8 मिनट पहले
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10 अप्रैल 2005, विमेंस वर्ल्ड कप फाइनल, ऑस्ट्रेलिया और भारत आमने सामने, सेंचुरियन का मैदान क्रीज पर नीतू डेविड और नूशीन अल खदीर, दोनों ही खता नहीं खोल सकी और भारत मैच 98 रन से जीत गया। पता नहीं था कि साउथ अफ्रीका की जमीन पर वर्ल्ड कप हारने वाली दो खिलाड़ी एक दिन इसी देश पर वर्ल्ड कप जीत कर इतिहास रच हीरो के तौर पर सामने आएंगी।
हम बात कर रहे है अंडर 19 विमेंस वर्ल्ड कप की हेड कोच नूशीन अल खदीर और सेलेक्टर नीतू डेविड की। जानिए कैसे जीरो से टीम खड़ी कर अंडर 19 विमेंस टीम ने इतिहास का पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया
सेलेक्टर नीतू डेविड और हेड कोच नूशीन अल खदीर ने भास्कर के साथ अपना अनुभव शेयर किया।
अंडर-19 वर्ल्ड कप के घोषणा होते ही ऐसा लगा की भारत के लिए ट्रॉफी जीतने का यह एक अच्छा मौका है, भारत पहले से ही अंडर-19 की डोमेस्टिक मैच कराता रहा है। बस जरूरत थी तो एक नेशनल टीम बनाने की।
सेलेक्टर नीतू डेविड बताती है कि, टीम बनाना बहुत मुश्किल था। क्योंकि, देश में अंडर-19 विमेन क्रिकेटर्स की कमी नहीं थी। यहां बहुत टैलेंट भरा हुआ था। दिक्कत यह थी कि, कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से अंडर-19 के मैच ही नहीं हुए थे। ऐसे में BCCI, नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA) और वीवीएस लक्ष्मण ने टीम की मदद की और अंडर-19 के डोमेस्टिक मैच कराए। करीब 15 से 20 मैच कराने के बाद 125 में से 30 खिलाड़ी हमने चुने जिनके लिए कैंप लगाया गया। टीम को निखारने और कॉम्बिनेशन को समझने के लिए टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज खेली और प्लेयर्स को तराशा। टीम खड़ी करने में पूरा एक साल लगा।
नीतू डेविड 1995 न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू किया था, अब देखें नीतू डेविड का करियर
टीम तो बन गई, लेकिन उसे जरूरत थी एक कोच की, ऐसे में BCCI ने चुना नूशीन अल खदीर को। नूशीन रेलवे टीम की कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर थी। वे अपने आप को डोमेस्टिक क्रिकेट में प्रूव कर चुकी थी। टीम को NCA ले जाया गया और हेड कोच ने उन्हें ट्रेनिंग दी। NCA ने प्लेयर्स पर उनकी फिजिकल फिटनेस और इंजरी से जुड़ी कठिनाइयों में भी मदद की। अब प्लेयर्स साउथ अफ्रीका वर्ल्ड कप खेलने जाने के लिए तैयार हो चुके थे।
हेड कोच नूशीन अल खदीर ने बताया कि, प्लेयर्स में बहुत बचपना है और इस बचपने की वजह से ही उनमें अच्छा गेम आया। प्लेयर्स में कोच की सलाह को अच्छे से लिया और अपने गेम को लगातार बेहतर करते चले गए और मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया। सीनियर टीम के प्लेयर्स शेफाली और ऋचा ने भी टीम का साथ दिया। टीम लगातार शानदार प्रदर्शन करती चली गई।
नूशीन अल खदीर ने 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू किया था, अब देखें नूशीन अल खदीर का करियर
अब घड़ी थी फाइनल की, फाइनल के बारे में नूशीन अपना अनुभव शेयर करते हुए बताती है कि, 2005 में फाइनल से पहले मैंने अपने बिल्कुल भी स्ट्रेस नहीं लिया था। इस बार भी हमने ऐसा ही किया। मुझे मैच से पहले कोई प्रेशर नहीं था। हमने फाइनल को भी एक सामान्य मैच की तरह ही खेला। मुझे तो फाइनल्स के पहले अच्छी नींद आई। ड्रेसिंग रूम में हमने शांत माहौल बनाकर रखा था, जिससे प्लेयर्स पर प्रेशर आया ही नहीं।
विमेंस अंडर 19 टीम ने वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की।
अब आगे क्या
नूशीन अल खदीर ने बताया कि, श्वेता सेहरवत बहुत अच्छा खेल रही है। वहीं टीम में सौम्या जैसी शांत प्लेयर की जरूरत है जो प्रेशर हैंडल कर सके। तृषा ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। साथ ही अर्चना देवी और मन्नत कश्यप भी आने वाले समय में सीनियर टीम के लिए खेल सकती है।
विमेंस प्रीमियर लीग में भी खिलाडियों को अच्छा एक्सपोजर मिलेगा, अब देश की लड़कियां विदेशी प्लेयर्स के साथ खेलेंगी और बेहतर तरह से परफॉर्म करेंगी। IPL ने हमेशा खिलाड़ियों को प्लेटफार्म दिया है जहां सीखने के लिए बहुत मिलेगा। अभी राह लंबी है।
सेलेक्टर नीतू डेविड कहती है कि, बच्चों का बैकग्राउंड मायने नहीं रखता है, बल्कि, उनका टैलेंट और काबिलियत मायने रखती है। अब भी डोमेस्टिक क्रिकेट में शानदार खिलाड़ी आ रहे है और विमेंस क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है।
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