Best News Network

अडाणी-हिंडनबर्ग केस…SEBI ने SC से और समय मांगा: कहा- 6 महीने में जांच खत्म करने की कोशिश करेंगे

अडाणी-हिंडनबर्ग केस…SEBI ने SC से और समय मांगा: कहा- 6 महीने में जांच खत्म करने की कोशिश करेंगे

12 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने शनिवार (29 अप्रैल) को अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने का और समय मांगा है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले की जटिलता को देखते हुए जांच पूरी होने में कम से कम 15 महीने लगेंगे, लेकिन इसे 6 महीने में खत्म करने की कोशिश की जाएगी।

सेबी ने कोर्ट से कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में जिन 12 संदिग्ध ट्रांजैक्शंस की बात कही गई हैं, वे पहली नजर में काफी कॉम्प्लैक्स लगती हैं। इनकी गहराई से जांच करने की जरूरत है। इसलिए सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से जांच के लिए कम से कम छह महीने और समय देने का अनुरोध किया है।

रिपोर्ट सौंपने की डेडलाइन 2 मई को खत्म हो रही
2 महीने पहले मार्च में अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 6 मेंबर्स एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। एक PIL पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने को कहा था। इस कमेटी को मामले की जांच सौंपने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, यानी सेबी से भी स्टॉक्स की कीमतों में हेरफेर की जांच रिपोर्ट देने को कहा था। सेबी को 2 महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देनी थी, जिसकी डेडलाइन 2 मई यानी मंगलवार को खत्म हो रही है। जांच पूरी न होने के कारण अब सेबी ने कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांगा की है।

सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी इन 2 पहलुओं की जांच करेगी

  • शेयर मार्केट का रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मजबूत करने के उपाय सुझाएगी। यानी मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग की निगरानी और पुख्ता की जाएगी।
  • अडाणी ग्रुप के शेयर्स में तेज गिरावट से जुड़े विवादों की जांच करेगी। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद ग्रुप के शेयर्स गिरे थे।

कमेटी के अलावा ​​​​सेबी भी 2 पहलुओं की जांच करेगी

  • क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रेक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
  • क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?

मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (A)
कॉन्ट्रेक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश भी दिए थे

  • सेबी के चेयरपर्सन को एक्सपर्ट कमेटी को सभी जरूरी जानकारी देनी होगी
  • केंद्र सरकार से जुड़े एजेंसियों को कमेटी के साथ सहयोग करना होगा
  • कमेटी अपने काम के लिए बाहरी विशेषज्ञों से परामर्श ले सकती है
  • कमेटी मेंबर्स का पेमेंट चेयरपर्सन तय करेंगे और केंद्र सरकार वहन करेगी
  • केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक सीनियर ऑफिसर को नॉमिनेट करेंगी
  • ये कमेटी को लॉजिस्टिकल असिस्टेंस देने के लिए नोडल ऑफिसर के रूप में काम करेंगे
  • कमेटी के सभी खर्चों को केंद्र सरकार ही वहन करेगी

अडाणी-हिंडनबर्ग केस में SC पहुंचीं थीं 4 याचिकाएं
इस मामले में 4 जनहित याचिकाएं दायर हुई थीं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की थीं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी।

याचिकाओं में FIR दर्ज करने और जांच की मांग की गई थी

  • मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की है। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।
  • विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
  • जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्‍होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की है।
  • मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई है।

SC ने केस के मीडिया कवरेज पर रोक से इनकार किया
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वह मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता। वहीं कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर चुकी है और जल्द ही इसे सुनाया जाएगा।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से निवेशकों को नुकसान
याचिकाओं में दावा किया गया था कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे ‘निवेशकों को भारी नुकसान’ हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक सेबी को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।

हिंडनबर्ग ने लगाए थे शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।

खबरें और भी हैं…

Stay connected with us on social media platform for instant update click here to join our  Twitter, & Facebook

We are now on Telegram. Click here to join our channel (@TechiUpdate) and stay updated with the latest Technology headlines.

For all the latest Business News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsAzi is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.