स्पोर्ट्स डेस्क31 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर
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पहले एक छोटी सी कहानी। पंजाब का एक लड़का। पढ़ाई में अव्वल। समर वेकेशन्स में क्रिकेट का शौक हुआ। फिर ये शौक जुनून में बदल गया। पंजाब की तरफ से अंडर 15 और अंडर 17 खेला। जब अंडर 19 में मौका नहीं मिला तो दो टारगेट लेकर आयरलैंड चला गया। पढ़ाई भी और क्रिकेट भी। आज वहां की नेशनल टीम का स्टैबिलिश प्लेयर है।
हम बात कर रहे हैं सिमी सिंह की। सिर्फ आयरिश क्रिकेट ही क्यों, आज दुनियाभर के क्रिकेट फैंस इस नाम को जानने और धीरे-धीरे ही सही पहचानने लगे हैं। दो बार टी-20 वर्ल्ड कप की चैंपियन रह चुकी वेस्टइंडीज को आयरलैंड ने क्वॉलिफाइंग राउंड में ऐसा हराया कि वो सुपर-12 तक भी नहीं पहुंच सकी। बहरहाल, भास्कर ने सिमी सिंह से टी-20 वर्ल्ड कप, उनके करियर और क्रिकेट से जुड़े संघर्ष पर बातचीत की। यहां सिमी की कहानी, उन्हीं की जुबानी…
सवाल: आयरलैंड कैसे पहुंचे और वहां तक पहुंचने का सफर कैसा रहा?
जवाब: मैं स्टूडेंट वीजा पर 2006 में आयरलैंड गया। वहां क्लब क्रिकेट से शुरुआत की। एक क्लब के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया। करीब10 साल क्लब क्रिकेट खेला। फिर 2017 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे डेब्यू किया। दरअसल, क्लब और फिर आयरिश A टीम के लिए अच्छा परफॉर्मेंस ही वो वजह थी जिसकी वजह से मैं नेशनल टीम में जगह बना सका।
सवाल: क्रिकेट के प्रति लगाव कैसे पैदा हुआ? कहां से शुरुआत हुई?
जवाब: क्रिकेट से जुड़ाव मोहाली (पंजाब) में हुआ। मेरा घर 11 फेज में स्टेडियम के पास था। समर वेकेशन्स में शौकिया तौर पर टिंकू सर की एकेडमी में खेलना शुरू किया। इसमें इंटरेस्ट बढ़ने लगा। पंजाब की तरफ से बुच्ची बाबू और जेपी अत्रे मेमोरियल खेला। फिर अंडर-15 और अंडर-17 में सिलेक्शन हो गया।
सवाल: क्या पंजाब अंडर-19 में खेलने का मौका नहीं मिला? अचानक पढ़ाई की तरफ कैसे रुख किया?
जवाब: पंजाब से अंडर-19 में मुझे मौका नहीं मिल सका। मुझे क्रिकेट ही खेलना था, लेकिन आयरलैंड जाने का मेरे पास कोई दूसरा तरीका नहीं था। लिहाजा, स्टूडेंट वीजा लेकर आयरलैंड पहुंचा। मैंने सोच लिया था कि प्रदर्शन के दम पर वहां की टीम में जगह बनाउंगा।
सवाल: जिस वक्त आप आयरलैंड पहुंचे, तब शायद वहां क्रिकेट इतना पॉपुलर नहीं था। फिर आयरलैंड ही क्यों चुना?
जवाब: मेरा एक दोस्त जो भारत में मेरे साथ खेलता था, वो आयरलैंड गया था। एक दिन हमारी फोन पर बात हुई। उसने ही सजेस्ट किया कि मैं आयरलैंड आकर किस्मत आजमाऊं। मैंने भी सोचा कि एक बार कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है। यहां क्लब क्रिकेट का सिस्टम मुझे अच्छा लगा। आयरलैंड की टीम 2007 का ODI वर्ल्ड कप खेली थी। ये देखकर मन और पक्का हो गया कि अब यहीं से क्रिकेट खेलना है। धीरे-धीरे दोस्त और फिर नाम बनता गया।
सिमी सिंह वनडे इंटरनेशनल में आठ नंबर पर आकर 100 बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं।
सवाल: शुरुआत आपने बैटिंग से की, लेकिन सिलेक्शन बतौर बॉलर हुआ? ये कैसे?
जवाब: जी, मैंने बल्लेबाजी से ही शुरुआत की थी। जब मैं आयरलैंड आया तो पता चला यहां 4-5 महीने ही क्रिकेट का सीजन होता है। यानी इसके बाद काफी वक्त बचता था। मेरा घर भी क्लब के पास ही था। अकेले बैटिंग प्रैक्टिस मुश्किल होती है। इसलिए बॉलिंग पर भी फोकस करने लगा। इसमें इतना निखार आया कि खूब विकेट मिलने लगे। दूसरी बात, यहां स्पिनर्स की कमी है। इसलिए मैंने स्पिनर बनने का ही फैसला किया। वैसे, बॉलिंग तो मैं भारत में भी करता था, लेकिन इतनी नहीं कि स्पेशलिस्ट बॉलर ही बन जाऊं।
सवाल: क्या किसी भारतीय क्रिकेटर को आदर्श मानते हैं?
जवाब: सचिन…वो तो सबके आइडियल हैं। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को देख कर ही क्रिकेट की शुरुआत की। उनकी 1999 वर्ल्ड कप की परफॉरमेंस मेरे लिए इंस्पिरेशन बन गई।
सवाल: बॉलिंग में किसे फॉलो करते हैं?
जवाब: बॉलिंग में मुझे पाकिस्तानी के ऑफ-स्पिनर सकलैन मुश्ताक बहुत पसंद थे। मैं भी ऑफ-स्पिन करता था। शुरुआत में मैं उनके एक्शन को कॉपी करने की कोशिश करता था। धीरे-धीरे मैंने अपना बॉलिंग एक्शन डेवलप किया।
आज के दौर में अफगानिस्तान के राशिद खान से मेरी बातचीत होती रहती है। उनसे मिले टिप्स से अपनी बॉलिंग ज्यादा इम्प्रूव कर पाता हूं। अब तो मैं ऑफ और लेग स्पिन दोनों कर लेता हूं।
सवाल: आप इंडिया से हैं। जब इंडिया के खिलाफ मैच खेलते हैं तो उस समय कैसा फील होता है?
जवाब: इंडिया के अगेंस्ट खेलते हैं तो स्पेशल फीलिंग होती है, क्योंकि इंडिया में मेरा जन्म हुआ है। इंडिया के साथ मेरा मैच स्पेशल होता है। एक्सट्रा मोटिवेशन होता है। आप अगर इंडिया के खिलाफ मैच में अच्छा करते हैं तो आपको खास पहचान मिलती है। इंडिया के खिलाफ मैच हमेशा मेरे लिए बड़ा होता है।
सवाल: इंडिया से नहीं खेल पाने की कहीं मन में कोई कसक अभी भी है?
जवाब: मेरा शुरू से ही यही लक्ष्य था कि इंटरनेशनल खेलना है। मैं लकी हूं कि मुझे इंटरनेशनल खेलने का मौका मिला। बहुत से प्लेयर्स को यह मौका नहीं मिल पाता है। मैंने भारत में मौका नहीं मिलने पर दूसरा रास्ता चुना। यहां मुझे इंटरनेशनल खेलने का मौका मिला है। अब खुश हूं।
सवाल: भारतीय और क्रिकेटर होने के नाते आप टी-20 वर्ल्ड कप में भारत को कहां देख रहे हैं?
जवाब: इंडियन टीम हमेशा अच्छी होती है। कोई भी टूर्नामेंट खेलती है, तो वह सबकी फेवरेट होती है। हां, पिछले कुछ ICC टूर्नामेंट उसके लिए अच्छे नहीं रहे। ऐसे में उस पर प्रेशर होगा। लेकिन सुपर-12 में देखा जाए, तो इंडिया का ग्रुप कुछ आसान है। ऐसे में मेरा मानना है कि इंडिया सेमीफाइनल तक तो जरूर जाएगी। मुझे नहीं लगता है कि ग्रुप स्टेज में भारतीय टीम को कोई परेशानी आएगी।
सिमी सिंह पंजाब के रहने वाले हैं।
सवाल: अपने परिवार के बारे में कुछ बताइए।
जवाब: घर में मम्मी-पापा के अलावा सिर्फ मैं हूं। फैमिली का एजुकेशनल बैकग्राउंड है। परिवार में कई लोग टीचर और इंजीनियर हैं। पिताजी भी एजुकेशन डिपार्टमेंट में काम करते थे। स्पोर्ट्स से किसी का ताल्लुक नहीं है। इसलिए जब मैं क्रिकेट से जुड़ा तो शुरुआत थोड़ी चेलेंजिंग रही, क्योंकि फैमिली मानती थी कि मुझे क्रिकेट के बजाए एकेडेमिक्स पर फोकस करना चाहिए। बाद में फैमिली ने सपोर्ट किया और नतीजा सबके सामने है।
सवाल: फैमिली फिलहाल कहां है?
जवाब: परिवार मेरे साथ आयरलैंड में नहीं है। मम्मी-पापा अब भी मोहाली में ही हैं।
सवाल: आयरलैंड की टीम को टी-20 वर्ल्ड कप में कहां देखते हैं?आपकी टीम ने वेस्टइंडीज को हराया जो कि 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन है। इस मैच के पहले और बाद में ड्रेसिंग रूम में क्या चल रहा था?
जवाब: वेस्टइंडीज के साथ मुकाबला काफी प्रेशर वाला था, क्योंकि ये क्वालीफाइंग मैच था। इससे पहले हम एक मैच जिम्बाव्बे से हार चुके थे। ऐसे में क्वालीफाई करने के लिए ये मैच जीतना जरूरी था। इसलिए मैच से पहले तैयारी और प्लानिंग की। अच्छी बॉलिंग से वेस्टइंडीज को कम टोटल पर रोक दिया। बाद में इसे चेज कर लिया।
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