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बिना बजट खेती को हाइटेक बनाएगी सरकार: वित्त मंत्री ने की एग्री स्टार्टअप को बढ़ावे की बात, पर किसानों के लिए पुरानी स्कीम्स का एलोकेशन घटाया

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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कोरोना महामारी की तीसरी लहर के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट 2022-23 पेश किया। इस बजट में सरकार ने कृषि मंत्रालय की कई मौजूदा स्कीम्स के बजट में कटौती की है। हालांकि कुछ स्कीम्स का बजट बढ़ाया भी गया है।

पीएम-किसान के एलोकेशन में मामूली बढ़ोतरी
सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के लिए 68,000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जो कि 2021-22 के 65,000 करोड़ रुपए के बजट अनुमान से सिर्फ 4.6% ज्यादा है और चालू वित्त वर्ष के 67,500 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से केवल 0.74% ज्यादा है।

PM-KISAN योजना के तहत, सरकार पात्र किसानों को एक साल में 2-2 हजार रुपए की तीन इंस्टॉलमेंट में 6000 रुपए देती है। पीएम मोदी ने 1 जनवरी 2022 को पीएम-किसान की 10वीं किस्त जारी की थी। देश भर के 10.09 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 20,946 करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर की गई थी।

फसल बीमा योजना का बजट घटाया
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का आवंटन वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 15,500 करोड़ रुपए रखा गया है, जो कि 2021-22 के बजट अनुमान 16,000 करोड़ रुपए और 15989.39 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से कम है। इसी तरह, बाजार इंटरवेंशन स्कीम और प्राइस सपोर्ट स्कीम (MIS-PSS) का आवंटन 2022-23 में घटाकर 1,500 करोड़ रुपए कर दिया है। ये 2021-22 के संशोधित अनुमान से आधे से भी कम है। 2021-22 का संशोधित अनुमान 3,595.61 करोड़ था।

कृषि सिंचाई योजना का बजट आधा किया
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का बजट 2022-23 में आधा कर 2,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस योजना का 2021-22 का संशोधित बजट अनुमान 4,000 करोड़ रुपए था। वहीं ऑइल सीड के इंपोर्ट पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार ऑइल सीड का घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार एक नई स्कीम लागू करेगी।

केमिकल फ्री फार्मिंग को बढ़ावा
बजट में सरकार ने देशभर में केमिकल फ्री नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया है। वहीं सरकार ने MSP को अब सीधे किसानों के खाते में भेजने का ऐलान किया है। इस सत्र में 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाएगा। बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि MSP के जरिए किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ रुपए भेजे जाएंगे। सरकार एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी बनाएगी और कानून में बदलाव लाएगी।

एग्री स्टार्टअप के लिए अलग से फंड
कृषि को हाइटेक बनाने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) में नई स्कीम की घोषणा की है। इसके तहत एग्रीकल्चर स्टार्टअप और रूरल इंटरप्राइसेस को वित्तीय मदद देने के लिए सरकार नाबार्ड के जरिए को-इन्वेस्टमेंट मॉडल के तहत एक फंड लॉन्च करेगी। ये स्टार्टअप किसानों को किराए पर मशीनरी देने के साथ-साथ आईटी सपोर्ट समेत अन्य टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट प्रोवाइड करेंगे। इसके अलावा सरकार फसल का मूल्यांकन करने, भूमि अभिलेखों के डिजिटाइजेशन, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देगी।

किसानों को ड्रोन कैसे मिलेगा?
फिलहाल बाजार में मौजूद ड्रोन्स बेहद महंगे हैं। इसके चलते अभी इन्हें खरीद पाना सभी किसानों के लिए संभव नहीं है। करीब 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन की कीमत 6-10 लाख रुपए के बीच है। हालांकि, बाजार में ऐसी कई कंपनियां आ गई हैं, जो एग्री ड्रोन सर्विस प्रोवाइड करती है यानी अगर आप अपने खेत में कीटनाशकों का छिड़काव कराना चाहते हैं या फसल की मॉनिटरिंग कराना चाहते हैं तो बस एक फोन कॉल पर ये कंपनियां प्रति एकड़ के हिसाब से आपके लिए ये काम कर देंगी।

कितनी बड़ी है भारत की ड्रोन इंडस्ट्री?
भारत में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। पिछले 1-1.5 साल में ड्रोन की डिमांड में 15 गुना तक तेजी आई है। ड्रोन इंडस्ट्री अभी करीब 5,000 करोड़ की है। सरकार का अनुमान है कि यह 5 वर्षों में 15 से 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री होगी। सरकार इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए लगातार नियमों को आसान बना रही है। सरकार का दावा है कि इससे रोजगार भी बढ़ेंगे। एक अनुमान के मुताबिक, इस सेक्टर में 3 साल के भीतर लगभग 10,000 नई नौकरियां पैदा होंगी।

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