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सेबी का प्लान, परफॉर्मेंस से तय होगी फंड की फीस: बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करने पर ज्यादा शुल्क, लेकिन बेसिक फीस हो जाएगी कम

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नई दिल्ली19 घंटे पहले

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बाजार नियामक सेबी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में नई व्यवस्था लाने जा रहा है। एक प्रस्ताव के मुताबिक, एसेट मैनेजर से जुड़े चार्ज उसके परफॉरमेंस से तय होंगे। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सेबी के प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि कोई फंड लगातार संबंधित बेंचमार्क इंडेक्स (जैसे सेंसेक्स) से बेहतर प्रदर्शन करता है तो एसेट मैनेजमेंट कंपनी ज्यादा फीस ले सकती है।

सेबी के प्रस्ताव का मतलब है कि निवेशकों को आने वाले समय में ऊंचा रिटर्न देने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए ज्यादा फीस चुकानी पड़ सकती है। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। म्यूचुअल फंड के लिए बेसिक फीस कम हो जाएगी। अतिरिक्त फीस तभी वसूली जाएगी जब फंड का परफॉरमेंस आम रुझान से बेहतर होगा।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे एसेट मैनेजमेंट कंपनियां बेहतर प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगी। यदि ये प्रस्ताव अमल में आता है तो भारत उन गिने-चुने देशों में शुमार होगा, जहां म्यूचुअल फंड कंपनियां परफॉरमेंस आधारित फीस लेती हैं।

फंड हाउस फिलहाल निवेशकों से वसूलते हैं 2.25% तक फीस
अभी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को निवेश की रकम का 0 से 2.25% तक फीस वसूलने की अनुमति है। टियर-2 और टियर 3 शहरों में ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को लुभाने के लिए फंड हाउसेज को मार्केटिंग के लिए अतिरिक्त फीस वसूलने की भी अनुमति है।

सेबी म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों में लगातार सुधार कर रहा है। वजह ये है कि 39.46 लाख करोड़ रुपए का एसेट मैनेज करने वाली इस इंडस्ट्री में धोखाधड़ी और गलत तरीके से काम करने से जुड़ी शिकायतें बढ़ रही हैं।

बेंचमार्क से कमजोर प्रदर्शन करने वाले फंड्स की बढ़ेगी बेचैनी
सेबी नया प्रस्ताव इसलिए लेकर आया है कि कई एक्टिव म्यूचुअल फंड बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन करने में विफल रहते हैं। अतिरिक्त शुल्क की योजना लागू होने पर कमजोर प्रदर्शन वाले फंड्स को अच्छा रिटर्न देने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

किसी फंड ने चुने गए बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है या नहीं, इसका फैसला उसके पिछले प्रदर्शन से होगा। आमतौर पर, ऐसे प्रस्ताव विचार-विमर्श के लिए आंतरिक पैनल को भेजे जाते हैं, जिसके बाद जनता से फीडबैक मांगा जाता है।

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