स्पोर्ट्स डेस्कएक घंटा पहले
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एशिया कप के लिए BCCI ने टीम इंडिया की घोषणा कर दी है। रोहित शर्मा की कप्तानी में 17 सदस्यीय स्क्वॉड चुना गया है। संजू सैमसन बैकअप विकेटकीपर बनकर श्रीलंका जाएंगे, क्योंकि टीम में शामिल केएल राहुल अब भी इंजरी से पूरी तरह उबरे नहीं हैं। अगर राहुल टूर्नामेंट से बाहर हो गए तो उनकी जगह सैमसन को स्क्वॉड में शामिल कर लिया जाएगा।
राहुल अगर पूरी तरह फिट नहीं हैं तो उन्हें टीम में चुनने का रिस्क क्यों लिया गया? नंबर-4 पोजिशन पर बैटिंग करने वाले श्रेयस अय्यर अगर फिट हैं तो उनकी पोजिशन पर 2-2 खिलाड़ी क्यों हैं? श्रीलंका में ज्यादातर पिचें स्पिन के लिए मददगार रहती हैं, बावजूद इसके टीम में एक भी लेग स्पिनर और ऑफ स्पिनर नहीं है। टीम में 6 पेसर भी रखे गए लेकिन इनमें एक भी लेफ्ट आर्मर नहीं है।
आगे स्टोरी में हम एशिया कप के लिए सिलेक्टेड टीम इंडिया की इन्हीं 4 खामियों को विस्तार में जानेंगे। सबसे पहले देखते हैं 17 सदस्यीय स्क्वॉड के हिसाब से भारत की पॉसिबल प्लेइंग-11 क्या रहेगी और किन्हें बेंच पर बैठना पड़ सकता है।
पॉसिबल प्लेइंग-11
रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल/ईशान किशन (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, रवींद्र जडेजा, शार्दूल ठाकुर, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और कुलदीप यादव।
बेंच- सूर्यकुमार यादव, तिलक वर्मा, मोहम्मद शमी, प्रसिद्ध कृष्णा, अक्षर पटेल।
रिजर्व- संजू सैमसन।
सवाल-1: राहुल शुरुआती मैच नहीं खेलेंगे तो सैमसन बैकअप में क्यों?
चीफ सिलेक्टर अजित अगरकर ने कहा कि केएल राहुल पूरी तरह फिट नहीं हैं और वह एशिया कप के शुरुआती मैच मिस कर सकते हैं। वह वनडे में नंबर-5 पर बैटिंग करते हैं, अगर राहुल नहीं खेले तो उनकी जगह ईशान किशन को मौका मिलेगा।
- ईशान किशन ने पिछली 3 पारियों में 3 फिफ्टी लगाई, उनके नाम एक दोहरा शतक भी है। हालांकि, ये स्कोर उन्होंने ओपनिंग करते हुए बनाए, जबकि राहुल अगर नहीं खेले तो ईशान को नंबर-5 पर आना पड़ेगा, जहां उन्होंने अब तक वनडे में बैटिंग नहीं की। नंबर-4 पर उन्होंने 6 पारियां जरूर खेलीं, लेकिन 21.20 की औसत से 106 रन ही बना सके। यानी वह मिडिल ऑर्डर पोजिशन पर कमजोर हैं।
- संजू सैमसन बैकअप विकेटकीपर हैं, जो भारत के लिए 13 वनडे में से 10 बार नंबर-4 से नंबर-6 पर ही उतरे। इनमें उन्होंने 67 की औसत से 335 रन बनाए, जिनमें 3 फिफ्टी शामिल हैं। जबकि 2 बार नंबर-3 पर बैटिंग करते हुए वह 27.50 की औसत से 55 रन ही बना सके। यानी, सैमसन मिडिल-ऑर्डर में नंबर-4 से नंबर-6 की पोजिशन पर मजबूत हैं।
- केएल राहुल नहीं खेले तो टीम ईशान को प्लेइंग-11 में शामिल करेगी। अगर टीम उनसे ओपनिंग कराती है तो शुभमन, रोहित, विराट और श्रेयस को अपनी पोजिशन बदलनी होगी। ईशान अगर नंबर-5 पर उतरेंगे तो मिडिल-ऑर्डर कमजोर होगा, क्योंकि इस पोजिशन पर वह ज्यादा रन नहीं बना सके। लेकिन सैमसन अगर टीम में रहते तो वह नंबर-5 पर ही आते और टीम को परेशानी नहीं होती। यानी, सैमसन प्लेइंग-11 में ईशान के मुकाबले ज्यादा संतुलन देते।
सवाल-2: नंबर-4 पोजिशन पर श्रेयस फिट तो सूर्यकुमार और तिलक दोनों को मौका क्यों?
टीम सिलेक्शन से पहले नंबर-4 की पोजिशन पर बैटिंग करने वाले प्लेयर का मुद्दा सबसे गर्म था क्योंकि श्रेयस अय्यर फिट नहीं थे। इसीलिए टीम ने सूर्यकुमार यादव और संजू सैमसन को मौके दिए।
- श्रेयस अय्यर नंबर-4 की पोजिशन पर भारत के लिए 20 पारियों में 47.35 की औसत से 805 रन बना चुके हैं। कप्तान रोहित भी कह चुके हैं कि श्रेयस ही नंबर-4 पर टीम की पहली पसंद हैं। अब श्रेयस पूरी तरह फिट हैं तो नंबर-4 की पोजिशन पर बैटिंग करने के लिए टीम में सूर्यकुमार यादव और तिलक वर्मा दोनों ही क्यों चुने गए हैं?
- सूर्यकुमार यादव टी-20 के शानदार बैटर हैं, लेकिन वनडे में उनकी परफॉर्मेंस निराशाजनक रही। नंबर-4 की पोजिशन पर वह 5 पारियों में 6 की औसत से 30 ही रन बना सके। उन्होंने मिडिल ऑर्डर में नंबर-7 की पोजिशन पर भी बैटिंग की, लेकिन वह 24 पारियों में 22.90 की औसत से 458 रन ही बना सके। टीम मैनेजमेंट और सूर्यकुमार खुद इस बात को मान चुके हैं कि वह वनडे फॉर्मेट में ढले नहीं हैं। इसके बावजूद उन्हें चुना गया, वो भी तब जब सैमसन के रूप में मिडिल ऑर्डर पर बैटिंग करने के लिए टीम के पास बेहतर ऑप्शन उपलब्ध था।
- तिलक वर्मा के सिलेक्शन को लेकर अगरकर ने कहा कि वह टीम में लेफ्ट हैंड बैटर को ट्राई करना चाहते हैं। तिलक ने अब तक वनडे डेब्यू नहीं किया है, लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने टी-20 में अपनी क्षमता दिखा दी। तिलक ऑफ स्पिन बॉलिंग भी कर लेते हैं, ऐसे में उनका सिलेक्शन तो लॉजिकल है, लेकिन श्रेयस के होने पर टीम उन्हें प्लेइंग-11 में कैसे रखेगी और अगर तिलक प्लेइंग-11 में आ भी गए तो वह किस पोजिशन पर बैटिंग करेंगे और वह किसकी जगह लेंगे?
सवाल-3: ऑफ स्पिनर और लेग स्पिनर को जगह क्यों नहीं?
एशिया कप श्रीलंका और पाकिस्तान में होगा। भारत को सभी मैच श्रीलंका में खेलने हैं, जहां आम तौर पर स्पिन को मददगार पिचें मिलती हैं। 17 सदस्यीय भारतीय स्क्वॉड में 3 ही स्पिनर्स हैं। तीनों ही बाएं हाथ से बॉलिंग करते हैं। रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स बॉलर हैं, जबकि कुलदीप यादव लेफ्ट आर्म रिस्ट स्पिन फेंकते हैं। टीम में रविचंद्रन अश्विन की तरह ऑफ स्पिनर और युजवेंद्र चहल की तरह लेग स्पिनर को जगह नहीं मिली।
- पाकिस्तान की एशिया कप टीम में 5 लेफ्ट हैंड बैटर्स हैं, इनमें भी 2 तो टॉप-3 पोजिशन पर ही बैटिंग करते हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश में भी लगभग इतने लेफ्ट हैंड बैटर्स हैं। बाएं हाथ के बैटर्स को ऑफ स्पिनर्स के खिलाफ परेशानी होती है, ये बैटर्स जडेजा-अक्षर जैसे स्पिनर्स को आसानी से खेल लेते हैं। बावजूद इसके टीम इंडिया में एक भी फुल टाइम ऑफ स्पिनर नहीं हैं।
- आर अश्विन और वाशिंगटन सुंदर जैसे ऑफ स्पिनर को शामिल करने के सवाल पर कप्तान रोहित ने कहा कि टीम एक्स्ट्रा बैटिंग तलाश रही थी। इसीलिए अक्षर पटेल को सिलेक्ट किया गया है, लेकिन अश्विन और सुंदर दोनों ही ऑफ स्पिन बॉलिंग के साथ बैटिंग भी कर लेते हैं। साथ ही अक्षर और जडेजा एक जैसी स्पिन बॉलिंग करते हैं। ज्यादातर मैचों में दोनों में से कोई एक ही खेलेगा और अनुभव के आधार पर जडेजा बाजी मारेंगे। ऐसे में अक्षर बेंच पर बैठते नजर आएंगे। अगर अक्षर बेंच पर ही रहेंगे तो अश्विन या सुंदर को उनकी जगह क्यों नहीं चुना गया।
- युजवेंद्र चहल लम्बे समय से टीम इंडिया का हिस्सा थे, लेकिन टीम में उन्हें भी नहीं चुना गया। लेग स्पिनर के खिलाफ किसी भी टीम के बैटर्स को परेशानी होती है, बावजूद इसके टीम इंडिया ने न तो चहल को रखा और न ही किसी और लेग स्पिनर को शामिल किया। टीम में कुलदीप यादव के रूप में एक रिस्ट स्पिनर जरूर है, लेकिन श्रीलंका की स्पिन पिचों पर 4 स्पिनर्स शामिल करना 6 पेसर्स शामिल करने के मुकाबले बेहतर ऑप्शन ही रहता।
सवाल-4: 6 पेसर्स को जगह, लेकिन लेफ्ट आर्मर एक भी नहीं
टीम इंडिया में 4 फुल टाइम पेसर्स के साथ 2 सीम बॉलिंग ऑलराउंडर्स भी हैं। यानी टीम ने श्रीलंका की स्पिन पिचों के लिए 6 पेसर्स का सिलेक्शन किया, लेकिन इनमें एक भी लेफ्ट आर्म पेसर नहीं है। जसप्रीत बुमराह, प्रसिद्ध कृष्णा, मोहम्मद सिराज, मोहम्मद शमी, शार्दूल ठाकुर और हार्दिक पंड्या सभी बेहतरीन तेज गेंदबाज हैं, लेकिन सभी सीधे हाथ से ही गेंदबाजी करते हैं।
- जयदेव उनादकट और अर्शदीप सिंह को टीम इंडिया ने इंटरनेशनल लेवल पर मौके दिए। उनादकट एक और अर्शदीप 3 ही वनडे खेल सके। इन दोनों को तो टीम इंडिया पिछले 12 महीने से मौके दे रही है, लेकिन टीम ने जनवरी 2019 के बाद लेफ्ट आर्म पेसर्स पर वैसे भी कुछ खास ध्यान नहीं दिया। 2019 से लेफ्ट आर्म पेसर्स में भारत के लिए खलील अहमद 5, थंगारसु नटराजन 2 और चेतन साकरिया भी 2 ही वनडे खेल सके।
- लेफ्ट आर्म पेसर्स भारतीय बैटर्स के खिलाफ हमेशा ही परेशानी खड़ते हैं। टीम इनकी अहमियत समझती है, बावजूद इसके टीम ने अर्शदीप और उनादकट के अलावा किसी भी लेफ्ट आर्म पेसर को तैयार करने पर ध्यान नहीं दिया।
- इस नजरअंदाजी का नतीजा ये हुआ कि टीम एशिया कप में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के बगैर जाएगी। भारत के बैटर्स लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाजों के खिलाफ कुछ खास प्रैक्टिस भी नहीं कर सकेंगे। यानी टीम के बैटर्स पाकिस्तान के शाहीन शाह अफरीदी, श्रीलंका के दिलशान मदुशंका, बांग्लादेश के मुस्ताफिजुर रहमान और अफगानिस्तान के फजलहक फारूकी जैसे लेफ्ट आर्म बॉलर्स का सामना सीधे मैच में ही करेंगे।
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