बर्मिंघम4 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण कुमार पांडेय
पूजा टीम इंडिया में मिडिल ऑर्डर पर पावर हिटर बैटर और तेज गेंदबाज की भूमिका में हैं।
भारतीय महिला टीम की ऑलराउंडर पूजा वस्त्राकार आज कॉमनवेल्थ गेम्स का सेमीफाइनल मुकाबला इंग्लैंड के खिलाफ खेलने उतरेगी। इससे पहले दैनिक भास्कर ने पूजा से बातचीत की है। पूजा ने इस दौरान भारतीय सोसाइटी में जेंडर इक्वालिटी को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया कि बचपन में अकेलेपन से बचने के लिए बॉय कट बाल कटाए थे। उनसे लड़के बात तक नहीं करते थे।
मध्यप्रदेश के शहडोल की रहने वाली पूजा के पिता बंधनराम वस्त्राकार BSNL में क्लर्क थे। अब रिटायर्ड हो चुके हैं। वह कैरम के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं और डिपार्टमेंटल टूर्नामेंट में चैंपियन भी रह चुके हैं। उनकी मां गृहिणी हैं। घर में 5 बहन 2 भाई हैं। पढ़िए पूजा का इंटरव्यू…
WBBL ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट लीग है। पूजा से पहले स्मृति मंधाना, पूनम यादव खेल चुकी हैं।
सवाल: इंग्लैंड के लिए क्या तैयारी की है? पूजा: पिछले कुछ साल के मैच एनालिसिस के बाद हमने पाया है कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की खिलाड़ी फिटनेस में हमशे बेहतर हैं। जबकि हम स्किल वाइज अच्छे हैं। वे भागकर ज्यादा रन रोकती हैं या फिर दौड़ती हैं। उनके थ्रो बड़े और तेज होते हैं। इस बार हमने ट्रेनिंग सेशन में इसी (थ्रो, रनिंग टेक्नीक) पर काम किया है। सभी ने फिटनेस लेवल बेहतर किया है। अलग से सेशन लगे हैं। उम्मीद है कि फील्डिंग लेवल में भी बदलाव दिखेगा। हमें पैड पहनाकर दौड़ाते थे।
सवाल : आपका शुरुआती स्ट्रगल कैसा रहा, आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जवाब : एक टाइम ऐसा था कि मेरे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं होते थे। घर की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं पापा से पैसे नहीं मांग सकती थी। 13 साल की उम्र में मैं पहली बार मध्यप्रदेश टीम के लिए खेली। तब मैंने खेलने से मिले पैसे से जूते खरीदे थे।
सवाल : IPL के तर्ज पर अब महिलाओं का टूर्नामेंट शुरू होने वाला है, इससे महिला क्रिकेट को कितना फायदा होगा?
जवाब: यह बहुत बदलाव लाएगा। क्योंकि इंडिया में घरेलू और इंटरनेशनल क्रिकेट के बीच बहुत बड़ा गैप है। मैं समझती हूं कि इससे यह गैप कम होगा। विदेशी खिलाड़ियों के आने से इसका स्तर भी और बढ़ेगा।
सवाल: आपका लुक (बॉय कट) हमेशा चर्चा में रहा है, इसके पीछे क्या वजह है?
जवाब: जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तब मेरे बॉय कट नहीं थे। तब मेरे बाल लंबे थे। लेकिन, जब सर ग्रुप बांटते थे तो मेरे ग्रुप के लड़के मेरे साथ नहीं खेलना चाहते थे। वे मुझसे बहुत दूर भागते थे। वह मुझे अच्छा नहीं लगता था। वहां कोई दूसरी लड़की नहीं थी। मैं काफी अकेला फील करती थी। इसलिए मैंने ब्वॉय कट करवाया था और नया लुक आया, लेकिन अब बहुत अच्छा माहौल है।
सवाल: आपने कहा कि हमारे घरों में बचपन से ही लड़का-लड़की वाला माहौल होता है, इसको लेकर क्या कहेंगी?
जवाब: मैं यही कहूंगी कि प्रोफेशनल लाइफ में लड़का-लड़की का कोई मतलब नहीं है। चाहे बात स्पोर्ट्स की हो या पढ़ाई की। सब में समान व्यवहार होना चाहिए। घर में भी यदि कोई टैलेंटेड है तो उसके टैलेंट का सम्मान करों और उसे सपोर्ट करो। अपने घर में ही देख लें कि यदि लड़का अच्छा खेलता है तो पैरेंट्स कहते हैं कि जा बेटा तू खेल और लड़कियों को कहते हैं कि नहीं, पढ़ाई में ध्यान दे घर के काम में ध्यान दो। ये गलत है उसका जेंडर को देखकर ये मत कहें कि बेटी है तो पढ़ और बेटा है तो खेल।
बरबाडोस के खिलाफ पूजा ने (2 ओवर में 7 रन) किफायती गेंदबाजी की थी।
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