जींद10 मिनट पहले
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कॉमनवेल्थ के फाइनल में 2 अंक से हारने के बाद हरियाणा की रेसलर अंशु मलिक रोने लगी थी। इसके बाद पिता धर्मवीर मलिक से बात हुई और कुछ देर बाद ही उसका चेहरा खिल उठा। असल में पिता ने पहले तो बेटी को जन्मदिन की बधाई दी और इसके बाद दिलासा दी कि अबकी बार हार और जीत का प्रेशर अपने पर मत आने देना, ओलिंपिक की तरह। ये गेम है और गेम को तुमने इंजॉय करना है। इसे प्रेस्टीज इश्यू नहीं बनाना है। हमारे लिए तुम्हारा यहां तक (कॉमनवेल्थ में फाइनल) जाना ही बहुत बड़ी बात है। पिता की इन बातों के चलते ही वे कुछ देर बाद हंसती हुई दिखाई दी।
फाइनल में हार के बाद अंशु निराश हो गई थी। कुछ देर वह रोई। फिर पिता धर्मवीर मलिक ने संभाला तो खिले चेहरे के साथ लौटी।
अंशु मलिक ने कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल जीता है। इसके बाद से उसके गांव निडानी, जींद में खुशी का माहौल है। परिजनों ने बेटी की जीत और जन्म दिन को एक साथ सलिब्रेट किया। पिता धर्मवीर मलिक ने बताया कि अंशु को पिछले मैच में हाथ में चोट लग गई थी। शुक्रवार रात को मुकाबले में उतरी तो उसे प्रतिद्वंद्वी रेसलर के साथ दर्द से भी लड़ना पड़ा। साथ ही पिता को भी इस बात की चिंता थी कि कहीं ओलिंपिक की तरह वह फाइनल में हार से हताश न हो जाए।
पहलवान परिवार से है अंशु
अंशु मलिक काे पहलवानी विरासत में मिली है। उसके पिता का नाम धर्मवीर मलिक और चाचा पवन मलिक अंतरराष्ट्रीय पहलवान रह चुके हैं। छोटा भाई शुभम भी पहलवानी करता है। चाचा पवन मलिक तो दक्षिण एशियाई खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट हैं। परिवार के पास 6 एकड़ कृषि योग्य जमीन है। पिता धर्मवीर मलिक ने कहा कि बेटी को पहलवान बनाना था, तो घर का ही घी-दूध चाहिए था। ऐसे में खुद ही पशुपालन किया। आज भी वे दो भैंस रखते हैं और दोनों भैंसों का दूध व घी बच्चों के लिए ही होता है। अंशु की मां मंजू मलिक डाइट का ध्यान रखती है।
निडानी में बेटी की जीत के बाद पिता का मुंह मीठा कराते ग्रामीण।
मां ने बेटी के लिए छोड़ी नौकरी
महिला पहलवान अंशु मलिक की मां मंजू मलिक शिक्षक रही हैं। 2016 में जब अंशु ने वर्ल्ड कैडेट प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता तो परिवार ने तय कर लिया कि अब बेटी को कुश्ती के क्षेत्र में ही आगे बढ़ाना है। इसके बाद मंजू मलिक ने नौकरी छोड़ दी और पूरा ध्यान बेटी पर दिया। वहीं अंशु मलिक के पिता धर्मवीर मलिक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान रहे हैं। उन्होंने नौकरी न कर बेटी को ही पहलवानी के गुर भी सिखाए।
कोरोना काल में जारी रखा अभ्यास
वर्ष 2020 में जब कोरोना संक्रमण के चलते सभी प्रतियोगिताएं स्थगित हो गई थी और प्रशिक्षण भी बंद हो गया था। ऐसे में अंशु मलिक ने अपने गांव निडानी के खेल स्कूल में ही अभ्यास जारी रखा। यहां रात-दिन मेहनत कर खुद को तैयार किया।
कॉमनवेल्थ मुकाबले में अंशु प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को पटकनी देते हुए।
ओलिंपिक में हार से सदमा
टोक्यो आलिंपिक 2020 जो कि वर्ष 2021 में हुए में अंशु मलिक शामिल हुई। वह मैच हार गई। इसके बाद कुछ समय तक तो वह हार के सदमे में रही, लेकिन इसके बाद कड़ी मेहनत के बल पर कॉमनवेल्थ तक पहुंची। अब उन्होंने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता। पिता धर्मवीर मलिक ने कहा कि कामनवेल्थ के लिए रवाना हुई तो वादा किया था कि इस बार पदक पक्का लेकर आएगी।
पिता धर्मवीर मलिक पत्रकारों से बात करते हुए।
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