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निवेशकों को पांच साल में जबरदस्त फायदा: टाटा ग्रुप के पास 8 लाख कर्मचारी हैं, 1868 में शुरू हुआ था यह कारोबारी घराना

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मुंबई26 मिनट पहले

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टाटा ग्रुप के बोर्ड ने एन चंद्रशेखरन को फिर से पांच साल के लिए टाटा संस का चेयरमैन बना दिया है। वे 2017 में पहली बार चेयरमैन बने थे। अब 2022 तक इस पद पर रहेंगे। चंद्रशेखरन के कार्यकाल में टाटा ग्रुप ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

रेवेन्यू से लेकर फायदा और मार्केट कैप से लेकर शेयर्स के रिटर्न की तुलना करें तो हर मोर्चे पर कंपनी ने बेहतरीन काम किया है। बड़ी डील से लेकर घाटे वाली कंपनियों को फायदे में लाने का काम उन्होंने किया है। पिछले 34 सालों से वे ग्रुप में हैं। ट्रेनी से लेकर ग्रुप के टॉप पोस्ट पर वे पहुंचे हैं।

आंकड़े वित्तीय वर्ष 2021 मार्च तक के हैं

आंकड़े वित्तीय वर्ष 2021 मार्च तक के हैं

टाटा संस के चेयरमैन का पद काफी महत्वपूर्ण है। वह इसलिए क्योंकि वह टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का भी प्रमुख होता है। नटराजन चंद्रशेखरन का जन्म तमिलनाडु में मोहानूर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। वे छह बच्चों में से एक थे। चंद्रशेखरन के पिता एक वकील थे, लेकिन उनके दादा की मौत के बाद उनके पिता को परिवार का खेत देखना पड़ा, जिसमें केला, चावल और गन्ना उगाया जाता था।

जब चंद्रशेखरन बच्चे थे, तो वे और उनके भाई रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने तमिल मीडियम के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते थे। अपनी सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा के लिए, उन्होंने अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में दाखिला ले लिया। 10वीं कक्षा को पास करने के बाद, वे आगे पढ़ाई के लिए Trichy चले गए।

154 साल पुराने टाटा ग्रुप में चंद्रशेखरन पिछले 34 सालों से हैं। 2017 में उनके टाटा संस के चेयरमैन बनने के बाद से कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। चाहे बात मार्केट कैप की हो, निवेशकों के मिलने वाले रिटर्न की हो या फिर उनके रेवेन्यू या फायदे की हो,हर मोर्चे पर वे खरे उतरे हैं।

चंद्रशेखरन को चंद्रा के नाम से जाना जाता है। वे पहली बार 2017 में टाटा संस के चेयरमैन बने थे और इसी 20 फरवरी को उनके कार्यकाल का अंतिम दिन था। अब उनका कार्यकाल 2027 तक होगा।लीडरशिप के संकट से गुजर रहे ग्रुप को चंद्रा 5 सालों में बेहतरीन प्रदर्शन कर आगे ले गए हैँ। 1988 में IIM कोलकाता से MBA करने के बाद वे ग्रुप में जुड़े थे।

पहली बार वे टीसीएस में ट्रेनी के रूप में काम किए। वे इस समूह का चेयरमैन बनने वाले पहले नॉन फैमिली सदस्य थे। 53 साल के चंद्रा 1987 में TCS में गए और 2009 में वे इसके CEO बने। TCS देश की सबसे बड़ी कंपनी है।

चंद्रशेखरन ने कोयम्बटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अप्लायड साइंसेज में BSc डिग्री ली है। उसके बाद वे घर वापस आ गए और वहां छह महीने रूककर उन्होंने देखा कि वे खेती को पेशे के तौर पर लेकर खुश रहेंगे या नहीं। चार या पांच महीने बीत जाने के बाद, उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि वे कृषि क्षेत्र के लिए सही नहीं है और उन्होंने सीए बनने का विचार किया।

टाटा ग्रुप के पास कुल 8 लाख कर्मचारी हैं। 1868 में इस ग्रुप को जमशेतजी टाटा ने शुरू किया था। 10 वर्टिकल में 30 कंपनियां हैं जिसमें से 29 शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। 100 देशों में इसके कारोबार हैं। टाटा संस सभी कंपनियों की हेड कंपनी है। 2021 में ग्रुप का रेवेन्यू 7.7 लाख करोड़ रुपए रहा जबकि 8 लाख कर्मचारी रहे।

आंकड़े शुक्रवार, 12 फरवरी 2022 तक के हैं

आंकड़े शुक्रवार, 12 फरवरी 2022 तक के हैं

कंपनी ने एअर इंडिया को फायदे में लाने और सही तरीके से चलाने पर काम शुरू किया है। इसके तहत सबसे पहले टर्किश एयरलाइंस के पूर्व चेयरमैन इल्कर आयसी को एमडी एवं सीईओ बनाया है। वे एक अप्रैल 2022 से एअर इंडिया के कामकाज को देखेंगे।

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