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- Future Of IPO Of Tech Companies Is Not Good, Condition Is Getting Worse After Listing
मुंबई3 दिन पहले
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पिछले साल आए टेक कंपनियों के इश्यू में निवेशकों का बहुत अच्छा अनुभव नहीं रहा है। इनके शेयर्स की लिस्टिंग के बाद इनकी कीमतों में काफी गिरावट आ रही है। इससे माना जा रहा है भविष्य में इनकी लिस्टिंग में निवेशकों को फायदा मिलने की उम्मीद कम है।
लिस्टिंग के बाद हालत खराब
अब तक कई हाई-प्रोफाइल स्टार्टअप्स को लिस्ट करने के तुरंत बाद उनका हाल खराब हो गया। जानकारों का मानना है कि ओयो होटल्स और लॉजिस्टिक्स सेवा देने वाली डेलहीवरी सहित प्रमुख टेक स्टार्टअप्स अपने IPO को लाने की जल्दबाजी में नहीं हैं। साथ ही टारगेट वैल्यूएशन पर फिर से काम कर रहे हैं। इन दोनों कंपनियों को सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प का समर्थन था और दोनों के IPO का बेसब्री से इंतजार था।
जोमैटो और नायका भी निराश किए
फिनटेक फर्म पेटीएम के लड़खड़ाए IPO के साथ-साथ नए लिस्टेड ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स ज़ोमैटो और नायका को भी उतना अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। इससे निवेशक नई टेक कंपनियों के इश्यू से दूरी बना लिए। निवेशकों के बुरे अनुभव के बाद रेगुलेटर्स ने IPO लाने वालों की जांच तेज कर दी है, जिससे कई IPO में देरी हुई है।
घरेलू स्टार्टअप के प्रति कम आकर्षण
निवेशक अब घरेलू स्टार्टअप के प्रति आसक्त आश्वस्त नहीं हैं। वे फायदा और रिटर्न का रास्ता चाहते हैं, न कि प्रचार और हल्ला गुल्ला। मामले से जुड़े लोगों ने गोपनीयता का हवाला देते हुए बताया कि डेलहीवरी के मालिकों ने अप्रैल में शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष तक अपने लगभग 7500 करोड़ रुपए के IPO को पीछे धकेल दिया है।
सेबी की नाराजगी
उन्होंने बताया कि IPO में निवेशकों द्वारा पर्याप्त मात्रा में शेयर्स की बिक्री की योजना पर शेयर बाजार रेगुलेटर की नाराजगी के बाद डेलहीवरी अपनी लिस्टिंग योजना की भी समीक्षा कर रही है। कार्लाइल ग्रुप इंक के साथ-साथ सॉफ्टबैंक द्वारा समर्थित लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप ने पहले मार्च तक लिस्टिंग करने की योजना बनाई थी।
ओयो ने जमा कराया है मसौदा
ओयो ने पिछले साल IPO का दस्तावेज दाखिल किया था। अब रेगुलेटर के सवालों का भी सामना कर रहा है। रेगुलेटर ने हॉस्टल ऑपरेटर ज़ोस्टेल हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट के साथ ओयो के चल रहे मुकदमे के बारे में सवाल किया है। ओयो के 1.2 अरब डॉलर के IPO के मसौदे की मंजूरी करीब पांच महीने से लंबित है।ओयो के निवेशकों में सिकोइया कैपिटल और लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स के साथ-साथ सॉफ्टबैंक भी शामिल हैं। एक सूत्र के मुताबिक, वे जानबूझकर लिस्टिंग प्रक्रिया को धीमा करने के लिए रेगुलेटर के सवालों का जवाब देने के लिए अपना समय ले रहे हैं।
पेटीएम ने 18,300 करोड़ जुटाई थी
भारत में पेटीएम चलाने वाली वन 97 कम्युनिकेशंस ने नवंबर में 18,300 करोड़ रुपए जुटाया था। तब से इसका शेयर निवेशकों को 60% का घाटा दिया है। भारत और उसके बाहर टेक के शेयरों में गिरावट ने सिर्फ निराशा ही बढ़ाई है। इस समय सबकी नजरें बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा कार्पोरेशन (LIC) के IPO पर लगी हैं जिसने पिछले सप्ताह अपना ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल किया है।
सभी भारतीय IPO की जननी कहे जाने वाले इसका फाइनल वैल्यूशन और इसमें निवेशक की दिलचस्पी आगे चलकर टेक कंपनियों की लिस्टिंग योजनाओं को तय करेगी।
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