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3 मिनट पहले
बजरंग पूनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना तीसरा मेडल जीता है। टोक्यो ओलिंपिक में बजरंग ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। बर्मिंघम से पहले 2018 में गोल्ड कोस्ट में उन्होंने 65 किलो वेट में गोल्ड जीता। 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। बजरंग ने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए 7 साल की उम्र में अखाड़े में दमखम दिखाना शुरू कर दिया था।
बजरंग का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के खुदन गांव में हुआ। उनके पिता भी पहलवान थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन बेटे को ओलिंपिक भेजने का सपना रखने वाले पिता ने बजरंग को 7 साल की उम्र में ही अखाड़े में कुश्ती के दांवपेंच सीखने के लिए भेजना शुरू कर दिया। बाद में, बजरंग सोनीपत में मौजूद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के रीजनल सेंटर पर ट्रेनिंग करने लगे। उनका परिवार भी सोनीपत शिफ्ट हो गया।
बजरंग पूनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार दूसरा गोल्ड मेडल जीता।
2013 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीता पहला मेडल
बजरंग ने सीनियर लेवल पर अपना पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल 2013 में 60 किलोग्राम वेट कैटेगरी में जीता था। उन्होंने हंगरी में आयोजित इस टूर्नामेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। 2018 में उन्होंने बुडापेस्ट में हुई वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनिशप में सिल्वर जीता। 2019 में भी नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में बजरंग ने सिल्वर मेडल जीता।
एशियन गेम्स में भी जीत चुके हैं दो मेडल
बजरंग दो बार एशियन गेम्स में मेडल हासिल कर चुके हैं। उन्होंने 2018 जकार्ता में 65 किलो वेट में गोल्ड जीता और 2014 इंचियोन में 61 किलो वेट में सिल्वर।
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