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मुंबई14 घंटे पहले
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देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया में सरकार भले ही सबसे ज्यादा हिस्सा की मालिक होगी, लेकिन वह न तो इसके बोर्ड में होगी और न ही ऑपरेशन में शामिल होगी। आज इसका शेयर 10% ऊपर है, जबकि कल 20% से ज्यादा गिरावट में था।
पहले की ही तरह चलेगी कंपनी
वोडाफोन आइडिया का ऑपरेशन और सब कुछ कंपनी पहले की ही तरह चलाएगी। सरकार केवल इसकी 35.80% की मालिक होगी। सरकार का कोई भी अधिकारी इसके बोर्ड में नहीं आएगा। यही नहीं, ज्यादा हिस्सेदारी होने के बाद भी इसे सरकारी कंपनी नहीं बनाया जाएगा।
सरकार बाद में कंपनी से निकल जाएगी
सूत्रों के मुताबिक, जब वोडाफोन आइडिया स्थिर हो जाएगी, यानी इसका कर्ज और सब कुछ सही रास्ते पर आ जाएगा, तब सरकार इसमें से निकलने की योजना बनाई है। सरकारी राहत पैकेज के तहत कंपनी ने सरकार को कर्ज के बजाय इक्विटी देने का फैसला किया है।
वित्त मंत्रालय के साथ होगी चर्चा
डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकॉम यानी डॉट इस बारे में वित्त मंत्रालय से जल्द ही चर्चा करेगा, ताकि कर्ज को इक्विटी में बदलने की प्रक्रिया पूरी हो सके। इसके पीछे की रणनीति सरकार की यही है कि निवेशकों का विश्वास कंपनी में बना रहे। इसी तरह का मामला टाटा टेलीसर्विसेस के साथ भी कल हुआ। इसने भी अपने कर्ज को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है।
टाटा टेलीसर्विसेस का शेयर एक साल में 32 गुना बढ़ा है। 13 जनवरी 2021 को यह शेयर 9.33 रुपए पर था। 11 जनवरी 2022 को यह 291 रुपए पर बंद हुआ। आज 5 पर्सेंट की गिरावट है।
टाटा में सरकार की हिस्सेदारी 9.5%
टाटा टेलीसर्विसेस में सरकार की हिस्सेदारी 9% से ऊपर होगी। टाटा टेलीसर्विसेज पर AGR के रूप में 850 करोड़ रुपए का बकाया है। इस विकल्प को स्वीकार करने के बाद अब कंपनी में सरकार की 9.5% हिस्सेदारी हो गई है। वोडाफोन आइडिया के एमडी रविंदर टक्कर ने कहा कि कंपनी निवेशकों के साथ लगातार बात कर रही है, ताकि फंड जुटाया जा सके। उम्मीद है कि इसे मार्च 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।
वोडाफोन आइडिया पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) और स्पेक्ट्रम का बकाया है। इसके साथ ही इसका ब्याज भी है। इसी के आधार पर सरकार को 35.8% हिस्सेदारी मिलेगी।
घट जाएगी प्रमोटर्स की हिस्सेदारी
इस फैसले के बाद वोडाफोन पीएलसी की हिस्सेदारी कंपनी में 44.39% से घटकर 28.5% पर आ जाएगी। जबकि आदित्य बिड़ला ग्रुप की हिस्सेदारी 27.66 से घटकर 17.8% पर आ जाएगी। टेलीकॉम कंपनियों को 12 जनवरी तक इस पर फैसला करना था और उससे एक दिन पहले ही दो कंपनियों ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया था।
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