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मुंबई8 घंटे पहले
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सैकड़ों लेंडर्स और घर खरीदने वालों के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने भारत के पहले प्राइवेट हिल स्टेशन लवासा को डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (DPIL) को बेचने की मंजूरी दे दी है। डार्विन की ओर से दिए गए रिजोल्यूशन प्लान को मंजूरी देने वाला NCLT का आदेश लेंडर्स की ओर से इसके पक्ष में वोट करने के बाद आया है।
8 सालों में करना होगा 1,814 करोड़ पेमेंट
लेंडर्स और ऑपरेशनल क्रेडिटर्स सहित टोटल 6,642 करोड़ रुपए का दावा कंपनी ने स्वीकार किया है। इसमें आठ सालों में 1,814 करोड़ रुपए के पेमेंट की बात की गई है। इस रिवाइज और पहले से बेहतर रिजोल्यूशन प्लान में लेंडर्स को 929 करोड़ रुपए और घर खरीदने वालों को पुरी तरह से तैयार घरों को देने पर 438 करोड़ रुपए खर्च करना शामिल है। 837 होम-बायर्स ऐसे हैं, जिनके दावे स्वीकार कर लिए गए हैं, इन बायर्स की ओर से कुल 409 करोड़ रुपए का क्लेम किया गया था।
डेवलप किया जाने वाला लवासा सिटी
पांच साल के भीतर देना होगा घर
रिजोल्यूशन प्लान में एनवायरमेंटल मंजूरी मिलने के पांच साल की अवधि के भीतर घर खरीदारों को रियल वैल्यू के आधार पर पूरी तरह से निर्मित संपत्तियों की डिलीवरी की बात की गई है। घर खरीदने वालों को प्रोजेक्ट में निर्मित संपत्तियों को प्राप्त करने के लिए डार्विन को एक्चुअल फ्यूचर कंस्ट्रक्शन लागत का भुगतान करना होगा।
ट्रांसपेरेंसी के लिए निर्माण लागत निर्धारण समिति का होगा गठन
श्याम बाबू गौतम, कुलदीप कुमार खेर, NCLT के टेक्निकल और जुडिशियल मेंबर की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कंस्ट्रक्शन कॉस्ट के लिए एक ट्रांसपेरेंट मैकेनिज्म बनाया जाएगा। इसके लिए 4 सदस्यों की एक ‘निर्माण लागत निर्धारण समिति’ का गठन होगा। जिसमें FCCA, घर खरीदने वालों के प्रतिनिधियों और रिजोल्यूशन आवेदक की मैनेजमेंट टीम का बराबर का प्रतिनिधित्व होगा।
मुख्य रूप से प्राइवेट हिल स्टेशन का व्यवसाय करने वाली कंपनी डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (DPIL) लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए 25 दिसंबर 2021 को बोली जीती थी। इसके पहले डार्विन ग्रुप ने जेट एयरवेज और रिलायंस कैपिटल की बोली में दिलचस्पी दिखाई थी। कंपनी रिटेल, रियलिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे व्यापारों में शामिल है।
लवासा सिटी
DPIL को हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 2010 में बनाया था
पुणे के पास वेस्टर्न घाट में मुलशी घाटी में स्थित, लवासा को हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 2010 में बनाया था, जिसने एक वेस्टर्न-स्टाइल शहर की परिकल्पना की थी। लवासा कॉर्पोरेशन को वरसगांव नदी पर बांध बनाने और एक शहर के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की अनुमति मिली थी।
देश के बड़े बैंक देते हैं कर्ज
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, L&T फाइनेंस, Arcil, बैंक ऑफ इंडिया और एक्सिस बैंक, लवासा के बड़े फाइनेंशियल क्रेडिटर्स हैं। कंपनी द्वारा अपने भुगतान दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के बाद लवासा के लेनदारों में से एक राज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट इंडिया ने कंपनी के खिलाफ दिवालियापन याचिका दायर की थी, जिसे अगस्त 2018 में स्वीकार किया गया था।
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