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मुंबई6 घंटे पहले
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इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) ने बैंक FD को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए वित्त मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजा है। इसने कहा है कि बजट में इस निवेश के साधन का समय 5 साल से घटाकर 3 साल किया जाए, जिसमें टैक्स की रियायत मिले।
आकर्षक बनाने की मांग
बजट से पहले IBA ने बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को आकर्षक बनाने की मांग की है। इसने कहा है कि पहले तो पांच साल से घटाकर इसका लॉक इन समय 3 साल किया जाए। फिर इसे टैक्स के दायरे में लाया जाए। इसके बाद ही अन्य प्रोडक्ट की तुलना में FD आकर्षक हो पाएगा।
ELSS में 3 साल का लॉक इन समय
दरअसल म्यूचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS में 3 साल का लॉक इन समय होता है। 3 साल से पहले इसे निकाले जाने पर टैक्स पूरा लगता है। उसके बाद इस पर सालाना 1.5 लाख रुपए के टैक्स का फायदा मिलता है। यही नहीं, अगर आप एक साल में इस पर एक लाख का फायदा कमाते हैं तो आपको इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।
टैक्स बचत FD में भी तीन साल का लॉक इन समय
IBA ने कहा है कि इसी आधार पर टैक्स बचाने वाले बैंक FD में भी तीन साल का लॉक इन समय होना चाहिए। इससे बैंक में ज्यादा पैसा लोग रखेंगे। हाल के समय में बैंकों ने FD पर मिलने वाले ब्याज का रेट कम कर दिया है। यह 10 सालों के निचले स्तर पर है। बड़े बैंक तो अब 5-6% ही ब्याज देते हैं।
FD पर काफी कम ब्याज है
हालांकि बैंक FD की तुलना में छोटी बचत स्कीम्स जैसे पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) की ब्याज दर पर पिछले कई सालों से कोई कटौती नहीं हुई है। अभी भी इस पर 8.50% का ब्याज मिल रहा है। दूसरी ओर शेयर बाजार की तेजी के कारण ज्यादातर निवेशक बैंक से अपना डिपॉजिट निकालकर बाजार में लगा रहे हैं या फिर वे म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं।
शेयर बाजार में अच्छा रिटर्न
शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेशकों को दो सालों से अच्छा रिटर्न मिला है। ऐसे में बैंक FD से निवेशक दूर जा रहे हैं। बैंक FD पांच साल से अधिक है तो उस पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स का फायदा मिलता है। हालांकि सभी पर टैक्स का लाभ नहीं मिलता है।
विशेष रियायत की मांग
IBA ने इसी के साथ फाइनेंशियल इन्क्लूजन और डिजिटल बैंकिंग के खर्च पर विशेष रियायत की भी मांग की है। उदाहरण के तौर पर बैंक को डिजिटल बैंकिंग, IT के खर्च पर विशेष इंसेंटिव देना चाहिए। यह इंसेंटिव स्पेशल टैक्स में कमी कर या अतिरिक्त फायदा के रूप में देना चाहिए। IBA ने प्रस्ताव में कहा कि विदेशी बैंकों भारत में उनकी शाखाओं को खोलने पर टैक्स का फायदा देना चाहिए।
भारतीय बैंकों को इस पर कम टैक्स लगता है जो कि विदेशी बैंकों को नहीं हासिल है। ऐसे में घरेलू बैंकों की तुलना में फॉरेन बैंक को भी लाभ देना चाहिए। इस तरह के ज्यादातर बैंक लोकल सब्सिडियरी को नहीं बनाते हैं और वे ब्रांच रूट के जरिए ऑपरेशन चलाते हैं।
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