नई दिल्ली10 मिनट पहले
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फोटो लाहौर का है जब ध्यानचंद ने वहां बैटिंग की थी।
मेजर ध्यानचंद हॉकी ही नहीं, बल्कि क्रिकेट में भी माहिर थे। उन्होंने जब-जब बल्ला थामा तब-तब ताबड़तोड़ शॉट मारे। चाहे वह लाहौर (पाकिस्तान) हो या फिर राजस्थान। ऐसा ही एक किस्सा हम आपसे साझा कर रहे हैं खेल दिवस पर। मेजर ध्यानचंद की याद में 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाते हैं।
‘ध्यानचंद ने एक क्रिकेट कैंप के दौरान बल्लेबाजी की थी। उन्होंने 50-60 गेंदों का सामना किया, लेकिन वे एक भी बॉल बीट नहीं हुए।’ इसे देखकर वहां मौजूद सभी खिलाड़ी दंग रह गए। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो ध्यानचंद ने कहा- ‘जब हमने अपने जीवन में 2 इंच की हॉकी से बॉल पास नहीं होने दी तो 8 इंच के बल्ले से कैसे होने देते’
इस पूरी घटना का आंखो-देखा हाल मंदसौर के पूर्व क्रिकेटर गिरजाशंकर रुनवाल ने भास्कर को सुनाया था। उन्होंने इसका जिक्र हॉकी समीक्षक हेमंत दुबे को वर्ष 2011 में लिखे एक पत्र में भी किया था। आप भी पढ़िए उन्हीें की जुबानी…
‘बात 1961 मई महीने की है। उस समय ध्यानचंद माउंटाबू (राजस्थान) में हॉकी खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे थे। हॉकी ग्राउंड के पास ही क्रिकेट का ट्रेनिंग कैंप चल रहा था। मैं खिलाड़ियों की ट्रेनिंग गौर से देख रहा था। ट्रेनिंग के बाद को उस क्रिकेट कोच ने मुझसे पूछा- तुम भी क्रिकेट खेलते हो। मैंने कहा-जी, हां। तो वे बोले-लो बैट पकड़ो और खेलो। मैंने दो-तीन ओवर ही खेलो होंगे कि मैटिंग पर एक वृद्ध सज्जन आकर खड़े हो गए और कहने लगे। मैं भी खेलूंगा। तब क्रिकेट कोच साहब ने कहा- ध्यान को खिलाओ। ध्यान का नाम सुनते ही मैंने अपना बैट उनको दे दिया तथा हाथ के गल्ब्ज उतारकर उन्हें देने गया तो ध्यानचंद ने ग्लब्ज पहनने से इंकार करते हुए कहा कि, नहीं लगेगा। मैं पैड लेकर उनके पास गया कि सर एक ही पैड पहन लीजिए तो उन्होंने पुन: वही जवाब दिया कि नहीं लगेगा।
पांच-छह बॉलर दौड़-दौड़कर बॉलिंग कर रहे थे तथा दद्दा ऑफ साइड पर और ऑन साइड पर शॉट मार रहे थे। उन्होंने एक भी कैच नहीं दिया। उन्होंने 50 से 60 बॉलें खेलीं, लेकिन कोई भी बॉल स्लिप या विकेट कीपर के पास नहीं जाने दी। बैटिंग करने के बाद उन्होंने मुझे बल्ला वापस करते हुए कहा कि बेटा तुम खेलो। मैंने बल्ला हाथ में लिया और दद्दा से कहा- सर एक बात कहूं। वो बोले- बोल बेटा। मैंने कहा- आपने हमारा एक खिलाड़ी बेकार कर दिया। उन्होंने पूछा किसको-लगी, तो मैंने कहा- आपने एक भी बॉल इस विकेट के पीछे नहीं जाने दी। इसलिए यह बात बोली। तब ध्यानचंद ने मुझे पास बुलाकर कहा- देखो हमने अपने जीवन में हॉकी के 2 इंच चौड़े ब्लेड से बॉल को सामने से पीछे नहीं जाने दिया। तो तुम्हारे इस 8 इंच चौड़े पटिए से कैसे जाने देता।
(जैसा गिरिजाशंकर ने भास्कर रिपोर्टर को बताया था)
अब पढ़ें रुनवाल का लिखा वह पत्र-
डॉन ब्रेडमैन ने ध्यानचंद को कहा था कि वे गोल ऐसे करते हैं जैसे रन बना रहे हों।
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