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ऑस्ट्रेलिया में फिजूल में दिया ज्ञान तो लंबा नपेंगे: ब्रिटेन-स्पेन में निवेश की सलाह देने वालों पर बना कानून, भारत में बढ़ रही हैं महिला निवेशक

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नई दिल्ली3 घंटे पहलेलेखक: दीप्ति मिश्रा

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ऑस्ट्रेलिया में अब युवाओं को फिजूल में वित्तीय ज्ञान देने और ज्यादा निवेश कर जल्द धनवान बनने के सपने दिखाने वालों की खैर नहीं। सरकार ने ऐसे लोगों पर शिकंजा कसने के लिए एक नई अधिसूचना जारी की है, जिसमें बिना लाइसेंस फाइनेंस टिप्स देने वालों के लिए 5 साल तक की जेल और जुर्माना का प्रावधान है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार को यह कानून बनाने की जरूरत क्यों पड़ी और इसमें क्या कहा गया है? दुनिया में ऐसे कौन से देश हैं, जहां निवेश के बारे में सलाह देने पर सजा का प्रावधान है? क्या भारत में भी ऐसा कोई कानून है? भारत में निवेश करने वालों में महिलाओं का क्या योगदान है?

युवाओं का बदला व्यवहार देख सरकार को उठाना पड़ा कदम
दरअसल, पिछले साल हुए एक सर्वे में कहा गया कि 18 से 21 साल के 33% युवा फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स को फॉलो करते हैं। सर्वे में यह भी खुलासा हुआ कि ऑस्ट्रेलिया में 64% लड़कियां और लड़कों ने एक इन्फ्लुएंसर के चलते अपना वित्तीय व्यवहार बदल लिया। इसके चलते उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा। इसके बाद यह फैसला लिया गया है।

कानून में क्या कहा गया?
द ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटीज एंड इन्वेस्टमेंट कमीशन (ASIC) का कहना है कि वित्तीय सलाह देने के लिए लाइसेंस लेना होगा। ASIC कमिश्नर कैथी आर्मर ने कहा, ”यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वित्तीय सेवाओं और उत्पादों पर ऑनलाइन चर्चा करने या सलाह देने वाले सभी प्रभावशाली लोग फाइनेंशियल सर्विस लॉ का पालन करें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और निवेशकों को जोखिम में डालते हैं तो उन पर कानूनी कार्रवाई होगी। इसमें 5 साल तक जेल और जुर्माना का प्रावधान है। इसके अलावा, वित्तीय उत्पादों के बारे में भ्रामक जानकारी देने या अफवाह फैलाने पर भी कार्रवाई होगी।”

अलेक्स निकोलिक जिन्हें इन्फ्लुएंसर के टैग पसंद नहीं है, लेकिन फाइनेंशियल इंवेस्टमेंट के बारे में इंस्टाग्राम, टिकटॉक और ट्विटर पर पोस्ट करती हैं। उनका कहना है कि यह बेहद उपयोगी अधिसूचना है।

इस कानून में जहां एक और वित्तीय उत्पादों के बारे में भ्रम फैलाने को कानूनी अपराध माना गया है। वहीं भविष्य में ऑनलाइन ठगी से बचाने और गलत सलाह देने वालों को रोकने के लिए वित्तीय सेवा देने की पेशकश की जा सकती है, लेकिन इसके लिए लाइसेंस लेना होगा। तस्वीर प्रतीकात्मक

इस कानून में जहां एक और वित्तीय उत्पादों के बारे में भ्रम फैलाने को कानूनी अपराध माना गया है। वहीं भविष्य में ऑनलाइन ठगी से बचाने और गलत सलाह देने वालों को रोकने के लिए वित्तीय सेवा देने की पेशकश की जा सकती है, लेकिन इसके लिए लाइसेंस लेना होगा। तस्वीर प्रतीकात्मक

गलत सलाह से डूब जाता है पैसा, इसलिए सरकार ने बनाया कानून
फाइनेंशियल एडवाइजर डॉ. अमित चंद्रा बताते हैं कि मौजूदा वक्त में म्यूचुअल फंड, क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ा है। अगर सही वक्त पर सही फंड में निवेश किया जाए तो लोगों को अच्छा मुनाफा भी होता हैं, लेकिन जिन्हें इस बारे में पता नहीं है, उनके पैसे डूब भी जाते हैं। इस दौरान बहुत सारे लोग यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर एक्टिव हैं, जो लोगों को वित्तीय सलाह दे रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों को वास्तव में नॉलेज होती है, जबकि कुछ लोग अपने लाइक-कमेंट बढ़ाने के लिए ज्ञान दे रहे होते हैं।

वीडियो और सोशल मीडिया पर देखकर निवेश करने वाले कई बार गलत फंड चुन लेते हैं और पैसा डूबने के बाद बुरी तरह कर्ज में फंस जाते हैं। इससे बचाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने यह फैसला लिया है। बहुत जल्द भारत सरकार भी इसको लेकर नियम बना सकती है। हालांकि, नियम बनाने मात्र से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। निवेश करने वालों को खुद जागरूक होना पड़ेगा ताकि वे पैसा दोगुना करने और 28 फीसदी का रिटर्न देने का झूठा वादा करने वाले लोगों से बच सकें।

किन देशों में लागू हैं ऐसे नियम?
ऑस्ट्रेलिया से पहले ब्रिटेन और स्पेन ने भी कुछ इस तरह के कदम उठाए थे। इसी साल फरवरी में यूके फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी (FCA) ने अपने लोगों से फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी थी। एफसीए ने अध्यक्ष ने चार्ल्स रैंडेल कहा कि कुछ कंपनियां ज्यादा से ज्यादा निवेश कर कम समय में धनवान बनने के सपने दिखाकर सोशल मीडिया पर लोगों को प्रभावित कर रही हैं। क्रिप्टो करेंसी खरीदने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित कर रही हैं। कई प्रभावशाली लोग इन कंपनियों का साथ दे रहे हैं। यह बेहद चिंता का विषय है। ऐसे में सुनिश्चित किया जाए कि कंपनियां लोगों को निवेश की सलाह देने से पहले अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कानून का पालन करें। एफसीए ने उच्च जोखिम वाले वित्तीय उत्पादों की मार्केटिंग से जुड़े नियमों को समझने के लिए एक परामर्श केंद्र भी शुरू किया।

फरवरी में ही स्पेन के नेशनल सिक्योरिटीज मार्केट कमीशन ने भी सोशल मीडिया पर क्रिप्टो-ऐसेट्स के विज्ञापन को लेकर कड़े नियम बनाए।

सर्वे में कहा गया है कि कोरोना महामारी के बाद से महिलाओं के निवेश करने के तरीकों में बदलाव आया है। पहले ज्यादातर महिलाएं सिर्फ सोना खरीदने और एफडी में पैसे इंवेस्ट करती थीं, जबकि अब म्यूचुअल फंड और इक्विटी उनकी पसंद है।

सर्वे में कहा गया है कि कोरोना महामारी के बाद से महिलाओं के निवेश करने के तरीकों में बदलाव आया है। पहले ज्यादातर महिलाएं सिर्फ सोना खरीदने और एफडी में पैसे इंवेस्ट करती थीं, जबकि अब म्यूचुअल फंड और इक्विटी उनकी पसंद है।

निवेश में पुरुषों को मात दे रहीं महिलाएं
भारत में निवेश करने वालों में महिलाओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। महिलाएं अब सोना खरीदने और एफडी करने तक सीमित नहीं हैं, वे म्यूचुअल फंड और इक्विटी में भी निवेश कर रही हैं। जेरोधा, एक्सिस सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, अपस्टॉक्स और 5पैसा जैसी पांच ब्रोकरेज कंपनियों के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो साल में इक्विटी में निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या 16% से बढ़कर 24% हो गई है।

हर पांच में एक महिला ने पहली बार निवेश किया
डिजिटल वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी स्क्रिपबॉक्स की ओर से 2021 में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, निवेश करने वालों में महिलाओं की संख्या तेजी से बड़ी है। निवेशकों में हर पांच में एक महिला ने पहली बार निवेश किया है। सर्वे में कहा गया है कि म्यूचुअल फंड और इक्विटी महिलाओं की पहली पसंद हैं, इसके बाद एफडी और सोना खरीदना है। 34% महिलाएं अपना पैसा एफडी, पीपीएफ और अन्य बचत योजनाओं में लगाती है।

पति के निवेश करने के फैसले में देती हैं सुझाव
सर्वे में कहा गया कि निवेश करने वाली करीब 30% महिलाएं वित्तीय योजना और निवेश की जानकारी के लिए डिजिटल इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं, जबकि 20% अपने परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों की सलाह पर निवेश करती है। वहीं 15% आर्टिकल पढ़कर निवेश की जानकारी जुटाती हैं। सर्वे में कहा गया कि 32% महिलाएं अपने पैसे को खुद संभालती हैं, जबकि 38% पति के इंवेस्टमेंट के फैसले में सक्रिय भागीदारी निभाती हैं।

सर्वे में कहा गया कि महिला निवेशक जहां खुद हाई रिस्क और लो रिस्क वाले निवेश प्लान को चुनना बेहतर समझती हैं। वहीं वे अपने पार्टनर को भी इंवेस्टमेंट के सुझाव देती हैं।

सर्वे में कहा गया कि महिला निवेशक जहां खुद हाई रिस्क और लो रिस्क वाले निवेश प्लान को चुनना बेहतर समझती हैं। वहीं वे अपने पार्टनर को भी इंवेस्टमेंट के सुझाव देती हैं।

डॉ. अमित चंद्रा कहते हैं कि महिला निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसकी सबसे बड़ी वजह टेक्नोलॉजी है, पहले निवेश करने के लिए किसी दलाल को ढूंढना पड़ता था। बैंक जाकर अकाउंट खुलवाना होता था, जबकि अब एक ही प्लेटफॉर्म पर जानकारी मिल जाती है, खाता भी खुल जाता है और निवेश भी हो जाता और अपना पैसा ट्रैक भी किया जाता सकता है। लॉकडाउन में जब सब घर में थे, तब ज्यादातर महिलाओं ने अपने पति और बेटों से निवेश करना सीखा और अब वे खासकर हाउसवाइफ घर में रहने का एडवांटेज लेती हैं। पैसे निवेश करती हैं और उन्हें ट्रैक करती हैं, जिसका उन्हें फायदा मिलता है। अच्छा रिटर्न पाने के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा हैं।

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