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- Commonwealth 2022 Update, Haryana Wrestlers Win 7 Gold Medal, Gold For Ravi, Vinesh And Naveen Malik, Bronze For Pooja And Sandeep,
सोनीपत7 मिनट पहले
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कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों ने शनिवार को पदकों की झड़ी लगा दी। ओलिंपियन रवि दहिया, विनेश फोगाट सरीखे पहलवानों से तो गोल्ड की उम्मीद थी ही, लेकिन नवीन कुमार मलिक, पूजा गहलावत और दीपक नेहरा जैसे ऐसे पहलवानों ने भी गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर हरियाणा की माटी की महक को विश्वभर में फैला दिया, जो पहली बार इतने बड़े मुकाबलों में उतरे थे।
मात्र 5 घंटों में ही एक के बाद एक म्हारे पहलवानों ने 3 गोल्ड, 2 ब्रॉन्ज देश की झोली में डाल दिए। इस बीच बॉक्सर अमित पंघाल भी 6वां मेडल पक्का कर गए। अब रविवार को वे गोल्ड के लिए अपने पंच का दम दिखाने उतरेंगे। पूरे देश ने 2 दिन में खेलों की दुनिया में हरियाणा का जलवा और यहां के दूध दही का दम देख लिया है। पूजा गहलावत और दीपक नेहरा के सेमीफाइनल में ही हारने के बाद लगने लगा था कि अब इनसे किसी मेडल की उम्मीद बेमानी है, लेकिन दोनों ब्रॉन्ज मेडल के लिए मैट पर उतरे और जीते भी।
शनिवार को हरियाणा के इन पहलवानों ने सोने से झोली भरी।
कुश्ती का मतलब ही हरियाणा
कॉमनवेल्थ में जिस तरह दो दिन में म्हारे पहलवानों ने दे दना दन पदक जीते हैं, उससे तो देश भर में कुश्ती का मतलब ही हरियाणा हो कर रह गया है। शुक्रवार को बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, दीपक पूनिया और सुधीर ढा़ेचक ने गोल्ड अपने नाम किया था, वहीं अंशु मलिक ने सिल्वर और मोहित ग्रेवाल ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इनमें से सुधीर पावर लिफ्टिंग का पैरा खिलाड़ी है और शेष सभी रेसलर हैं।
2 दिन में 7 गोल्ड समेत 12 मेडल
दो दिन में हरियाणा के हिस्से 7 गोल्ड, दो सिल्वर (पंघाल समेत) और 3 ब्रॉन्ज मेडल आ चुके हैं। कॉमनवेल्थ में हरियाणा अभी तक विभिन्न गेमों में 25 से ज्यादा मेडल हथिया चुका है। वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ में मेडलों की कुल संख्या 22 थी। पिछला रिकार्ड ध्वस्त कर अभी कई और खिलाड़ी मेडल की लाइन में हैं। मेडलों की झोली भरने से खुश हरियाणा सरकार ने भी खिलाड़ियों को सम्मानित करने का एलान कर दिया है।
विनेश फोगाट का तीसरा गोल्ड
विनेश फोगाट ने विमेंस 50 KG वेट कैटेगरी में भारत को गोल्ड मेडल दिला दिलाया। ये भारत के लिए बर्मिंघम गेम्स में 11वां गोल्ड मेडल है। वही, कुश्ती में भारत का पांचवां सोना है। विनेश का ये कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार तीसरा गोल्ड है। उन्होंने 2014 और 2018 में भी सोना जीता था।
विनेश फोगाट मेडल जीतने के बाद।
गीता-बबीता की चचेरी बहन
सोनीपत की बहू विनेश फोगाट दो बार ओलिंपिक खेल चुकी हैं। कॉमनवेल्थ में 2 स्वर्ण पदक, एशियाई खेलों में एक स्वर्ण पदक उनके नाम है। 2019 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और 2021 में एशियन चैंपियन में विजेता रही। भिवानी के बलाली गांव की विनेश अपनी चचेरी बहन गीता फोगाट और बबीता कुमारी के नक्शे क़दम पर चल रही है। उनके चाचा महावीर सिंह फोगाट ने बहुत ही कम उम्र में उनको कुश्ती के दांव पेंच सिखाने शुरू कर दिए थे। उनकी शादी 13 दिसंबर 2018 को सोनीपत के फरमाना गांव के पहलवान सोमबीर राठी से हुई है। फिलहाल परिवार के साथ दिल्ली रहती है।
रवि दहिया गोल्ड जीतने के बाद राष्ट्रीय ध्वज के साथ।
रवि दहिया- 10 की उम्र में रेसलिंग शुरू की
रवि ने नाइजीरिया के वेल्सन को हरा कर गोल्ड मेडल जीता। ये भारत का 10वां गोल्ड था। उन्होंने ये मैच 10-0 से जीता। इससे पहले उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में पाक के रेसलर को हरा कर फाइनल में पहुचे। हरियाणा के सोनीपत के नाहरी गांव में जन्में रवि दहिया फिलहाल दिल्ली में आप सरकार में एजुकेशन डायरेक्टर हैं। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। 10 साल की उम्र मे ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में रेसलिंग शुरू कर दी थी। पिता राकेश दहिया भूमिहीन किसान थे, जो कि ठेके पर जमीन लेकर फसलें उगाते थे। रवि को आगे बढ़ाने के लिए वे 40 किलोमीटर दूर अपने गांव से बेटे के लिए सब्जी और दूध लेकर लेकर जाते थे।
सोनीपत के फरमाना की पूजा गहलावत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
पूजा ने ब्रॉन्ज पर लगाया दांव
महिलाओं की 50 किलोग्राम फ्री स्टाइल कैटगरी में पूजा गहलावत सेमीफाइनल में हार गई थी। इसके बाद वह ब्रॉन्ज मेडल के लिए मैट पर उतरी और जीत वाला दांव लगाया। पूजा गहलोत ने 50 KG वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। इससे पहले उन्होंने क्रिस्टेल लेचिदजियो और रेबेका मुआम्बो को हराया था। शनिवार को रेसलिंग 50Kg वेट कैटेगरी में पूजा गहलोत ने टेक्निकल सुपीरियारिटी के आधार पर जीत हासिल कर ली है। उन्होंने 12-2 के बड़े अंतर से मैच जीता।
पिता नहीं चाहते थे पूजा पहलवान बने
सोनीपत के गांव फरमाना की पूजा गहलावत के चाचा धर्मवीर सिंह एक पहलवान थे और उनके देखा देखी वे 6 साल की उम्र से ही अखाड़े में खेलने लगी थी। उनके पिता बिजेंद्र सिंह उनके कुश्ती खेलने के खिलाफ थे। पूजा ने वॉलीबॉल खेलना शुरू और जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर खेली।
पूजा गहलोत पहलवानी के साथ खेत में भी करम करती है।
गीता फोगाट और बबीता फोगाट ने 2010 कॉमनवेल्थ में मेडल जीते तो वह फिर से रेसलिंग की तरफ आ गई। 2014 में प्रशिक्षण शुरू किया। जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015 में गोल्ड जीता। 2016 में 48 किग्रा भार वर्ग में राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती चैम्पियनशिप जीती। हालाँकि, उसी वर्ष, उसे एक चोट लग गई जिसने उसे कुश्ती से एक वर्ष से अधिक समय तक दूर रखा। UWW U-23 विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में तुर्की की जेनेप येटगिल को हराने के बाद वह सुर्खियों में आई।
नवीन कुमार- नेवी के हवलदार का गोल्डन दांव
हरियाणा के नवीन कुमार मलिक ने भी शनिवार को रेसलिंग के 74KG मुकाबले में पाकिस्तान के पहलवान मो. शरीफ ताहिर काे धूल चटा सोना जीता। नवीन मात्र 19 साल का है और यह उनका पहला कॉमनवेल्थ गेम था। फाइनल में उनके मुकाबले में मैटर पर आया पाकिस्तान के खिलाड़ी का भी पहला मुकाबला था। सोनीपत के पुगथला का रहने वाला नवीन इंडियन नेवी मं हवलदार है। वह खेल कोटे से ही भर्ती हुआ है। पिता किसान है। भाई नेवी मे है। 3 साल की उम्र मे ही नवीन ने लंगोट बांध कर अखाड़े में आना शुरू कर दिया था। उनकी जीत से परिवार खासकर पिता धर्मपाल मलिक फूला नहीं समा रहा।
सोनीपत के नवीन कुमार मलिक ने अपने पहले कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीता है।
दीपक नेहरा- शाम को खिले परिवार के चेहरे
कॉमनवेल्थ गेम्स में शनिवार को हरियाणा में रोहतक के निंदाना गांव के पहलवान दीपक नेहरा ने अपना पहला मुकाबला खेला। इसमें वह कनाडाई पहलवान से 8-6 के कड़े मुकाबले में हार गया। दीपक की हार से रोहतक में उसके परिवार में मायूसी देखी गई। रात को दीपक ने मैट पर फिर वापसी की और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया। इससे परिवार के चेहरे खिल उठे। असल में परिवार को लगने लगा था कि दीपक ने मेडल के लिए जितनी मेहनत की है, उसका फल लेने से वह चूक गया।
रोहतक के दीपक ने ब्रॉन्ज जीतकर परिवार के चेहरे से गायब खुशी लौटा दी।
रोजाना 8 घंटे बहाया पसीना
दीपक नेहरा पिछले करीब 12-13 सालों से कुश्ती कर रहे हैं। दीपक के पिता सुरेंद्र ने कहा कि जब वे करीब 5-6 साल के थे तो उन्हें अखाड़े में कुश्ती के लिए भेज दिया था। दीपक नेहरा ने कॉमनवेल्थ गेम के लिए हर रोज करीब 8 घंटे पसीना बहाया। इससे पहले वे इस वर्ष सीनियर अंडर-23 एशिया चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल व वर्ल्ड रैंकिंग सीरीज में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। वहीं पिछले साल हुई वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह त्यौहार पर भी घर नहीं आता था।
आज गोल्ड के लिए रिंग में उतरेगा अमित पंघाल
हरियाणा के रोहतक के बॉक्सर अमित पंघाल कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल से एक कदम दूर हैं। रविवार को वे गोल्ड के लिए रिंग में उतरेंगे। शनिवार को सात समुंद्र पार इंग्लैंड में सेमीफाइनल मैच में अपने पंच से जाम्बिया के पैट्रिक चिनेयम्बा को चित कर फाइनल में जगह बनाई।
गांव मायना में जन्मे अमित पंघाल ने 10 साल की उम्र में बॉक्सिंग खेलने की तरफ कदम बढ़ाए थे। इसके बाद कभी भी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिसकी बदौलत आज वे नंबर वन बॉक्सर बने हुए हैं। अब कॉमनवेल्थ गेम्स में वह गोल्ड मेडल जीतने से बस एक कदम दूर हैं। पिता विजेंद्र सिंह व मां उषा देवी ने कहा कि बेटा देश को जरूर गोल्ड दिलाएगा। विजेंद्र सिंह ने बताया कि अमित पंघाल के बड़े भाई अजय भी बॉक्सिंग करते हैं। अजय ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में अपने पंच का दम दिखाया है। पिता खेती करते हैं।
हरियाणा सरकार करेगी सम्मानित
कॉमनवेल्थ गेम्स में सोना, चांदी, रजत पदक जीतकर हरियाणा को मालामाल कर रहे प्रदेश के खिलाड़ियों को प्रदेश सरकार सम्मानित करेगी। खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह ने शनिवार को घोषणा की कि सभी मेडल विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। इस बीच सीएम मनेासहर लाल ने भी सभी पदक विजेताओं को बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पॉलिसी के अनुसार सभी पदक विजेता खिलाड़ियों को नकद इनाम राशि देगी।
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