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हार कर भी जीती भावना: स्कूल में सुना ब्रिक्स वॉक के बारे में, पैसों की तंगी की वजह से स्कूल छोड़ा, पिता ने कर्जा लेकर बेटी को खेल सिखाया, 2019 में जीता पहला गोल्ड मेडल

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उदयपुर39 मिनट पहलेलेखक: स्मित पालीवाल

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भावना जाट।

टोक्यो ओलंपिक 2020 के महिला 20 किलोमीटर ब्रिक्स वॉक इवेंट में राजसमंद की भावना जाट इस बार मेडल तो नहीं जीत पाई। लेकिन पहली बार ओलिंपिक में कदम रख बेहतर प्रदर्शन करने पर देशभर में भावना अपनी अलग पहचान बना चुकी है। आम से खास सभी भावना के घर पहुंच अब उनके परिजनों को भावना के प्रदर्शन पर बधाई दे रहे हैं।

भावना के इस खेल की शुरूआत 2010 में हुई थी। भवाना जाट ने बताया कि साल 2010 में गांव काबरा के सरकारी स्कूल की कक्षा नौ में पढ़ती थी। उस समय स्कूल स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं होती थीं। स्कूल के पीटीआई हीरालाल कुमावत ने पैदल चाल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा। मेरा सबसे पहले सवाल यही था कि ये कौनसा खेल होता है। फिर पीटीआई सर ने न केवल बताया बल्कि प्रशिक्षण भी दिया। उसके बाद मैंने इस प्रतियोगिता को ही अपना कॅरियर बना लिया।

इधर, शुक्रवार को ब्रिक्स इवेंट के दौरान भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब राजसमंद कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल भी भावना के गांव रेलमगरा पहुंचे। इस दौरान पोसवाल ने भावना के परिजनों के साथ बैठ टीवी पर भावना के प्रदर्शन को देखा। तो वहीं उनके परिवार के साथ हवन कर भावना की जीत की कामना भी की। हालांकि भावना पदक नहीं जीत पाई और 32 वें स्थान पर रही। लेकिन रेलमगरा तक आम से खास लोग अब भावना की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। जिसके बाद रेलमगरा की बेटी अब राजस्थान की सेलिब्रिटी बन गई है।

पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी

भावना जाट ने बताया कि उनके परिवार के लिए शुरूआती दिन आसान नहीं थे। कभी गरीबी से संघर्ष करते हुए परिवार में उन्हें पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी। कभी उनका परिवार खुद का पालन पोषण करने में भी सक्षम नहीं था। लेकिन उन्होंने खेल की ओर जाने की तमन्ना ठानी थी। जिसे उन्होंने कर दिखाया। भावना के परिवार में उनके किसान पिता के पास महज दो बीघा जमीन हैं। अपनी बेटी के खेल के लिए उन्होंने गांव के साहूकार से पांच लाख रुपए का कर्जा लिया। जबकि बीमार भाई के लिए खुद भावना कर्जा लेकर मदद में जुटी हैं।

इन तमाम अभावों के बीच भी भावना ने कभी थकने और रूकने का नाम नहीं लिया। इसके बाद भावना अपने छोटे भाई के साथ उदयपुर में रहकर प्रैक्टिस करने लगी। इस दौरान भावना के भाई नौकरी करते और अपनी बहन का सपना पूरा करने के लिए अपनी तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा भावना को सौंप देते थे। जिससे भावना उदयपुर और आसपास के जिलों में कॉम्पिटिशन में शामिल होने के लिए जाती थी। यहीं कारण था कि नेशनल टूर्नामेंट में लगातार अपना नाम रोशन करने वाली भावना को रेलवे मे टिकट निरीक्षक के पद पर नौकरी मिली।

कांटों भरे रास्तों में की थी तैयारी

भावना जाट ने दौड़ की शुरूआत गांव के खेल मैदान पर की थी। यह मैदान कांटों भरा था। स्कूल स्तर की प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद वह आगे बढ़ती रही। साल 2010 में स्कूल की तरफ से जिला स्तरीय पैदल चाल में भाग लिया। पहले प्रयास में उसका चयन राज्य स्तरीय स्पर्धा में हुआ। इसके बाद साल 2010-11 में पुणे में आयेाजित एसजीएफआई प्रतियोगिता में भाग लिया। साल 2014 में वेस्ट जोन छत्तीसगढ़ तथा आंधप्रदेश के जूनियर नेशनल लीग में जीत दर्ज की। राष्ट्रीय रिकार्ड बनाए जाने पर उसका चयन ओलंपिक के लिए हुआ था।

प्रैक्टिस के लिए भी छुट्टियां नहीं मिली

भावना का अपने खेल में जब राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना तब भले ही उन्हें हर कोई बधाई दे रहा था। लेकिन इससे पहले उन्हें उनके अफसरों का भी साथ नहीं मिल सका था। रेलवे में नौकरी कर रही एथलीट को अपने प्रैक्टिस के लिए भी छुट्टियां नहीं मिली। उन्हें तीन महीने से विदआउट पे रहकर अपनी तैयारियां करनी पड़ रही हैं। ओलिपिक क्वालिफाई करने के बाद भी उन्हें सपोर्ट नहीं मिल सका हैं। उनके कोच गुरुमुख सिंह भावना को कोचिंग पर ध्यान दे रहे हैं।

पैदल चाल प्रतियोगिताओं में भावना जाट का प्रदर्शन

  • 2010 से 2014 तक चार साल तक स्कूल स्तर की नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
  • 2014 में विजयवाड़ा में जूनियर खेलने गई। जिंदगी का पहला सिल्वर पदक जीता।
  • इसके बाद भावना जाट का चयन बंगलौर स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण में हो गया। वहां पंजाब के रहने वाले कोच हरप्रीत ने प्रशिक्षण करवाया।
  • 2014-15 में हैदराबाद में हुई जूनियर फैडरेशन में सिल्वर मेडल प्राप्त किया।
  • 2016 में जयपुर में आयोजित पैदल चाल की दस किलोमीटर प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता।
  • 2018 में लखनऊ में आयोजित ऑल इंडिया रेलवे प्रतियोगिता में कांस्य मेडल।
  • 2019 में पुणे में आयोजित बीस किमी पैदल चाल में स्वर्ण पदक। कॅरियर का पहला गोल्ड मेडल।
  • 2019 में झारखंड की राजधानी रांची में ऑपन नेशनल हुआ, जिसमें भावना ने फिर गोल्ड मेडल जीता।
  • फरवरी 2020 को रांची में तीसरा इंटरनेशनल पैदल चाल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भावना ने न केवल गोल्ड मेडल जीता बल्कि नया रिकॉर्ड बनाते हुए ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई भी किया।

ब्रिस्क वॉक में भारत को निराशा:32वें स्थान पर रही राजसमंद की भावना, गोल्ड मेडलिस्ट से 8 मिनट का रहा फासला, 1 घंटे 37 मिनट में 20 किलोमीटर की वॉक पूरी की

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