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20 रुपए तक महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल: LPG और CNG के दाम भी 15 रुपए तक बढ़ सकते हैं, 8 साल बाद फिर 100 डॉलर के पार हुआ कच्चा तेल

नई दिल्ली8 घंटे पहले

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रूस-यूक्रेन के बीच जंग का असर जल्द ही आपकी जेब पर भी देखने को मिलेगा। दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होते ही कच्चे तेल के दाम 8 साल के हाई पर पहुंच गए हैं। इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) के दाम 103 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गए हैं। इससे पहले 2014 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर के पार गए थे। इसके अलावा नैचुरल गैस की कीमत भी अब बढ़ने लगी है। इसके चलते आने वाले दिनों में LPG और CNG के दाम भी 10 से 15 रुपए तक बढ़ सकते हैं।

चुनाव के बाद बढ़ सकते हैं दाम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित 5 राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी को महंगाई के मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है। विधान सभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने हैं इसके बाद पेट्रोल-डीजल महंगे हो सकते हैं। क्योंकि आमतौर देखा गया है कि तेल कंपनियां चुनाव के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाती हैं।

मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं होने से महंगा हो रहा कच्चा तेल
टेक्सास की ऑयल कंपनी पायनियर नेचुरल रिसोर्सेज के स्कॉट शेफील्ड ने कहा- अगर पुतिन हमला करते हैं, तो कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर से 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, लेकिन अगर बाइडेन ईरान पर से प्रतिबंध हटाते हैं, तो इनमें 10 डॉलर की गिरावट होगी। फिलहाल मार्केट में जितनी मांग है उतनी आपूर्ति नहीं है, इस वजह से कच्चा तेल 100 डॉलर के पार निकल गया है।
रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, ऐसे में युद्ध की स्थिति में सप्लाई लाइन बिगड़ने लगी है है इससे कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं।

15 रुपए तक बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता कहते हैं कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल पार कर गई हैं। वहीं तेल कंपनियों ने 3 नवंबर से पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन तब से लेकर अब तक कच्चा तेल 20 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा महंगा हो गया है। इतना ही नहीं, आगे भी इसमें तेजी जारी रह सकती है। ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15 से 20 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं

कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं

3 नवंबर को सरकार ने घटाया था टैक्स
केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने की घोषणा की थी। अगले ही दिन देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आई और कई राज्यों ने भी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम किया। इससे आम आदमी को राहत मिली थी। इसके बाद से पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं। रुझान बताते हैं कि पिछले करीब साढ़े तीन महीने से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि इसी दौरान कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेजी आई है।

3 नवंबर 2021 को कच्चे तेल का दाम 80 डॉलर प्रति बैरल था, जो अब 102 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गया है। यानी ढाई महीने के भीतर कच्चे तेल के दामों में 27% की तेजी आ चुकी है। तब से लेकर अब तक पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। ऐसे में चुनाव बाद पेट्रोल-डीजल महंगे होना तय है।

पेट्रोल-डीजल की कीमत कैसे निर्धारित होती है?
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।
अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल करता है आयात
हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल, यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।

बढ़ सकते हैं नेचुरल गैस के दाम
यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण सबसे बड़ा खतरा नेचुरल गैस की सप्लाई चेन के डैमेज होने को लेकर है। दुनिया की कुल नेचुरल गैस उत्पादन में 17% हिस्सा रूस का है। ऐसे में यूक्रेन-रूस विवाद से इसकी सप्लाई प्रभावित हो रही है। इससे वैश्विक स्तर पर गैस की कमी का असर दिखने लगा है और आने वाले दिनों में LPG और CNG की कीमतों में प्रति किलो 10 से 15 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

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