नई दिल्ली42 मिनट पहले
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सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच में ऑफशोर-फंड के होल्डिंग की लिमिट और लिस्टेड एंटीटी की ओर से डिस्क्लोजर के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नियमों का यह उल्लंघन टेक्निकल नेचर का है यानी इसमें किसी व्यक्ति का हाथ नहीं है। इसलिए जांच खत्म हो जाने के बाद कुछ पेनल्टी से ज्यादा का दंड नहीं होगा।
इस मामले में SEBI फिलहाल किसी भी खुलासे को तब तक पब्लिक नहीं करेगा, जब तक वह जांच फाइनल नहीं हो जाती। मामले की सुनवाई कल (29 अगस्त ) सुप्रीम कोर्ट में होगी।
अधिकतम 10% ऑफशोर-फंड ले सकती हैं कंपनियां
जांच में पाया गया है कि अडाणी की कंपनियों में ऑफशोर फंड (विदेशी फंड) के शेयर नियमों के हिसाब से नहीं थे। किसी भी भारतीय कंपनी में ऑफशोर इन्वेस्टर, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर के रूप में अधिकतम 10% इन्वेस्ट कर सकता है। इससे ज्यादा किसी भी अमाउंट को FDI यानी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट माना जाएगा। अडाणी की कंपनियों ने इसी नियम का उल्लंघन किया है।
25 अगस्त को सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट सौंपी थी
SEBI ने शुक्रवार (25 अगस्त) को अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट फाइल की थी। रिपोर्ट में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में उसकी 24 इन्वेस्टिगेशन यानी जांच में से 22 फाइनल हो चुकी हैं और 2 अब भी अधूरी हैं।
SEBI ने बताया कि इन 2 इन्वेस्टिगेशन पर बाहरी एजेंसियों से जानकारी मिलने का इंतजार है। अधूरी जांच में अडाणी की कंपनियों की 13 विदेशी यूनिट्स शामिल थीं। मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि जांच के फाइनल नतीजों के बाद ही आगे उचित कदम उठाए जाएंगे।
19 मई को कमेटी सार्वजनिक कर चुकी है रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक कर चुकी है। कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है।
एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के पॉइंट…
- कमेटी ने रिपोर्ट में कहा- SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं।
- अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना।
- कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।
हिंडनबर्ग ने लगाए थे शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। इसके बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 3,500 रुपए से गिरकर 1,000 रुपए के करीब आ गया था। हालांकि, अडाणी ने हिंडनबर्ग के आरोपों को झूठा बताया था।
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