदेशी होगी।

वर्तमान में भारतीय बाजार में एथेनॉल की कीमत लगभग 66 रुपए लीटर के आसपास है और पेट्रोल की कीमत 108 रुपए के आसपास चल रही है। अगर ऐसा होता है तो जल्द ही भारतीय सड़कों पर सस्ते फ्यूल पर टू-व्हीलर और कारें दौड़ती नजर आएंगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘अगस्त से मैं 100% एथेनॉल पर चलने वाले वाहन लॉन्च करूंगा। बजाज, TVS और हीरो ने 100% एथेनॉल पर चलने वाली मोटरसाइकिलें बनाई हैं।’ उन्होंने कहा कि टोयोटा कंपनी की 60% पेट्रोल और 40% बिजली से चलने वाली कैमरी कार की तरह ही अब देश में ऐसे वाहन लॉन्च किए जाएंगे, जो 60% एथेनॉल और 40% बिजली से चलेंगे।

यहां हम एथेनॉल और सरकार की पॉलिसी के बारे में बता रहे हैं।

क्या होता है एथेनॉल?
एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जो स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इको-फ्रैंडली फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से होता है, लेकिन स्टार्च कॉन्टेनिंग मटेरियल्स जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है।

  • 1G एथेनॉल : फर्स्ट जनरेशन एथेनॉल गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू, मीठा ज्वार और मक्का से बनाया जाता है।
  • 2G एथेनॉल : सेकंड जनरेशन एथेनॉल सेल्युलोज और लिग्नोसेल्यूलोसिक मटेरियल जैसे – चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, कॉर्नकॉब (भुट्टा), बांस और वुडी बायोमास से बनाया जाता है।
  • 3G बायोफ्यूल : थर्ड जनरेशन बायोफ्यूल को एलगी से बनाया जाएगा। अभी इस पर काम चल रहा है।

अप्रैल से देश में बिक रहीं E-20
पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से होने वाले एयर पॉल्यूशन को रोकने और फ्यूल के दाम कम करने के लिए दुनियाभर की सरकारें एथेनॉल ब्लेंडेड फ्यूल पर काम कर रही हैं। भारत में भी एथेनॉल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इससे गाड़ियों का माइलेज भी बढ़ेगा।

देश में 5% एथेनॉल से प्रयोग शुरू हुआ था जो अब 20% तक पहुंच चुका है। सरकार अप्रैल के महीने में नेशनल बायो फ्यूल पॉलिसी लागू कर E-20 (20% एथेनॉल + 80% पेट्रोल) से E-80 (80% एथेनॉल + 20% पेट्रोल) पर जाने के लिए प्रोसेस शुरू कर चुकी है। इसके अलावा देश में अप्रैल से सिर्फ फ्लेक्स फ्यूल कंप्लाइंट गाड़ियां ही बेची जा रही हैं। साथ ही पुरानी गाड़ियां एथेनॉल कंप्लाएंट व्हीकल में चेंज की जा सकेंगी, हालांकि इसके लिए अभी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं है।

दिल्ली में हुए ऑटो एक्सपो 2023 में दिखी थी 100% एथेनॉल पर चलने वाले वाहनों की झलक

एथेनॉल मिलाने से क्या फायदा है?
पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी एथेनॉल कम करता है। एथेनॉल में मौजूद 35% ऑक्सीजन के चलते ये फ्यूल नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है।

  • आम आदमी को क्या फायदा : एथेनॉल मिलावट वाले पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम गर्म होती हैं। एथेनॉल में अल्कोहल जल्दी उड़ जाता है, जिसके चलते इंजन जल्द गर्म नहीं होता है। इसके अलावा ये कच्चे तेल के मुकाबले काफी सस्ता पड़ेगा। इससे भी महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है।
  • किसानों को फायदा : एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। क्योंकि एथेनॉल गन्ने, मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है। चीनी मिलों को कमाई का एक नया जरिया मिलेगा और कमाई बढ़ेगी। एथेनॉल से किसानों को 21 हजार करोड़ रुपए का फायदा हुआ है।

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