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- Khelo India Youth Games | Water Sports Academy Of Udaipur Rajasthan; Coach Nishchay Singh Interview
भोपाल7 मिनट पहलेलेखक: केयूर जैन
खेलो इंडिया यूथ गेम्स में वाटर स्पोर्ट्स को पहली बार शामिल किया गया है। इसमें कयाकिंग, कैनोइंग और सलालम गेम हो रहे है। भोपाल के बड़े तालाब में कयाकिंग और कैनोइंग इवेंट में राजस्थान की टीम चर्चा में है। इसकी वजह है उदयपुर की अकादमी और इसका संघर्ष।
उदयपुर की वाटर स्पोर्ट्स अकादमी ने खुद पैसा जुटाया और इंस्टीट्यूट की शुरुआत की है। आज इस अकादमी के बच्चे 70 से ज्यादा नेशनल मेडल ला चुके है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में टीम के तीन खिलाड़ियों ने कैनोइंग और कयाकिंग में हिस्सा लिया। खास बात ये है कि यहां भी तीनों ने अपने राज्य को मेडल दिलाया।
एकेडमी के तीन खिलाड़ी कयाकिंग और कैनोइंग इवेंट में हिस्सा लेने भोपाल खेलो इंडिया यूथ गेम्स में आए। तीनों ने मेडल जीते। (दाएं से बाएं कोच के साथ) हर्षवर्धन शेखावत ने K1 1000 मीटर में सिल्वर जीता। तनिष्क पटवा और शगुन कुमावत को K2 500 मीटर में ब्रॉन्ज मिला।
हमने बात की उदयपुर की वाटर स्पोर्ट्स अकादमी के कोच निश्चय सिंह चौहान से, चलिए जानते हैं उन्होंने इस मुश्किल सफर को कैसे बयां किया…
कैसे जुटाया पैसा…
निश्चय कहते हैं- राजस्थान ने वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी एसोसिएशन बनाया था। इसके बाद मैं और हमारे सेक्रेटरी दिलीप सिंह चौहान भोपाल आए। यहां वाटर स्पोर्ट्स देखकर सोचा कि इसे उदयपुर भी लाया जाए। जिस तरह भोपाल झीलों का शहर है उसी तरह उदयपुर भी झीलों के लिए मशहूर है। इस वजह से यहां भी यह स्पोर्ट होना चाहिए।
पैसा नहीं होने के कारण सेक्रेटरी, अध्यक्ष और स्पाॅन्सर्स के जरिए पैसा जुटाया और भोपाल से 4 बोट खरीदीं। इस तरह 2011 में उदयपुर में वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी शुरू हुई।
स्विमिंग पूल से की शुरुआत
परेशानी तब आई जब राजस्थान सरकार ने झील में प्रैक्टिस की मंजूरी देने से ही इनकार कर दिया। जरा सोचिए, हम क्या करते? तब हमने स्विमिंग पूल में ट्रेनिंग की। इसके बाद हमारे प्लेयर्स ने राज्य से बाहर के टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। बाद में हमने राज्य सरकार को इस स्पोर्ट के फायदे और भविष्य के बारे में बताया। कहते हैं, अंत भला तो सब भला। आखिरकार सरकार ने हमारी जरूरत और दर्द को समझा। हमें उसी उदयपुर झील में प्रैक्टिस करने की इजाजत मिल गई।
70+ मेडल लाए
उदयपुर में राजस्थान की इकलौती वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी है। हमारे पास 40 से ज्यादा बच्चे है। करीब 30 खिलाड़ी मेडल ला चुके है। अब तक एकेडमी के पास 70 से ज्यादा नेशनल मेडल हैं। हमारे 5 प्लेयर्स तो इंटरनेशनल इवेंट्स में पार्टिसिपेट कर चुके हैं।
एकेडमी के प्लेयर्स उदयपुर की फतेहसागर झील में प्रैक्टिस करते है।
इंडस्ट्रीज से स्पॉन्सरशिप
पैसे जुटाने के लिए हमारी एकेडमी सीमेंट और मार्बल कंपनीज से स्पॉन्सशिप हासिल करती है। हम अपने कारोबारियों को चिट्ठी लिखते हैं और उनसे अपील करते हैं कि वो एकेडमी और इसके प्लेयर्स की बेहतरी के लिए स्पॉन्सर बनें। वो ऐसा करते भी हैं।
भारतीय बोट से मुश्किल
एकेडमी में बच्चे भारत में बनी बोट्स से प्रैक्टिस करते है। इससे आगे जाकर दिक्कत होती है। दरअसल, बड़े टूर्नामेंट्स में विदेशी बोट इस्तेमाल की जातीं हैं। इसकी वजह ये है कि ये काफी हल्की होती हैं और इन्हें संभालने की टेक्निक भी अलग और आसान होती है। हमारे प्लेयर्स जब भारत में बनी बोट्स से प्रैक्टिस करके किसी टूर्नामेंट में आते हैं, और यहां उन्हें विदेश बोट मिलती हैं तो जाहिर है कि उन्हें बैलेंसिग, डायनामिक्स और शेप से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, ये बात भी सही है कि विदेशी बोट महंगी होती हैं और इसे हमारी एकेडमी अफोर्ड नहीं कर सकती।
हमने कई बार सरकार से विदेशी बोट मुहैया कराने की गुजारिश की, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली। सरकार मदद करे तो ये तय है कि हमारे प्लेयर्स ज्यादा मेडल ला सकते हैं।
पढ़ाई के साथ खेल, ये बड़ी चुनौती
खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, खेल के साथ पढाई। इसे बैलेंस करने के लिए एकेडमी में सुबह 4 बजे से मॉर्निंग सेशन भी होता है। इससे बच्चे सुबह प्रशिक्षण ले सकें और फिर पढाई पर भी ध्यान दे सकें।
हर्षवर्धन ने दिलाया राजस्थान को पहला सिल्वर, वजन ज्यादा होने की वजह से स्विमिंग शुरू की, अब कयाकिंग में मेडल
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के चौथे एडिशन में बुधवार को हर्षवर्धन ने राजस्थान को पहला मेडल दिलाया। उन्होंने K1 1000 मीटर में सिल्वर जीता। हर्षवर्धन ने हमसे कहा- मेरा वजन पहले ज्यादा था। शेप में आने के लिए स्विमिंग शुरू की। नेशनल लेवल का स्विमर बना। फिर 2020 में कोरोना की वजह से पूल बंद हो गए। तब मैंने कयाकिंग और कैनोइंग स्पोर्ट शुरू किया। सिल्वर के अलावा हर्षवर्धन के पास इस स्पोर्ट में चार नेशनल मेडल भी हैं।
हर्षवर्धन के मेडल में मां का अहम योगदान
हर्षवर्धन ने कहा – मैं एकेडमी और कोच के अलावा इस मैडल में मां बहुत अहम योगदान मानता हूं। मां मेरी सेहत का हमेशा ख्याल रखती है और हर दिन मुझे डाइट बना कर देती है, जिससे मैं हर टूर्नामेंट में अपना बेस्ट देता हूं।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मां के साथ हर्षवर्धन।
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