नई दिल्ली6 मिनट पहले
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भारत सरकार एक बिल लाने वाली है, जिसके जरिए प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी को रेगुलराइज किया जाएगा। भारत के करीब 10 करोड़ क्रिप्टो इन्वेस्टर्स इस खबर से अनिश्चितता की स्थिति में आ गए हैं। उनके मन में सवाल है कि भारत में क्रिप्टो करेंसी बैन होने की स्थिति में इसका क्या किया जाएगा। भास्कर ने निवेशकों के इस डर को लेकर मार्केट एक्सपर्ट से बात की। जानिए, क्रिप्टो निवेशक अभी क्या करें…
सरकार ही दिखाएगी निवेशकों को रास्ता
Giottus क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के को-फाउंडर अर्जुन विजय कहते हैं, “बिल की बात सामने आने के बाद निवेशकों में घबराहट देखी जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर सरकार बिटकॉइन, इथीरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाती है तो लोगों के पास पहले से मौजूद क्रिप्टो का क्या होगा? इसका साफ-साफ जवाब तो बिल के आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन 2019 में भी सरकार क्रिप्टो से जुड़ा एक बिल लाई थी। तब कहा गया था कि जिन लोगों के पास पहले से क्रिप्टोकरेंसी हैं, उनके बारे में सरकार बताएगी कि उन्हें कहां भेजना है और कैसे डिस्पोज करना है। ऐसे में निवेशक जल्दबाजी न करें।’
एसेट की तरह क्रिप्टो को किया जा सकता है ट्रीट
क्रिबेको ग्लोबल के फाउंडर और सीईओ सिद्धार्थ सोगानी ने कहा, “कल रात जो खबर आई, वह ज्यादातर फरवरी 2021 के सर्कुलर के समान है। मुझे नहीं लगता कि इसमें घबराने की कोई बात है।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का आमतौर पर मतलब होता है ऐसी करेंसी, जिसे किसी व्यक्ति या कंपनी की ओर से जारी किया गया हो। बिटकॉइन प्राइवेट करेंसी नहीं है, यह डिसेंट्रलाइज्ड है। यह पब्लिक लेजर पर उपलब्ध है। मेरी राय में रेगुलेशन में बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो को एसेट या कमोडिटीज के रूप में ट्रीट किया जाएगा।’
जल्दबाजी में कोई फैसला न करें निवेशक
वजीर एक्स के को-फाउंडर निश्चल शेट्टी कहते हैं कि जल्दबाजी में निवेशकों को कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। इसी साल फरवरी में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी, लेकिन बाद में क्रिप्टोकरेंसी बाजार में काफी तेजी देखने को मिली थी। हमारे देश में अभी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। ऐसे में इसको लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
पैनिक सेलिंग की वजह से क्रिप्टो मार्केट में गिरावट
शेट्टी ने कहा कि क्रिप्टो पर रेगुलेशन की खबर आते ही हमने इसके मार्केट में पैनिक सेलिंग देखी। क्रिप्टो में 10-15% की गिरावट देखी गई। भारत का बाजार ग्लोबल प्राइस की तुलना में 5-8% प्रीमियम पर है। जब हम 15% की गिरावट देखते हैं तो ग्लोबल मार्केट के हिसाब से ये गिरावट करीब 5% की ही होगी।
पूरी तरह बैन आसान नहीं, रेगुलेशन ही रास्ता
सिद्धार्थ सोगानी कहते हैं, “दुनिया भर में क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह इंटरनेट की दुनिया है। ऐसे में एक लोकतांत्रिक देश में इसे रेगुलेट करना ही सही तरीका है, न कि पूरी तरह बैन करना। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, इटली, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के अधिकतर राज्यों में क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट किया गया है। ऐसे में मुझे भी उम्मीद है कि क्रिप्टो करेंसी कमोडिटी या एसेट के तौर पर भारत में इस्तेमाल हो सकेगी। सही तस्वीर क्या होगी, यह तो संसद में बिल पेश होने के बाद ही पता चलेगा।
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