रेवाड़ी6 घंटे पहले
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टोक्यो पैरालिंपिक में भारतीय दल के ध्वजवाहक बने रेवाड़ी के बावल निवासी टेकचंद।
जापान के टोक्यो में मंगलवार से शुरू हुए पैरालिंपिक-2020 के उद्घाटन समारोह में रेवाड़ी जिले के बावल के रहने वाले निवासी पैरालिंपिक खिलाड़ी टेकचंद ने ध्वजवाहक के रूप में भारतीय दल का नेतृत्व किया। पैरालिंपिक खिलाड़ी टेकचंद की इस उपलब्धि के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बधाई एवं प्रतियोगिता में अच्छे प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दीं।
टोक्यो पैरालिंपिक में भारत के 54 खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिनमें से 19 खिलाड़ी हरियाणा प्रदेश से हैं। इन्हीं में से एक पैरा खिलाड़ी टेकचंद भी एफ-54 वर्ग के भाला फेंक में स्वर्ण पदक के लिए दांव लगाएंगे। पैरालिंपिक हिस्सा लेना टेकचंद का सपना था जो अब पूरा हुआ है। 18 अगस्त को टेकचंद भारतीय दल के साथ यहां से रवाना हुए थे। टेकचंद 3 सितंबर को पैरालिंपिक में अपना दमखम दिखाएंगे।
ये है टेकचंद का परिवार
टेकचंद के पिता रमेशचंद का वर्ष 1994 में निधन हो गया था। 24 जुलाई 1984 को जन्मे टेकचंद के परिवार में मां विद्या देवी, बड़े भाई दुलीचंद, भाली शीला देवी, भतीजी व भतीजा है। दुलीचंद बिजली निगम में चार्टर्ड अकाउंटेंट के पद पर नारनौल में कार्यरत हैं।
29.66 मीटर दूर भाला फेंककर हुए चयनित
टेकचंद इसी वर्ष 29 जून को दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में हुए ट्रायल में 29.66 मीटर दूर भाला फेंककर पैरालिंपिक के लिए चयनित हुए। टेकचंद इससे पहले वर्ष 2018 में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित एशियन गेम्स के कांस्य पदक जीत चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने दिया ये सम्मान
इस उपलब्धि पर उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग में प्रशिक्षक नियुक्त किया गया है। वर्तमान में महेंद्रगढ़ जिला में खेल प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों के मद्देनजर रेवाड़ी के राव तुलाराम स्टेडियम में अभ्यास करने के साथ अन्य दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे थे।
टेकचंद की कई और बड़ी उपलब्धियां
इससे पहले टेकचंद वर्ष 2019 को दुबई में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो में विश्व में छठे रैंक पर काबिज हैं। 36 वर्षीय टेकचंद वर्ष 2005 में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद करीब दस साल तक बिस्तर पर ही रहे। 2016 से जैवलिन, डिस्कस, शॉटपुट खेलों में हिस्सा लेते हुए राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाई। इसी वर्ष 29 मार्च को बेंगलुरु में संपन्न 19वीं नेशनल पैराएथलेटिक प्रतियोगिता में शॉटपुट, जैवलिन और डिस्कस थ्रो तीनों में स्वर्ण पदक जीता था।
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