नई दिल्ली14 मिनट पहले
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पांच राज्यों के चुनावों के कारण 137 दिनों से स्थिर रहे पेट्रोल-डीजल के दाम आज यानी मंगलवार को 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ गए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण तेल कंपनियों पर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने को लेकर दबाव बना हुआ है। ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल 20 रुपए प्रति तक महंगे हो सकते हैं।
आगे और महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बनी हुई है। वहीं तेल कंपनियों ने 3 नवंबर से अब तक पेट्रोल की कीमतों में सिर्फ 80 पैसे ही महंगा किया है। लेकिन तब से लेकर अब तक कच्चा तेल 35 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा महंगा हुआ है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड प्रशांत वशिष्ठ के मुताबिक, कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं। ऐसे में तब से लेकर अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें 15 रुपए तक बढ़ सकती थीं। लेकिन सरकार ने चुनाव के चलते ऐसा नहीं किया। लेकिन अब चुनाव खत्म हो गए हैं ऐसे में आने वाले दिनों में भी पेट्रोल-डीजल के दामों में तेजी बनी रह सकती है।
देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल-डीजल के दाम
शहर | पेट्रोल (रुपए/लीटर) | डीजल (रुपए/लीटर) |
रायपुर | 101.94 | 93.18 |
भोपाल | 108.11 | 91.70 |
जयपुर | 107.94 | 91.53 |
मुंबई | 110.82 | 95.00 |
चेन्नई | 102.16 | 92.19 |
दिल्ली | 96.21 | 87.47 |
तेल कंपनियों को हो रहा नुकसान
एक्सपर्ट के मुताबिक कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल-डीजल पर 15-20 रुपए प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। क्रूड के दाम लगातार बढ़ने से कंपनियों का घाटा भी लगातार बढ़ रहा है।
एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है सरकार
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है। केंद्र सरकार ने कोरोना की पहली लहर में दो बार में पेट्रोल-डीजल पर लगले वाली एक्साइज ड्यूटी में 15 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। हालांकि इसके बाद 3 नवंबर को पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी की कटौती की थी।
चुनाव में लग जाता है पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक
एक्सपर्ट्स के अनुसार सरकार भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करने में अपनी भूमिका से इनकार करती हो, लेकिन बीते सालों में ऐसा देखा गया है कि चुनाव के दौरान सरकार जनता को खुश करने के लिए पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाती है। पिछले सालों का ट्रेंड बता रहा है कि चुनावी मौसम में जनता को पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से राहत मिली है।
थोक डीजल 28 रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ
तेल कंपनियों ने थोक में डीजल की खरीदी पर 28 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की है। यह कदम पेट्रोल-डीजल पर हो रहे घाटे को कम करने के लिए उठाया गया है। सूत्र के अनुसार ये बढ़ोतरी सिर्फ थोक खरीदारों जैसे बस ऑपरेटरों और मॉल आदि में उपयोग के लिए खरीदे जाने वाले डीजल पर की गई है।
मुंबई में थोक खरीदारों के लिए डीजल की कीमत बढ़कर 122.05 रुपए प्रति लीटर हो गई है। यहां पेट्रोल पंपों पर डीजल 95 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। ऐसे में थोक खरीदारों को डीजल के लिए प्रति लीटर 27 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं दिल्ली में पेट्रोल पपों पर डीजल 87.47 रुपए प्रति लीटर है, जबकि थोक या औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसकी कीमत 115 रुपए प्रति लीटर है।
कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।
अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।
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