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मुंबई3 दिन पहले
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सरकार अगर इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ा देती है तो यह सैलरी वालों के लिए अच्छा फैसला हो सकता है। इसकी उम्मीद भी की जा रही है कि ऐसा वित्तमंत्री कर सकती हैं।
KPMG ने अपने एक नोट में बताया उपाय
KPMG ने अपने एक नोट में कहा कि, वित्त वर्ष 2005-06 में सैलरी वाले टैक्स पेयर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को हटा देने के बाद इसे 40,000 रुपए की छूट के साथ 2018-19 में फिर से शुरू किया गया था। इसे 19,200 रुपए के परिवहन भत्ते और 15,000 रुपए के मेडिकल रिम्बर्समेंट के लिए टैक्स छूट को हटाने के बदले में फिर से लाया गया था। डिडक्शन की सीमा को बाद में वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया था।
महंगाई में डिडक्शन की रकम कम है
नोट के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है उससे वर्तमान समय में सैलरी वालों के खर्चों को देखते हुए डिडक्शन की रकम काफी कम है। मेडिकल लागत और फर्नीचर, बिजली, इंटरनेट जैसे घरेलू खर्चों में वृद्धि के कारण महामारी ने भी घरेलू खर्च को और भी बढ़ा दिया है। इस प्रकार, वर्तमान में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में वृद्धि पर विचार करने की आवश्यकता है।
इसे 50,000 रुपए से कम से कम 75,000 रुपए तक बढ़ाए जाने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है तो यह लोगों को इन मुश्किल वक्त में कुछ वित्तीय मदद प्रदान करेगा।
कई देशों ने टैक्स ब्रेक की शुरुआत की है
साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आयरलैंड आदि जैसे कई देशों ने कोविड-19 से संबंधित मेडिकल खर्चों (जैसे मेडिकल आपूर्ति, टेस्ट किट आदि) पर कुछ टैक्स ब्रेक की शुरुआत की है। होम ऑफिस सेट-अप सहित घरेलू खर्च पर थोड़ी रियायतें दी हैं। जबकि भारत में अभी तक ऐसी कोई डिडक्शन/छूट शुरू नहीं की गई है। इसलिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने से लोगों को अपना जीवन यापन चलाने में कुछ सहूलियत जरूर मिलेगी।
रियायती व्यवस्था का विकल्प चुनने की आजादी
नोट के मुताबिक, इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 115BAC के तहत रियायती वैकल्पिक व्यवस्था (concessional optional regime) का विकल्प चुनने वाले करदाताओं को भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ उपलब्ध कराया जा सकता है। स्टैंडर्ड डिडक्शन सैलरी और पेंशनभोगियों के लिए कुल सैलरी से मिलने वाला डिडक्शन है। यह डिडक्शन व्यक्ति की टैक्स की सैलरी वाले हिस्से ( taxable salary income) को कम करती है। इस प्रकार उसकी टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाती है।
हायर एजुकेशन का लक्ष्य
बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए बचत किसी भी व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्य होता है। आम तौर पर इनकम का एक हिस्सा ऐसी बचत के लिए तय भी कर दिया जाता है। हालाँकि, वर्तमान में सुकन्या समृद्धि योजना को छोड़कर ऐसी बचत के लिए कोई स्पष्ट डिडक्शन/छूट नहीं है। टैक्स बेनिफिट्स भी पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि डिडक्शन को सेक्शन 80C की सीमा में सालाना 1.5 लाख रुपए के दायरे में ही रखा गया है।
इस तरह के डिडक्शन में कई अन्य टैक्स सेविंग निवेश या खर्च शामिल हैं। जैसे कि कर्मचारी भविष्य निधि, PPF, होम लोन का मूलधन पेमेंट, बच्चों की ट्यूशन फीस, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट आदि आते हैं।
एजुकेशन सेविंग के लिए कम से कम 1.5 लाख रुपए का हो डिडक्शन
इस संबंध में एजुकेशन सेविंग के लिए न्यूनतम 1.5 लाख रुपए का अलग से डिडक्शन एक स्वागत योग्य कदम होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह के फंड का कोई दुरुपयोग न हो, जब बच्चे को उच्च शिक्षा की जरूरत पड़े तो अकाउंट को उस पर अर्जित ब्याज सहित सीधे शैक्षणिक संस्थानों को भेजा जा सकता है। संक्षेप में कहा जाए तो स्टैंडर्ड डिडक्शन में इस तरह की वृद्धि और शिक्षा खर्च के लिए अतिरिक्त डिडक्शन भविष्य के उद्देश्य के लिए अधिक बचत को प्रोत्साहित करेगी जबकि इसके जरिए टैक्स सैविंग भी होगी।
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