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106 वर्षीय ‘उड़नपरी’ दादी ने फिर रचा इतिहास: 18वीं नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 2 गोल्ड जीते, शॉटपुट में भी शानदार परफॉर्मेंस

भिवानी5 मिनट पहले

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हरियाणा के चरखी दादरी में रहने वाली 106 वर्षीय उड़नपरी दादी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोमवार से युवरानी महेंद्र कुमारी की स्मृति में देहरादून में 18वीं राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आगाज हुआ। 2 दिवसीय प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों से आए 5 वर्ष की आयु से लेकर 106 वर्ष की आयु तक करीब 800 से अधिक खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।

वहीं सोमवार को इस प्रतियोगिता के मुख्य आकर्षण का केंद्र हरियाणा के चरखी दादरी की रहने वाली 106 वर्षीय उड़नपरी दादी रमाबाई रहीं। उन्होंने एक बार फिर अपने जलवे से सबको हैरान कर दिया। उन्होंने 100, 200 मीटर दौड़ में भाग लेकर गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने शॉटपुट इवेंट में भी अपने दमदार प्रदर्शन की बदौलत सभी को हैरत में डाल दिया।

उड़नपरी दादी के नाम से फेमस रामबाई
बता दें कि रामबाई ने वडोदरा में हुई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैंम्पियनशिप में 100 मीटर रेस में नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। चरखी दादरी जिले के गांव कादमा की रहने वाली रामबाई राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपनी 3 पीढ़ियों के साथ 100, 200 मीटर दौड़, रिले दौड़, लंबी कूद में 4 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बना चुकी हैं।

इससे पहले नवंबर 2021 में हुई प्रतियोगिता में 4 गोल्ड मेडल जीते थे। राम बाई गांव की सबसे बुजुर्ग महिला हैं और सब उनको उड़नपरी पड़दादी (परदादी) कह कर बुलाते हैं। राम बाई गांव में आमतौर पर खेतों में और घर में भी काम करते दिखाई देती हैं। वो पूरी तरह से सेहतमंद हैं और इस उम्र में भी हर रोज 5 से 6 किलोमीटर दौड़ती हैं।

सुबह 4 बजे उठ कर पैदल चलने का अभ्यास
बता दें कि 1 जनवरी, 1917 को जन्मी गांव कादमा निवासी राम बाई बुजुर्ग एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं। उन्होंने नवंबर, 2021 में वाराणसी में हुई मास्टर्स एथलैटिक मीट में भाग लिया था। 105 वर्ष की आयु में वृद्धावस्था की परवाह किए बिना खेल को जीवन का हिस्सा बनाकर कड़ी मेहनत से आगे बढ़ रही हैं।

बुजुर्ग एथलीट राम बाई ने खेतों के कच्चे रास्तों पर खेल की प्रैक्टिस की है। वे सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरुआत करती हैं। लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास करती हैं। इसके अलावा वे इस उम्र में भी 5-6 किलोमीटर तक दौड़ लगाती है।

हर दिन खाती हैं पाव भर घी
आम तौर पर 80 की उम्र तक पहुंचकर अधिकतर लोग खाट (बिस्तर) पकड़ लेते हैं। यानी की चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। इसके विपरीत राम बाई 105 की उम्र में भी मिसाल बनी है और खेलों में भाग ले रही है। उनका कहना है कि गात (शरीर) में ऐसे थोड़े ही जान आ जाती है। वह चूरमा, दही खाती हैं और दूध भी खूब पीती हैं। 250 ग्राम घी हर रोज रोटी या चूरमे में लेती हैं और आधा किलो दही हर रोज की खुराक में शामिल है।

बेटा-बहू भी चैम्पियन
कादमा की राम बाई का पूरा परिवार ही खेलों में नाम कमा रहा है। उनकी बेटी 62 वर्षीय संतरा देवी रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीत चुकी है। राम बाई के पुत्र 70 वर्षीय मुख्तयार सिंह ने 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता है। पुत्र वधु भतेरी भी रिले दौड़ में गोल्ड और 200 मीटर दौड़ में कांस्य पदक लेकर गांव और प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी है।

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