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फेस्टिव सीजन में कम बिकीं गाड़ियां: 10 साल में ऑटो कंपनियों की सबसे खराब दिवाली; दिल्ली, गुजरात, पंजाब में 15 से 22% तक की गिरावट

नई दिल्लीएक घंटा पहले

देश में नवरात्रि से लेकर दिवाली तक चलने वाले फेस्टिव सीजन में हर कोई जमकर खरीदारी करता है। इस दौरान ऑटो सेक्टर मार्केट में रौनक होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। यह साल नवरात्रि-दशहरा और धनतेरस-दिवाली के दौरान लगभग पिछले 10 साल की तुलना में ऑटो सेक्टर के लिए सबसे खराब रहा है।

पिछले साल के फेस्टिव सीजन की तुलना में इस साल 30 दिनों में गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में दोगुना गिरावट देखी गई है। पैसेंजर व्हीकल के मार्केट में चिप की कमी की वजह से सप्लाई प्रभावित हुई है। यहां तक कि टू-व्हीलर सेगमेंट में भी असामान्य रूप से सुस्त मांग रही।

सप्लाई चेन ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया
इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार 30 दिनों की अवधि में पैसेंजर व्हीकल (PV) की खुदरा बिक्री में लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है। इस बार करीब साढ़े 3 लाख पैसेंजर व्हीकल की डिलीवरी की गई, जबकि पिछले साल 4 लाख 55 हजार यूनिट्स की डिलीवरी की गई थी।

इस बार 22% की गिरावट हुई
वहीं सरकार के वाहन पोर्टल के अनुसार वाहन निर्माताओं ने 238,776 इकाइयों की बिक्री की, जबकि 2020 में यह 305,916 इकाइयों की थी। इस तरह पिछले साल की तुलना में इस बार 22% की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं 1.07 लाख यूनिट पर दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन 11% कम रहा। यहां तक ​​कि ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन में भी 13% की गिरावट देखी गई है।

बता दें कि वाहन पोर्टल देश के 85% रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस से रजिस्ट्रेशन नंबर्स के आधार पर डेटा तैयार करता है। यह डेटा 7-15 दिनों के अंतराल के साथ आता है, इसलिए दिवाली के करीब रजिस्ट्रेशन नंबर्स हासिल करने में कुछ दिन और लग सकते हैं।

पिछले 10 साल के फेस्टिवल सीजन में ऑटो सेक्टर की सबसे बड़ी गिरावट
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोटिव डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने बताया कि पिछले 10 साल के फेस्टिवल सीजन में ऑटो सेक्टर की सबसे बड़ी गिरावट रही है। सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से कॉम्पैक्ट SUV और लग्जरी वाहनों की मजबूत मांग के बाद भी सप्लाई नहीं हो पाई। वहीं पैसेंजर व्हीकल की मांग बहुत कम देखी गई।

कारों की डिलीवरी का इंतजार कर रहे ग्राहक
पैसेंजर व्हीकल डीलरों के पास अक्टूबर के अंत तक धनतेरस और दिवाली से पहले उनके पास आधे से भी कम सिर्फ 1,20,000 इकाइयों के लिए ही रॉ मटेरियल बचा था। इससे सिर्फ 8-10 दिनों की डिलीवरी को पूरा किया जा सका है। जिसकी वजह से त्योहारों से पहले बुक की गई कारों और SUV की डिलीवरी लेने के लिए ग्राहक इंतजार कर रहे हैं। 30 दिनों के फेस्टिव सीजन के दौरान ऐतिहासिक रूप से कुल वाहन की बिक्री में पैसेंजर व्हीकल की हिस्सेदारी गिरकर 19% की बजाय 21.5 -22% हो गई है।

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा गाड़ियां खरीदी गईं

उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों की तुलना में उत्तर भारत में मांग में गिरावट देखी गई है। जनसंख्या के हिसाब से भारत के सबसे बड़े राज्य यूपी ने व्हीकल रजिस्ट्रेशन में 3.5% की बढ़ोतरी दर्ज की।

महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल ये ऐसे राज्य हैं जो वाहन खरीदारी में एक साथ लगभग एक चौथाई योगदान देते हैं, लेकिन इस बार इसमें 6-9% की गिरावट दर्ज की है। वहीं बिहार, दिल्ली, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा जो वाहन की बिक्री में एक साथ 30% की हिस्सेदारी करते हैं। यहां भी 15-22% की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है।

थ्री व्हीलर में 67% की बढ़ोतरी
दूसरी ओर फेस्टिव सीजन में हैवी गुड्स व्हीकल और थ्री व्हीलर की खुदरा बिक्री में क्रमशः 88% और 67% की बढ़ोतरी देखी गई है, जो कि पिछले साल के निचले आधार पर सबसे ज्यादा है।

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