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भारत के लिए FIFA वर्ल्ड कप दूर: टीम के स्टार डिफेंडर संदेश बोले- अभी तो हमारे खिलाड़ी ही फुटबॉल को करियर नहीं समझते

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एक मिनट पहलेलेखक: केयूर जैन

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पिछले सप्ताह साउथ एशियन फुटबॉल चैंपियनशिप का खिताब भारत ने रिकॉर्ड नौवीं बार जीता। इससे कुछ दिन पहले ही भारत ने इंटरकंटिनेंटल कप का खिताब जीता था। टीम चंद दिनों के फासले में लेबनॉन और कुवैत को हरा चुकी थी। एक के बाद एक सक्सेस से भारतीय फैंस यह उम्मीद रखने लगे कि टीम जल्द ही FIFA वर्ल्ड कप भी खेलेगी।

भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन और FIFA वर्ल्ड कप ड्रीम को लेकर भास्कर ने टीम के स्टार डिफेंडर संदेश झिंगन से बात की। उन्होंने वर्ल्ड कप लेकर क्या कहा यह आप इंटरव्यू में आगे विस्तार से पढ़ेंगे। शुरुआत टीम को मिली हाल की कामयाबी पर उनके रिएक्शन से।

29 साल के झिंगन SAFF कप की जीत को अविस्मरणीय बताते हैं। वे इसे आगामी लक्ष्यों के लिए मोटिवेशनल फैक्टर मान रहे हैं। संदेश कहते हैं कि यह टीम की नहीं, बल्कि पूरे देश की जीत है। अब झिंगन का करियर प्रोफाइल देखिए और फिर पढ़िए उनका इंटरव्यू…

सवाल: भारत ने सीजन की अच्छी शुरुआत की है। पहले इंटरकांटिनेंटल कप और अब SAFF चैंपियनशिप जीती। इनके क्या मायने हैं?
जवाब:
मैं इसे सिर्फ टीम की नहीं, पूरे देश की जीत कहूंगा। देश ने हमें सपोर्ट किया। हमें क्रिटिसाइज भी किया। सबसे अहम है देशवासियों ने हमारा खेल देखा। मुझे लगता है कि क्लब सीजन खत्म होने के बाद इंटरनेशनल सीजन की शुरुआत अच्छी रही। हम ऐसे ही बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं। एशिया कप हमारे टारगेट में है, निश्चित ही यह कठिन होगा, लेकिन हम अपने लक्ष्य को स्टेप बाई स्टेप अचीव करने का प्रयास करेंगे।

सवाल: फुटबॉल वर्ल्ड कप-2026 के सीजन में टीमों की संख्या 46 हो रही है। एशियन टीमों का कोटा भी बढ़ेगा। ऐसे में क्या भारत 2026 का FIFA वर्ल्ड कप खेल सकता है?
जवाब:
फीफा वर्ल्ड कप अभी दूर है। एक दिन या साल में FIFA के लिए क्वालिफाई करना संभव नहीं है। फिलहाल, हमारा पूरा फोकस एशियन कप पर है। 2011 के बाद हमने सीधे 2019 में क्वालिफाई किया। इसके बाद अब दूसरी बार हमने 2023 में क्वालिफाई किया है। हमारा फोकस इस पर ज्यादा है।

कोई भी गोल स्टेप बाई स्टेप हासिल किया जा सकता है। उसके लिए कई छोटे-छोटे प्लान बनाने होंगे। कई बदलाव करने होंगे। उसके बाद में धीरे-धीरे उस फाइनल गोल तक पहुंच पांएगे। उदाहरण के तौर पर अगर आपको इंजीनियर बनना है तो 4 साल में 8 सेमेस्टर पार करने होते हैं। इसी तरह फुटबॉल में भी हमें फीफा वर्ल्ड कप में पहुंचने से पहले छोटे-छोटे कई पड़ाव पार करने होंगे।

सवाल: आपने यूरोपियन क्लब के साथ भी कुछ समय बिताया है। क्रोएशिया में एक साल रहे। भारतीय फुटबॉल और यूरोप की फुटबॉल में क्या अंतर देखते हैं?
जवाब:
भारत के लोग जैसे क्रिकेट के दीवाने है, ठीक वैसा ही क्रेज क्रोएशिया के लोगों में फुटबॉल और बास्केटबॉल का है। भारत में अगर किसी बच्चे को स्पोर्ट्सपर्सन बनना है, तो उसके पास कई ऑप्शन हैं, लेकिन क्रोएशिया और यूरोप के देशों में ऐसा नहीं हैं। वहां का बच्चा फुटबॉल खेलने के बारे में ही सोचता है।

हमारे देश में फुटबॉल लेकर माहौल अलग है। ज्यादातर प्लेयर्स फुटबॉल को करियर की तरह नहीं देखते है। बेहतर और बेस्ट मेंटालिटी के साथ प्लेयर्स खेलेंगे, तो हम भी आगे जाकर और ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर पाएंगे।

सवाल: फुटबॉल स्पीड और स्टेमिना का खेल है, साथ ही बिल्ट भी बहुत अहमियत रखती है। ऐसा कहा जाता है कि यूरोपियन और अफ्रीकन खिलाड़ी नैचुरली फुटबॉल के लिए ज्यादा फिट हैं, इसलिए एशिया के लोग पिछड़ते है। इस बात से कितने सहमत हैं?
जवाब:
बिल्कुल नहीं, यह पूरी तरह गलत है। मेरे हिसाब से यह आपकी मैंटेलिटी पर निर्भर करता है। मैं पंजाब से हूं, मेरे घर में आज तक कोई एथलीट नहीं बना। मैंने कोशिश की और एक बार यूरोप भी जाकर आया। इस तरह से अगर आपका लक्ष्य सही है, तो आपको कोई नहीं रोक सकता।

सवाल: भारत में चांगते और जैक्सन जैसे युवा आए हैं। टीम में युवाओं के लिए क्या स्कोप है?
जवाब:
इंडियन टीम में बड़ा या छोटा खिलाड़ी नहीं होता है। मेरा मानना है कि टीम में हर खिलाड़ी बराबर होता है। सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होती है। लेबनॉन के खिलाफ खेलने से पहले मैंने चांगते से कहा था कि, मैं तुम्हारे अंदर सबसे ज्यादा मैच्योरिटी देखना चाहता हूं। उस मैच में चांगते ने अच्छा प्रदर्शन किया और मैच्योरिटी दिखाई।

टीम के यंग प्लेयर्स सीनियर से सीखते है, हालांकि, मैदान के बाहर कोई बड़ा या छोटा नहीं होता, हम सब चिल्ल माहौल में रहते है।

सवाल: ISL के आने से भारतीय फुटबाल में क्या बदलाव देखते हैं, I-लीग से कितनी अलग है?
जवाब:
मैंने अपना डेब्यू I-लीग के साथ किया था। सेकंड डिवीजन से फर्स्ट डिवीजन खेला। फिर ISL…मैं पहले सीजन से ही खेल रहा हूं। क्वॉलिटी लीग फुटबॉल बहुत मदद करता है। ISL शुरू होने से पहले 2013 में भारत की रैंकिंग साल भर 143 से 167 के बीच थी, लेकिन अब हम टॉप-100 के अंदर है। हमनें तकरीबन 74 स्थानों की छलांग लगाई है।
पिछले दशक तक भारतीय टीम बुरी स्थिति में थी। 2010 में भारतीय टीम कुवैत से 1-9 से हारी, लेकिन अब हम इसी टीम को डोमिनेट कर रहे हैं।

सवाल: आगे अपने करियर में क्या-क्या चाहते है?
जवाब:
मैं अपने करियर के बारे में ज्यादा नहीं सोचता हूं। मुझे लगता है कि आज जो चल रहा है ठीक है। जब तक मैं फिट हूं, मैं खेलता रहूंगा।

सवाल: भारतीय कप्तान सुनील छेत्री मैदान में बहुत एग्रेसिव रहते हैं, मैदान के बाहर उनका नेचर कैसा है, कैसा टीम माहौल है?
जवाब:
सुनील छेत्री के साथ हम सबका रिलेशन बहुत अच्छा है। छेत्री उस समय से खेल रहे हैं, जब हमने फुटबॉल देखना शुरू किया था। हम अपने रूम में बाइचुंग भूटिया और सुनील छेत्री के पोस्टर लगाया करते थे। उनके साथ खेलना बहुत बड़ी बात है और हम सब उनका बहुत सम्मान करते है। हमे साथ खेलते हुए 10 साल हो गए है, लेकिन आज भी यह एक सपने की तरह ही लगता है।

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