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भारत की जीत में विदेशी कोच का कमाल: मीराबाई को छोड़कर भारत के 6 चैंपियंस के ट्रेनर दूसरे देशों से थे, गोल्ड मेडलिस्ट नीरज के कोच होन वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर

टोक्यो17 मिनट पहले

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भारत ने टोक्यो ओलिंपिक में 7 मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। यह भारत का सबसे सफल ओलिंपिक बन गया है। 2012 लंदन ओलिंपिक में भारतीय दल ने 6 मेडल जीते थे। भारत के सबसे सफल ओलिंपिक बनने के पीछे विदेशी कोच का कमाल माना जा रहा है। भारत के 6 मेडलिस्ट के कोच विदेशी थे। सिर्फ मीराबाई चानू के कोच विजय शर्मा भारत से थे। हम आपको जीत में योगदान देने वाले सभी कोच के बारे में बता रहे हैं…

1. विजय शर्मा (नेशनल हेड कोच) देश: भारत जिनको ट्रेन किया: मीराबाई चानू खेल: वेटलिफ्टिंग 49 किग्रा मेडल: सिल्वर

मीराबाई चानू की जीत में भारतीय वेटलिफ्टिंग के हेड कोच विजय शर्मा का अहम योगदान रहा। उन्होंने मीरा की विदेश में ट्रेनिंग के साथ-साथ उनकी फिटनेस का भी ख्याल रखा। विजय की ही ट्रेनिंग में मीराबाई ओलिंपिक से पहले अमेरिका गई थीं। विजय खुद एक प्लेयर रह चुके हैं। हालांकि उनका करियर चोट की वजह से खत्म हो गया था।

जब 2016 रियो ओलिंपिक में मीरा क्लीन एंड जर्क इवेंट में हार गई थीं, तब विजय ने इससे उबरने में उनकी काफी मदद की। 5 साल मीराबाई पर उन्होंने काफी महनत की और नतीजा यह हुआ कि अब मीरा ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट हैं। मीरा वेटलिफ्टिंग में ओलिंपिक मेडल जीतने वाली कर्णम मल्लेश्वरी के बाद दूसरी खिलाड़ी बनीं।

2. पार्क ताए संग देश: साउथ कोरिया खिलाड़ी: पीवी सिंधु खेल: बैडमिंटन मेडल: ब्रॉन्ज साउथ कोरियन कोच पार्क ताए संग का पीवी सिंधु की जीत में अहम योगदान रहा। 2019 में सिंधु के कोच बने संग ने सिंधु के वर्क एथिक्स पर काम करना शुरू किया। उनके ट्रेनिंग शेड्यूल से लेकर खाने-पीने तक सबका ध्यान रखना शुरू किया। संग ने सिंधु के मोशन स्किल्स, बैक हैंड और डिफेंस पर काम करना शुरू किया।

टोक्यो ओलिंपिक में इसका असर दिखा और सिंधु ने अटैकिंग खेल के जरिए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। संग खुद एशियन गेम्स के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रह चुके हैं। संग ओलिंपिक में सिंधु के हर मैच में जबरदस्त मोटिवेशन दे रहे थे। सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर-1 ताइजु यिंग के खिलाफ हार के अलावा वे सभी मैच लगातार सेट्स में जीते थे।

3. ग्राहम रीड देश: ऑस्ट्रेलिया टीम: पुरुष हॉकी मेडल: सिल्वर

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलिंपिक में इतिहास रच दिया। 41 साल बाद टीम इस इवेंट में मेडल जीत सकी। इस जीत में कोच ग्राहम रीड का अहम योगदान रहा। उन्होंने 2019 में टीम इंडिया की कोचिंग संभाली थी। 2016 रियो ओलिंपिक में टीम क्वार्टर फाइनल में हार गई थी। इसके बाद रीड ने टीम का माइंडसेट चेंज किया। पिछले 2 साल में परफॉर्मेंस इतना सुधरा है कि रैंकिंग में टीम इंडिया वर्ल्ड नंबर-4 बन गई।

इतना ही नहीं रीड ने टीम में पॉजिटिविटी लाई और सही समय पर परफेक्ट डिसिजन लिए। मनप्रीत सिंह को कैप्टन बनाने से लेकर 2 सीनियर टीम मेंबर्स हरमनप्रीत सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा को उप-कप्तान बनाने का फैसला भी उन्हीं का था।

टीम ने ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन किया और पूर्व चैंपियन अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन को हराया। टीम इंडिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। रीड खुद कहते हैं कि इस बदली हुई टीम इंडिया का कोच बनना उनका सौभाग्य है। रीड बार्सिलोना ओलिंपिक 1992 में रजत पदक जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा रहे थे।

4. राफेल बर्गमास्को (हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर) देश: इटली खिलाड़ी: लवलिना बोरगोहेन खेल: विमेंस बॉक्सिंग मेडल: ब्रॉन्ज

लवलिना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलिंपिक में बॉक्सिंग में भारत के लिए एकमात्र मेडल जीता। वे विजेंद्र सिंह और मेरीकॉम के बाद ओलिंपिक मेडल जीतने वाली ओवरऑल तीसरी बॉक्सर हैं।

उन्होंने पूरे टूर्नामेंट अटैकिंग खेल दिखाया और अपने सामने वाली खिलाड़ी को टिकने नहीं दिया। उनके ट्रांसफॉर्मेशन में सबसे बड़ा रोल बॉक्सिंग के हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर राफेल बर्गमास्को का रहा। सेमीफाइनल तक लवलिना ने अपने चुस्त फिट मूवमेंट और हुक से विपक्षी खिलाड़ियों को खूब परेशान किया था। हालांकि सेमीफाइनल में उन्हें वर्ल्ड नंबर-1 के हाथों हार मिली।

ओलिंपियन के बेटे बर्गमास्को 5 बार इटली के नेशनल चैंपियन रहे हैं। कोच के रूप में 2008, 2012 और 2016 ओलिंपिक में भी हिस्सा ले चुके हैं। 2017 में बर्गमास्को को भारत की जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्होंने निराश नहीं किया।

5. कमाल मलिकोव देश: रूस खिलाड़ी: रवि दहिया खेल: रेसलिंग मेडल: सिल्वर मलिकोव को सुशील कुमार के टोक्यो ओलिंपिक क्वालिफिकेशन के लिए ट्रेनर के तौर पर लाया गया था, लेकिन सुशील क्वालिफाई नहीं कर सके। इसके बाद मलिकोव को इसी साल अप्रैल में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के तहत रवि दहिया के ट्रेनर के तौर पर नियुक्त किया गया।

मलिकोव और रवि ने पोलैंड ओपन में पहली बार एकसाथ काम किया। पर 23 साल के रवि फाइनल में हार गए। इसके बाद मलिकोव ने रवि को और मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। ओलिंपिक में रवि का परफॉर्मेंस बेजोड़ रहा और सेमीफाइनल में पॉइंट्स से पिछड़ने के बाद आखिरी कुछ सेकंड में अपने विपक्षी को चित कर दिया। फाइनल में वे रवि हार गए पर अपने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता।

6. शाको बेंटिनिडिस देश: जॉर्जिया खिलाड़ी: बजरंग पुनिया खेल: रेसलिंग मेडल: ब्रॉन्ज बेंटिनिडिस बजरंग पूनिया के साथ-साथ विनेश फोगाट के भी ट्रेनर रहे। विनेश तो पहले मुकाबले में हार गईं, लेकिन बजरंग देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाब हुए। बेंटिनिडिस की ही कोचिंग में बजरंग वर्ल्ड रेसलिंग में स्टार बनकर उभरे।

बेंटिनिडिस के एक जश्न का वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसमें बजरंग की जीत के बाद बेंटिनिडिस उन्हें पटक देते हैं। उनकी ही कोचिंग में बजरंग ने 2018 में वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनिशप में सिल्वर, 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड और 2019 में नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में बजरंग ने सिल्वर मेडल जीता।

7. उवे होन (पूर्व कोच) और डॉ. क्लाउड बार्टोनिट्ज (वर्तमान कोच) देश: जर्मनी खिलाड़ी: नीरज चोपड़ा खेल: जेवलिन थ्रो मेडल: गोल्ड नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वे एथलेटिक्स में भारत के लिए मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। इसके पीछे उनके पूर्व जर्मन कोच उवे होन और वर्तमान कोच क्लाउड का विशेष योगदान रहा। क्लाउड ने नीरज को 2019 से ट्रेनिंग देनी शुरू की। इस दौरान उन्होंने अच्छा करने के लिए प्रेरित किया। यह क्लाउड का ही प्लान था कि नीरज ने पहले 2 थ्रो में ही अपना मेडल तय कर लिया।

इसके अलावा पूर्व कोच उवे होन के अंदर ही नीरज ने निखरना शुरू किया था। होन खुद वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं। उवे ने 1984 को बर्लिन में ओलिंपिक डे ऑफ एथलेटिक्स में हिस्सा लेते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था। उनके नाम 104.80 मीटर की दूसरी तक भाला फेंकने का रिकॉर्ड है।

वे दुनिया में एकमात्र ऐसे शख्स भी हैं जिन्होंने 100 मीटर की दूरी से ज्यादा भाला फेंका है। उन्होंने तब 1983 में अमेरिका के टॉम पेंट्रानोफ के 99.72 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ा था। उवे के ही ट्रेनिंग में नीरज ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।

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