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- Manu And Yashaswini Will Target In 10m Pistol Shooting In Olympics Today, If You Control Your Mood, You Will Win Medals
सोनीपतएक घंटा पहलेलेखक: अनिल बंसल
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![शूटर यशस्विनी (बाएं) और मनु भाकर (दाएं)। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2021/07/25/orig_khel-1_1627157511.jpg)
शूटर यशस्विनी (बाएं) और मनु भाकर (दाएं)।
- आज ये मुकाबले- मनु और यशस्विनी दोनों एक इवेंट में हिस्सा लेकर दिखाएंगी दम, बॉक्सर मनीष कौशिक से बड़ी उम्मीदें, जानिए…हमारी ताकत और चुनौतियां
- ओलिंपिक कैंप के दौरान हुए विश्व कप में हार के बाद मनु ने किया सुधार
टोक्यो ओलिंपिक का तीसरा दिन रविवार शूटिंग में हरियाणा के साथ देशवासियों के लिए पदक की उम्मीदों वाला है। विश्व की टॉप शूटर मनु भाकर और यशस्विनी देशवाल चुनौती पेश करती नजर आएंगी। इधर, भारतीय मुक्केबाज मनीष कौशिक राउंड ऑफ 32 से 16 में पहुंचने के लिए जोर लगाएंगे, जबकि न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत से आगाज कर आत्मविश्वास से भरी भारतीय टीम अब ऑस्ट्रेलिया की चुनौती का सामना करेगी। ये मैच रोमांचक हो सकते हैं।
मनु व यशस्विनी सक्षम, स्टार्ट व फिनिश की तकनीक को सुधारा
मनु व यशस्विनी दोनों ही ओलिंपिक मेडल जीतने में सक्षम हैं। ओलिंपिक से पहले क्रोशिया में विश्व कप के दौरान मनु को मिली हार से उसे कड़ा सबक मिला है, जिसके बाद उसने स्टार्ट से लेकर फिनिश करने की तकनीक में काफी सुधार किया है। देश के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों एक ही इवेंट में हिस्सा ले रही हैं। दोनों एक-दूसरे के दोस्त के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में भी शामिल हैं। यशस्विनी नेशनल में मनु को मात भी दे चुकी हैं। दोनों ने एक साथ तैयारी की है। मेडल जीतने के लिए यहां उन्हें जर्मनी, रशिया के साथ चीन एवं कोरिया के शूटरों से मजबूत चुनौती मिलेगी।
यह नहीं करना: मौजूदा समय तकनीक में कोई बदलाव नहीं करें। भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन का कोई भी असर खुद पर हावी नहीं होने दें। अगर कोई शाॅट सही दिशा में नहीं जा रहे हैं तो कूल रहे, पैनिक हावी नहीं होने दें। दोनों को अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर फोकस रखना है, ओलिंपिक के होव्वे से भी बचने की जरूरत है।
यह करना चाहिए: पूरे मुकाबले के दौरान खुद को संयमित रखना जरूरी है। मुकाबले के दौरान पहला राउंड पूरा होने के बाद पूरे राउंड को रि-काल करें। शूटिंग रेंज में प्रदर्शन के आधार पर पिछड़ने की स्थिति में ब्रीथिंग का सहारा ले सकते हैं, वो पल याद कर सकते हैं। इससे पहले भी पिछड़ने के बाद वापसी कर चुके हैं। ओलिंपिक में रैकिंग का महत्व है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण खिलाड़ी की मैच के दौरान की मनोस्थिति है, यह जानना जरूरी है कि क्वालीफाइंग में टॉप पोजिशन के बाद ऐसा क्या हुआ कि साैरभ सातवें नंबर पर पहुंच गया। इसलिए जरूरी होगा कि ग्राउंड के बाहर की चीजें शूटिंग रेंज से बाहर ही रखें, आगे क्या होना है उसकी चिंता शूटिंग रेंज में नहीं आनी चाहिए। -जैसा भारतीय सीनियर शूटिंग टीम के कोच दिलीप सिंह चंदेल ने बताया।
बॉक्सर मनीष चुनौती को हल्के में न लें, पंच व सेव पॉलिसी पर काम करें
राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता मनीष कौशिक पहली बार ओलिंपिक खेलेंगे। पहले मुकाबले में उनका सामना ब्रिटेन के ल्यूक मैककोरमाक से होगा, जोकि यूरोपीय सर्किट में एक चर्चित नाम है और यूरोपीय चैंपियनशिप रजत पदक भी जीत चुके हैं। इसलिए उनकी चुनौती को हल्के में लेने की भूल से बचना होगा। मनीष की तकनीक उनकी मजबूती है, उसे उसी पर बने रहना है, जबकि ल्यूक की शैली आक्रामक है। मनीष काे चाहिए कि खुद को बहुत ज्यादा डिफेंसिव न बनाए और पंच और सेव की पॉलिसी पर काम करते हुए आगे बढ़े।-जैसा सेना के कोच जय सिंह पाटिल ने बताया।
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