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रोहतकएक घंटा पहले
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रोहतक पहुंचने पर सविता पूनिया का स्वागत करते हुए।
कॉमनवेल्थ गेम में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया बुधवार को रोहतक पहुंची। जहां पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर सविता पूनिया ने कहा कि वह बचपन में घर से बाहर निकलना भी पसंद नहीं करती थी, लेकिन गेम खिलाने के लिए परिवार ने निर्णय लिया। स्पेशल उनके दादा रणजीत सिंह चाहते थे कि मैं (सविता) हॉकी खेलूं। पूरे परिवार ने खेल के प्रति प्रेरित किया और खेलने के लिए भेजा। साथ ही हमेशा हर समय साथ खड़े रहे।
सम्मान समारोह में पहुंची सविता पूनिया व उनका परिवार।
सिरसा के गांव जोधकान निवासी सविता पूनिया ने कहा कि उनके गोल कीपर बनने में सबसे बड़ा हाथ पहले कोच सुंदर सिंह का रहा था। उन्होंने खेल को देखकर बोला कि वह गोल कीपर बन सकती हैं और एक दिन इंडिया के लिए खेलेगी। इस पर पिता महेंद्र सिंह ने भी कोच की बात पर हां भर दी। सविता ने कहा कि उस समय खेल का अधिक ज्ञान था, लेकिन बाद में अच्छा अभ्यास किया और आज इस मुकाम पर पहुंची हूं।
मिला पूरा सम्मान
सविता पूनिया ने कहा कि ओलिंपिक में चौथे स्थान पर उनकी टीम रही थी और बहुत नजदीक से मेडल मिस हो गया था, लेकिन पूरे देश में उन्हें सम्मान मिला। आज जो मेडल लेकर आए हैं तो पूरा सम्मान मिला। अब वह आगे होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए अभ्यास करने में जुट जाएंगी।
महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया।
टीम को जीत के लिए नहीं अच्छा खेलने के लिए बोलते हैं
सविता पूनिया ने कहा कि खेल के परिणाम हाथ में नहीं होते हैं, इसलिए बेहतर खेल पर फोकस रहता है। यदि टीम को यह बोल दिया कि हमें यह मैच जीतना ही है तो सभी खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ेगा। इसलिए यही रहता है कि हमें अच्छी हॉकी खेलनी है। जो भी रिजल्ट रहेगा उसमें हम सब साथ होंगे। जो हम ट्रेनिंग में करते हैं, वही हमें मैच के दौरान करना है। इसलिए बॉडी रिलेक्स होती है।
पिता का संदेश- वक्त आएगा
सविता पूनिया ने कहा कि खेल में उतार चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन उनके पिता महेंद्र सिंह ने उन्हें हमेशा प्रेरणा दी। महेंद्र सिंह ने कहा कि उनका बेटी को एक ही संदेश होता है कि वक्त आएगा। कभी वक्त खराब है तो घबराना नहीं और इसे भी खुशी से बिताना है। कभी भी सविता ने अभ्यास को कम नहीं होने दिया। बेहतर अभ्यास का परिणाम सामने हैं।
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