नई दिल्ली39 मिनट पहले
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यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला करने के बाद रूस पर पश्चिमी देशों ने कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए। और ये प्रतिबंध लगातार बढ़ाए जा रहे हैं। इन देशों की कोशिश है कि रूस की इकोनॉमी को गहरी चोट पहुंचाकर उसे रोका जाए। लेकिन, रूस को भी इस बाता का अंदाजा था कि उसपर ये प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इसी वजह से उसने इनसे निपटने के लिए कुछ तैयारी की थी। इन तैयारियों में उसकी मदद की उसके शक्तिशाली आर्थिक सहयोगी चीन ने जिसके साथ उसकी करीबी बीते सालों में काफी ज्यादा बढ़ी है।
दरअसल, चीन ने दिसंबर 2021 में ही रूस से तेल खरीदारी बढ़ा दी थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की तेल खरीदारी सऊदी अरब से उसकी तेल खरीद को भी पार कर पहले नंबर पर पहुंच गई है। वहीं रूस के यूक्रेन पर अटैक से 6 दिन पहले चीन को 10 करोड़ टन कोयला बेचने की डील का भी ऐलान किया गया। इसके अलावा यूक्रेन पर बमबारी से कुछ घंटे पहले, चीन ने रूसी गेहूं खरीदने पर अपनी सहमति दी थी। ऐसे में यहां हम आपको रूस और चीन की करीबी और रूस-चीन के ट्रेड की क्या स्थिति है इस बारे में बताने जा रहे हैं।
रूस-चीन की करीबी
चीन और रूस की करीबी 1950 के दशक की याद दिला रही है, जब चीन के माओत्से तुंग ने रूस के जोसेफ स्टालिन और फिर निकिता ख्रुश्चेव के साथ मिलकर काम किया था। बीजिंग के रेनमिन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन्स के प्रोफेसर शी यिनहोंग ने कहा, ‘अब तक जो हुआ वह ताकत के जरिए रूसी विस्तारवाद और रूस को चीन की आर्थिक और वित्तीय सहायता दोनों की शुरुआत है। इसका मतलब यह नहीं है कि चीन किसी भी हद तक विस्तारवाद का समर्थन करता है- इसका मतलब केवल यह है कि बीजिंग दृढ़ता से मास्को के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाए रखने की जरूरत महसूस करता है।’
नई ऊंचाई पर पहुंचा चीन और रूस के बीच ट्रेड
चीन और रूस लगभग 2,700 मील की बॉर्डर शेयर करते हैं। चीन बीते कुछ सालों में रूस के इंपोर्ट का सबसे बड़ा सोर्स बनकर उभरा है। वहीं चीन के साथ रूस का एक्सपोर्ट भी बढ़ा है। ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में चीन लगातार 12वें साल रूस का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर रहा। बीते साल बाइलेटरल ट्रेड 146.9 अरब डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 35.9% की बढ़ोतरी दिखाता है। चीन इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और अन्य मैन्युफैक्चर्ड गुड्स का दुनिया का बड़ा मैन्युफैक्चरर है, और फूड और एनर्जी के बदले रूस को इसकी सप्लाई करता है।
200 अरब डॉलर से 250 अरब डॉलर किया ट्रेड टारगेट
2014 में जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा किया था तब भी उसपर प्रतिबंध लगाए गए थे। इन प्रतिबंधों के बाद रूस-चीन का बाइलेटरल ट्रेड 50% से ज्यादा बढ़ गया और चीन रूस का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बन गया। दोनों का लक्ष्य 2024 तक कुल व्यापार को 200 अरब डॉलर तक बढ़ाना का था, लेकिन पिछले महीने जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन विंटर ओलंपिक के दौरान चीन की यात्रा पर गए थे तो नए टारगेट का ऐलान किया गया। अब दोनों देशों ने बाइलेटरल ट्रेड का टारगेट 250 अरब डालर तय किया गया है।
तेल, गैस और कोयले का बड़ा सप्लायर
पिछले साल चीन ने रूस से प्रतिदिन औसतन 1.59 मिलियन बैरल तेल इंपोर्ट किया। ये चीनी इंपोर्ट का लगभग 15.5% है। रूस चीन का नंबर 3 गैस सप्लायर भी है। रूस ने 2021 में चीन को 16.5 अरब क्यूबिक मीटर (BCM) फ्यूल एक्सपोर्ट किया। ये चाइनीज डिमांड का लगभग 5% है। 2021 में रूस चीन का नंबर 2 कोल सप्लायर भी था।
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