39 मिनट पहले
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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) शुक्रवार से T+1 सेटलमेंट रूल लागू करेंगे। फिलहाल ये नियम चुनिंदा शेयरों के लिए लागू होंगे। धीरे-धीरे अन्य शेयरों को इसमें जोड़ा जाएगा। बीते दिनों नए नियमों पर विदेशी निवेशकों ने T+1 नियम पर आपत्ति जताई थी, लेकिन इसके बावजूद इस प्रणाली को लाया गया है। फिलहाल भारत में T+2 सेटलमेंट सिस्टम है। 2003 में SEBI इसे लाई थी। इससे पहले T+3 सिस्टम था।
T+1, T+2, T+3 सेटलमेंट समझिए
सेटलमेंट सिस्टम का मतलब बायर अकाउंट में शेयरों का ऑफिशियल ट्रांसफर और सेलर अकाउंट में बेचे गए शेयरों के कैश ट्रांसफर से हैं। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज वर्तमान में T+2 को फॉलो करते हैं। इसका मतलब है कि ऑर्डर के एग्जीक्यूट होने के बाद फंड और सिक्योरिटी आपके अकाउंट में आ जाएंगे। मान लीजिए कि आपने बुधवार को शेयर बेचे है। T+2 के अनुसार 2 बिजनेस डेज में इन शेयरों के पैसे आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे। वहीं आपने शेयर खरीदे हैं तो ये शेयर 2 दिन में आपके डिमेट अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे।
T+1 से 24 घंटे में शेयर और पैसे ट्रांसफर होंगे
अप्रैल 2003 में सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की ओर से T+2 सेटलमेंट सिस्टम को शुरू करने से पहले, भारत में T+3 सेटलमेंट सिस्टम था। इसका मतलब है कि शेयरों और पैसे को खाते में जमा होने में तीन दिन लग जाते थे। अब, T+1 सिस्टम के लागू होने के साथ 24 घंटों के भीतर शेयर और पैसे आपके अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे।
T+1 में शामिल होने वाले स्टॉक और इसका असर
शुरुआत में मार्केट वैल्यूएशन के हिसाब से सबसे नीचे रखे गए 100 शेयरों को T+1 में शामिल किया जाएगा। इसके बाद हर महीने के आखिरी शुक्रवार को 500-500 स्टॉक जोड़े जाएंगे जब तक कि हर स्टॉक नए सेटलमेंट सिस्टम में शामिल नहीं हो जाता। शुरुआत में पेनी स्टॉक में ट्रेड करने वालों पर ही इसका असर दिखेगा क्योंकि कम वैल्यूएशन वाले स्टॉक को पहले इस सिस्टम में शामिल किया जाएगा। हालांकि, अगले कुछ महीनों में जैसे-जैसे और स्टॉक इसमें जुड़ते जाएंगे वैसे-वैसे इसका असर दिखेगा।
नया सेटलमेंट साइकिल क्यों लाया गया?
सेबी ने पिछले साल सितंबर में इस प्लान को प्रपोज करते हुए कहा था कि उसे सेटलमेंट साइकिल छोटा करने को लेकर कई स्टेकहोल्डर्स की रिक्वेस्ट आ रही थी। इसके बाद SEBI ने एक्सचेंजों को नया साइकिल लागू करने का विकल्प दिया था। उसी साल नवंबर में, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में कहा कि वे फरवरी 2022 से चरणबद्ध तरीके से नई प्रणाली को लागू करेंगे।
पे-इन/पे-आउट डिफॉल्ट का रिस्क कम होगा
T+1 सेटलमेंट सिस्टम के आने से पे-इन/पे-आउट डिफॉल्ट का रिस्क कम होगा। ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी क्योंकि आपके ट्रेडिंग अकाउंट का मार्जिन सिर्फ एक दिन के लिए ब्लॉक होगा। इससे इक्विटी मार्केट में रिटेल पार्टिसिपेशन के बढ़ने की संभावना है। सेबी ने ये भी साफ किया है कि सभी तरह के सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन में ये सिस्टम लागू होगा। यदि एक्सचेंज में कोई भी शेयर T+1 में शामिल होगा तो रेगुलर मार्केट डील की ही तरह ब्लॉक डील पर भी इसका पालन होगा।
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